Saag के प्रकार और सागो का राजा Sarson Saag | Types of Jharkhandi Saag

Saag के प्रकार और सागो का राजा Sarson Saag | Types of Jharkhandi Saag

हेल्लो दोस्तों आज के इस लेख में Saag के बारे में जानेंगे एक स्वादिष्ट और पोषणयुक्त साग है, जो हमारे देश के हर वर्ग के लोग सभी क्षेत्रों में बड़े मजे के साथ खाते हैं । यदि सगो राजा कहे तो सरसों का साग सबसे ऊपर स्थान रखता है हर घर में सब्जी के साथ साग का स्वाद का चखा जाता है यदि बात साग व अन्य पत्तियों जैसे कोइनर और पोई का भी उपयोग होता है जिसे भी लोग स्वादिष्ट बनाकर खाते हैं तो चलिए आगे पढ़ते हैं की Saag के प्रकार और सागो का राजा Sarson Saag | Types of Jharkhandi Saag वो अन्य सागो के बारे में

तो 09 तरह के साग के बारे में आज बताते हैं  जिसे हम विस्तार से जानेंगे 

लवाई साग

झारखंड के जंगलों में पाया जाने वाला एक और साग जिसे लोग बहुत कम जानते हैं जो जंगल में होता है और इसे जंगल से तोड़ कर लाते हैं और स्थानीय बाजार में इसको बिक्री करते हैं यह साग का टेस्ट सांभर की तरह खट्टा लगता है और इसको भी लोग बड़े चाव से खाते हैं बरसाती साग होने के नाते यह केवल बरसात के दिनों में ही जंगल में पाया जाता है इसलिए जो जंगल के लोग होते हैं उसके लिए रोजगार के साधन भी जाते हैं और जब वह स्थानीय बाजार आते हैं तो यह साग को लेकर बाजार में बिक्री करते हैं

बांस का करिल (bamboo shoots)

बरसात के सीजन आते ही बंबू यानी बास का “करिल”जब बंबू  से नया नया पौधा निकलता है तो उसे हम करिल के रूप में जानते हैं और इसको झारखंड वासियों बहुत ही चाव से खाते हैं , आगे झारखंड के जंगलों में पाया जाता है वैसे तो गांव घर में ही बांस पाया जाता है परंतु जंगल वाला का स्वाद कुछ अलग होता है अरे बाजार में बहुत मांगे दामों में बिकता है इसमें बहुत अधिक मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो हमारे हड्डियों को मजबूत करने में सहायता प्रदान करता है साथ ही इसमें फाइबर की मात्रा भी मिलता है जिससे हमारे खून का संचार जो है वह बहुत अच्छा तरीका से बना रहता है

What is the taste of Jharkhandi Saag? 09 types of greens Red Gandhari, Green Gandhari, Kalmi, Bathua, Poi, Beng, Muchari, Koinar, Munga, Sanai, Sunsunia

गंधारी साग  कहते हैं कि खाने में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है उसी में झारखंड में बरसात के सीजन में गंधारी साग अपने आप में एक सागो का टेस्ट बदल देता है जहां दोस्तों गंधारी साग बरसात के सीजन में पाया जाता है इस आग में शरीर में विटामिन कमी से लड़ने वाले सभी प्रकार की कैल्शियम विटामिन मिनरल्स आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो हमारे शरीर के मांसपेशियों का निर्माण करने और शरीर में ऊर्जा प्रदान करने में लाभ प्राप्त होता है

खुखड़ी

बारिश के दिनों में उत्पन्न होने वाला कुकड़ी जिसे हम देसी मशीन के नाम से भी जानते हैं यह एक प्राकृतिक द्वारा उत्पन्न जनों से प्राप्त मशरूम टाइप पर खड़ी है जिसे बारिश के दिनों में ही देखने को मिलता है झारखंड का एक विशेष प्रकार का सब्जी है जो बरसात के दिनों में जंगलों में मिलता है और इसे झारखंड के लोग पहुंचा से खाते हैं इसे किसी प्रकार के बीज या मानव निर्मित किसी प्रकार का सहयोग से नहीं बनता बल्कि यह प्राकृतिक तरीका से उत्पन्न होता है

Saag के प्रकार और सागो का राजा Sarson Saag | Types of Jharkhandi Saag

पोइ साग

घर के आस-पास में मिलता है ये साग जिसको हमलोग पोई साग कहते हैं  इसका जो पौधा होता है वह सांप की तरह ऊपर की ओर जाता है और इसका जो पता होता है पान की छोटे पत्ते की तरह छोटे छोटे आकार का होता है और इसमें लाल लाल दाने निकलते हैं जो बहुत ही लाल होते हैं पकने के बाद जब उसको आप तोड़ के हाथ में मसलते हैं तो खून की कलर के जैसा दिखता है खाने में स्वादिष्ट लगता है और स्थानीय बजाने में बिक्री के लिए लोग ले जाया करते हैं जिसे पोई साग कहते हैं

बेंग साग 

इस साग को स्थानीय नाम में इसे बैंग साग बोलते हैं जिसको हम मेंढक साग भी बोलते हैं ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि जो मेंढक होता है वह इस सागो के बीच में बहुत अधिक रहता है और काफी आवाज करते रहता है ये साग मुख्यत खेतों के आसपास पानी की सतहों में होता है, छोटे-छोटे मेंढक आस-पास रहते हैं आवाज करते रहते हैं और इसलिए सबको बैंग साग (Frog Sag) कहते हैं

भदली साग

बात अगर बरसाती साग  के बारे में कहीं रहे हैं तो भदली साग को भी आप जरूर स्वाद चखिए  जंगलों में पाए जाने वाला एक प्रकार का साग है जिसका गंध चमगादड़ या भदली की तरह महकता है इसलिए सबको भदली साग या चमगादड़ साग भी कहते हैं

कोईनार साग

खेतों और घरों के आस पास में पाए जाने वाला पेड़ जिसका पत्ता को साग के रूप में भी खाया जाता है जिसे कोईनार साग के रूप में जानते हैं इसमें गुलाबी कलर का फूल खुलता है और इसके नरम पत्ते को साग रूप में खाते हैं,इसके पेड़ जायदा बड़ा नही होता है और इसमें आसानी लोग पेड़ में चढ़कर साग तोड़ लेते है |

मुनगा (सहजन ) साग का पेड़

झारखंड के हर हिस्से में पाए जाने वाला मूनगा पेड़ का साग सभी के घर में पाया जाता है और इसे 12 महीना साग सब्जी के रूप में इसका स्वाद लिया करते हैं यह एक ऐसा पेड़ है जिसका तीन तरह का सब्जी होता है पत्ते से ,इसके फल से ,और उसके फूल से इस तरह से जिसका हम 12 महीना सब्जी के रूप में खाते हैं

झारखंड में साग ओर साग में पाए जाने वाले पोषण एवं  बिटामिन अनेकों प्रजातियों में शामिल लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया, फुटकल, गिरहुल, चकोर, कटई/सरला, कांडा और मत्था झारखंड के लोगों का भोजन के साथ खाने वाले बेहतरीन साग है

चोकड़ साग

बरसात के मौसम में चौकड़ साग आपको अपने गाँव घर के आस पास देखने को मिलता है इस साग को ताजा एवं सुखा के भी खाया जाता है

सरसों का साग को हर कोई पसंद करता है और इसे देश के सभी जगह खाया जाता है इसलिए ये साग सागो में सबसे ऊपर स्थान रखता है 

झारखंडी साग का स्वाद कैसा होता है? What is the taste of Jharkhandi Saag?09 तरह के साग लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया

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साग क्या होता है ?

झारखंड में कितने प्रकार के साग मिलता है ?-वैसे तो भारत में भिन्न भिन्न प्रकार से saag पाए जाते हैं देश के अलग अलग हिस्से में परन्तु झारखंड मुख्यः सरसों साग ,साग लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया का नाम पहले आता है

09 प्रकार से साग जिसमे पाए जाते हैं अनेकों पोषक तत्व ?

Ans-09 तरह के साग लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया

झारखंड में पाए जाने वाले प्रमुख साग ?

“भारत के 10 खूबसूरत (Waterfalls) जलप्रपात: प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं ” | 10 Beautiful Waterfalls In India: Enjoy The Natural Beauty

प्राकृतिक दृष्टिकोण से प्रकृति  (Nature) का आकर्षण का केंद्र प्रकृति में मौजूद  हर वो चीज जिसे प्रकृति ने सवांरा है उसी  कड़ी में जलप्रपात (Waterfalls) प्रकृति का सबसे  खास आकर्षण का केंद्र होता है  जी  हां दोस्तों किसी पहाड़िया चट्टान से नदी के पानी जब एक धारा के रूप में ऊपर से निचे की ओर गिरकर कर एक जलाशय  का निर्माण करता है कहने का मतलब यह है की ऊंचे पहाड़ी से जल की धारा नीचे गिरते हुए विशालकाय जलप्रपात का निर्माण करता है

जब कभी भी घूमने फिरने की बात होती है तो तो जो पर्यटक लोग हैं खूबसूरत नदी पहाड़ झरने जैसे जगहों पर घूमने का प्रयास करते हैं और अपनी जिंदगी का आनंद लेते हैं आपको बताते चलें कि भारत में अनेको ऐसे वॉटरफॉल है जिसकी खूबसूरती भारत को चार चाँद लगा देती है, जी हाँ दोस्तों आज बात करने वाले भारत के 10 ऐसे वॉटरफॉल जहाँ आप अपने यादगार लम्हों को कैद कर एक खूबसूरत यादगार लम्हे बना सकते प्रकृति के अद्भुत नजारा को आप बेहद नजदीक से जाकर उसकी सुंदर नजारा को देखकर एक अलग रोमांचकारी जिंदगी का अनुभव ले सकते हैं तो चलिए आज बताते हैं आपको भारत के कई बेहद खूबसूरत वाटरफॉल जो पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक फैला है

नोहकलिकाई फॉल्स, मेघालय (Nohkalikai Falls, Meghalaya)

भारत के उत्तर पूर्व में स्थित मेघालय में नोहकलिकाई फॉल स्थित है। यहां से बांग्लादेश की सीमा काफी नज़दीक है। जिसकी ऊँचाई भारत की सबसे अधिक ऊँचाई में मानी जाती है इस वाटर फॉल की उंचाई करीब 1110 फ़ीट है साथ ही आपको बता दें कि चेरापूंजी की दूरी 65 से 60 किलोमीटर है जबकि नोह्कलिकाइ वाटर  फॉल जो है वह चेरापूंजी से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है  बरसात के सीजन में बारिश काफी अधिक होती है क्योंकि यह चेरापूंजी का इलाका पड़ता है पर्यटक दृष्टि से यह सालों भर खुला रहता है इस तरह से मेघालय का नोह्कलिकाइ वाटरफॉल भारत का सबसे ऊंचा वाटरफॉल माना जाता है

चित्रकूट वॉटरफॉल छत्तीसगढ़ (Chitrkut Water Falls, Chhattisgarh)

छत्तीसगढ़ के इंद्रावती नदी पर स्थित चित्रकूट वॉटरफॉल छत्तीसगढ़ का इसे नियोन वाटर फॉल भी मानी जाती है यह वाटरफॉल 980 फीट ऊंचाई पर स्थित है चित्रकूट का वाटरफॉल को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं साथ ही धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यहां पर राम शिव की पूजा होती है, साथी यहां पर मेला का आयोजित भी होता है अगर बात करें यहां पर जाने की तो आप छत्तीसगढ़ के जगदलपुर स्टेशन से इस वाटरफॉल के लिए जा सकते हैं महज 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चित्रकूट वाटरफॉल आपको अपनी और आकर्षित करती है

जोग फॉल्स कर्नाटक (Jog Falls,Karnatak)

जब वाटरफॉल से बात आती है तो कर्नाटक सबसे आगे होता है जो कि कर्नाटक में घने जंगल और नदी झरने की वजह से यहां जो वाटरफॉल है विशाल का है इसी क्रम में जोग वॉटरफॉल्स भी कर्नाटक में स्थित है और यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा वाटर फॉल कही जाती है पर बात करें विश्व में तो यह 13वा स्थान रखता है घने जंगलों के बीच इस वाटरफॉल में लोग ट्रैकिंग करके भी आते हैं जो वाटरफॉल का आनंद लेते हैं

दूधसागर वॉटरफॉल गोवा (DudSagar Waterfalls Goa)

दूधसागर वॉटरफॉल के नाम से ही आप जान सकते किसी दूधसागर वाटरफॉल क्यों कहते हैं जो आपको बताना चाहेंगे कि दूधसागर वाटरफॉल दूध की तरह प्योर सफेद अब बहुत ही ऊंचा से गिरने और उसके बेहद खूबसूरत नजारा को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं इस वाटरफॉल को दूध का समुंदर भी करते हैं इसकी ऊंचाई 1017 फीट ऊंचा और 100 फीट चौड़ा है यह भी आप दूधसागर वाटरफॉल का नजारा वाकई में देखना चाहते हैं तो आप एक बार ट्रेन का सफर करके देखिए जब ट्रेन से ऑफिस से रास्ते से गुजरते हैं तो देखने से आपको एक भव्य वाटरफॉल का नजारा देखने को मिलता है , वाटरफॉल के तलहटी में रेलवे लाइन बिछी हुए हैं जिससे रेलवे यहां से गुजरती है तो रेलवे में जॉब करने वाले सफर यात्री इस वाटरफॉल को आनंद लेते हुए गुजरते हैं, इस वाटर फॉर में आने के लिए लोग ट्रैकिंग करके ऑलमोस्ट 5 से 6 घंटे का वक्त लगता है तब जाके इस वाटरफॉल पर पहुंचते हैं एवं वाटरफॉल का नजारा देखते हैं

पचमढ़ी के झरने (Punchmadhi ke Jharne)

मध्यप्रदेश भारत बीचो बीच एक ऐसा राज्य जिसमे  खूबसूरत हिल स्टेशन  पचमढ़ी घूमने की जगह और पर्यटन स्थल की रूप में विख्यात है । पंचमढ़ी  की नाम सुनते ही मध्यप्रदेश की  सारी झरने सामने आ जाती है । मध्यप्रदेश की सबसे खुबसूरत  रजत प्रपट  झरना है। इसकी ऊंचाई 106 फीट है और इसे लोग मध्यप्रदेश में सबसे अधिक देखे जाने वाले वाटर फॉल में गिने जाते हैं । इसके बाबजूद इसके आस पास और भी जलप्रपात हैं जैसे  बी फॉल झरना इस  झरना का ऊंचाई 35फिट है , जो दिखने में काफी खुबसूरत लगता है

जोन्हा जलप्रपात (Jonha Water Falls)

झारखंड को झरनों का स्रोत कह सकते हैं क्योंकि यहां पर अनगिनत झरना है उसी में से जोंहा जलप्रपात झारखंड की राजधानी रांची से महज 45 किलोमीटर की दूरी स्थित पर जोन्हा  गांव के समीप स्थित है, जोन्यहा गाँव नाम पर ही इस फोल का नाम जोन्हा  वाटरफॉल  रखा गया जो पुरुलिया राजमार्ग में स्थित है इसके साथ साथ यहां पर हुंडरू जलप्रपात, लोध जलप्रपात,दशम जलप्रपात, सीता जलप्रपात, पंचघाघ और हिरणी जलप्रपात जैसे अनेकों जलप्रपात मौजुद हैं जिसे आप explore कर सकते हैं ।

लोध जलप्रपात (Lodh Water Falls)

झारखंड का सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा जलप्रपात का नाम सबसे पहले आता है तो वह है लोध Lodh जलप्रपात जो झारखंड की राजधानी रांची से 146 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में स्थित नेतरहाट से महज 45 किलोमीटर लोध  जलप्रपात झारखंड का सबसे ऊंचा जलप्रपात का नाम दर्ज है यह लातेहार जिला में पड़ता है और उसकी ऊंचाई बात करें तो यह लगभग 1230 फीट ऊंचाई पर स्थित, मुख्यतः पाठ के इलाका है और Chhattisgarh Jharkhand की सीमा रेखा पर स्थित है इस जलप्रपात को दूसरा नाम “बूढ़ा घाघ” जलप्रपात के नाम से भी जानते हैं, जब कोई नेतरहाट की प्रकृति की सुगम वादियों में  घूमने को आता है तो एक बार इस वाटरफॉल को घूमने के लिए भी जरूर जाता  है झारखंड का सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा वाटर फॉल होने के नाते लोग यहां आने पसंद करते हैं और इस झरने का आनंद लेते हैं

 

कब घूमने जाए और कब घूमने नहीं जाए इन  खूबसूरत (Waterfalls) जलप्रपात: जो प्राकृतिक सौंदर्य को चार चाँद लगा देता है  Beautiful Waterfalls In India: Enjoy The Natural Beauty

water falls में

यदि आप water falls जैसे पर्यटक स्थान में घूमने जाना पसंद करते हैं तो आपको बरसात के मौसम में कतई जाना नही चाहिए क्यूंकि बरसात के मौसम में water falls में पानी बहुत अधिक तेजी और बहाव खूब होता है साथ पहाड़ों में भू संखलन का भी खतरा रहता है तो इसलिए वर्षा मौसम में पहाड़ों में घूमने का इरादा को बदल दे । यदि आप जाना चाहते हैं तो दिसंबर से फरवरी के महीने या गर्मी में जाए

Patratu Vally: A Hidden Jewel of Jharkhand 2025

Patratu Vally: A Hidden Jewel of Jharkhand 2025

Patratu Ghati Valley, patratu vally resort Ranchi, Jharkhand

झारखंड एक ऐसा राज्य है जहाँ पर्यटन के स्रोत बहुत हैं जिसमे रांची के नजदीक में स्थित  Patratu Vally: A Hidden Jewel of Jharkhand 2025 का दृश्य( पतरातू घाटी रांची ) के बारे अब लोग जानने लगे  हैं लोगों में बड़ी दिलचस्पी रहती है की झारखंड के नजदीक पतरातू घाटी   patratu ghati  कैसी है ranchi station to patratu valley distance  कितनी है चूँकि आपको पता है  झारखंड खनिज सम्पदा से परिपूर्ण है

और इसकी राजधानी रांची है भारत के पूर्वी क्षेत्र छोटानागपुर की पठार कहे जाने वाले राज्य झारखंड को अन्य राज्यों की तुलना में कम खोजा जाता है इसके प्रकृति की सुन्दरता आपको मोहित करती है तो चलिए आज आपको बताते हैं एक ऐसा घाटी जो झारखंड के राजधानी रांची से 35 किलोमीटर दूर स्थित है जिसे patratu ghati या patratu valley कहते हैं वैसे तो पतरातू कोई नया  Hidden Place नही ही है फिर आपको बता दे की यह

पर्यटन और प्रमुख आकर्षण

1. पट्रातु डैम और झील
पट्रातु घाटी में बसा Patratu vally  इस क्षेत्र का सबसे बड़ा आकर्षण है। यह डैम स्वर्णरेखा नदी पर स्थित है और यहां का जलाशय साल भर भरा रहता है। झील के चारों ओर की हरियाली और शांत वातावरण इसे एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट बनाते हैं। साथ ही खुबसूरत रिसोर्ट भी बनाया गया है जहाँ आप अपने परिवार के साथ समय बिता सकते हैं

यहां के कुछ खास आकर्षण हैं:

– नौका विहार (बोटिंग) का आनंद लेना
– झील के किनारे बैठकर प्रकृति की खूबसूरती का अनुभव करना
– जलक्रीड़ा (वॉटर स्पोर्ट्स) और मछली पकड़ने का मजा लेना

पट्रातु वैली का परिचय

पतरातू  घाटी झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 42  किलोमीटर दूर स्थित है। यह घाटी रामगढ़ जिले में आती है और इसे झारखंड के सबसे खूबसूरत और रोमांचक स्थलों में से एक माना जाता है। चारों ओर हरे-भरे जंगल, पहाड़ियों के बीच से गुजरती घुमावदार सड़कें, और पट्रातु डैम के शांत पानी की सतह इसे प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक अद्भुत स्वर्ग बना देती हैं। पतरातू बिजली संयंत्र एवं पतरातू झील के लिए प्रसिद्ध हुआ करता था |

इस जगह जाने के लिए पहले पतरातू घाटी बस नाम का घाटी हुआ करता था आज बदलते भारत और राज्य का विकास के साथ पतरातू Valley का सुन्दरता ने सबको अपनी और मोहित कर लिया है जी हाँ वही   पतरातू घाटी जिसे बरसो पहले बस  बिजली संयंत्र एवं पतरातू झील के लिए जानते थे परन्तु आज पतरातू गाँव तक जाने वाले रास्ते ने लोगों का दिल जीत लिया है। वैसे तो ट्रेवल के दृष्टिकोण से झारखंड नाम

Patratu Vally: A Hidden Jewel of Jharkhand 2025
Patratu Vally: A Hidden Jewel of Jharkhand 2025

बहुत कम मिलता है, इसलिए आप शायद झारखंड के बारे में कम जानते होंगे | जिसे लोग दूर दूर से देखने आते हैं और एक अलग रोमांचित का मजा लेते हैं घाटी का मानो पूरा नक्सा ही बदल कर रख दिया गया हो जब आप घाटी से निचे की और देखते हैं पूरा पतरातू आपको नजर आता है रोड कुछ सांप के जैसे टेढ़ा मेढ़ा और काफी घुमावदार देखने को मिलता है | आपको घाटी का नजारा अपनी और मोहित करता है और बार बार आपको यंहा आने को मजबूर करता  है | घाटी में जब

आते हैं तो आपको हर दिन भीड़  देखने को मिलता है लोग अकसर अपने परिवार के साथ टाइम बिताने के लिए यंहा आया करते हैं पतरातू झील भी लोगों को अपने और आकर्षित करता है  रांची से सटे Ramgarh जिला के पशिचम में लगभग 30 किमी पतरातू बांध में निर्माण थर्मल पवार स्टेशन को पानी की आपूर्ति के लिए बनाया गया था इसके चारो और पहाड़ियों से बरसात के समय से झरने से पानी को इस बांध में रोका जाता है

यह देखा जाय तो लोगों का एक बहुत अच्छा टूरिस प्लेस  है जन्हा लोग घुमने फिरने पिकनिक मानाने आया करते हैं जो देखा जाये तो Patratu valley resort Ranchi, Jharkhand  Ranchi ka best resort  इसलिए कह सकते है की यह सुध वातावरण में स्थित है और प्रकृति के नजारा पास है  यह एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है  साथ ही बांध में अब बोटिंग का भी सुविधा दिया गया है जिससे आप बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं

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यदि आप पतरातू को एक्स्प्लोर कर रहे हैं तो आप पतरातू लेक रिसोर्ट में रुक के पतरातू लेक को पूरा घूम सकते हैं  patratu lake resort room price की बात करें तो आप इसे ऑनलाइन भी  बुक कर सकते हैं  अधिक जानकारी के लिए आप झारखंड टूरिज्म के आधिकारिक वेबसाइट  https://tourism.jharkhand.gov.in पर देख सकते हैं  patratu lake resort room price list

  • AC Dormitory -6 Bedded -Rs 4500/- per day
  • AC Dormitory -4 Bedded -Rs 3000/- per day
  • Non AC Dormitory -7 Bedded -Rs 5500/- per day
  • AC Double bed room  -Rs 4500/- per day

इसके अतिरिक्त सरकारी आदेश के अनुसार टैक्स पे लग सकता है साथ ही 9 साल से कम उम्र के बचों कोई भी चार्ज नही लगता है patratu lake resort काफी अछा रिसोर्ट है शहर से दूर शांत वातावरण के लिए पतरातू आप एक बार ज़रूर आइये |

रांची से पतरातू घाटी कैसे पहुंचे( ranchi to patratu valley distance)

यदि आप झारखंड से हैं और रांची होकर पतरातू घाटी आ रहे हैं तो आपको कांके वाले रास्ते से आना होगा | रांची से पतरातू घाटी का दुरी गूगल मैप के अनुसार 35 किलोमीटर है | और  आपको पतरातू जाने का समय लगभग 59 मिनट का लगेगा | वर्तमान में पतरातू घाटी रांची का Most Visiting Place में से एक हो गया है क्योंकि पतरातू घाटी एक रोमांचित जगह और दिलचस्प हो गया है लोग अकसर समय बिताने इस जगह पर जाया करते हैं |

पतरातू वैली  आने का सही समय 

पतरातू वैली  सालभर घूमने के लिए एक बेहतरीन जगह है, लेकिन अगर आप इसकी असली खूबसूरती का अनुभव करना चाहते हैं, तो अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे अच्छा होता है। मॉनसून में यहां की हरियाली और भी बढ़ जाती है और झरने भी बेहद खूबसूरत लगते हैं, लेकिन बारिश के चलते सड़कें फिसलन भरी हो सकती हैं।

पतरातू घाटी आने के सुझाव (Patratu Ghati Travel Tips)

  • यदि आप पतरातू घाटी घुमने की सोच रहे हैं तो तो आप रांची में में रुक सकते हैं जो की 35 किलोमीटर नजदीक में है साथ ही कई ऐसे आपको बजट में होटल लोज और रिसोर्ट आदि मिल जाता है
  • स्थानीय भोजन (Local Cuisine) आप यहाँ पर jharkahnd का पारंपरिक व्यंजन का भी स्वाद ले सकते हैं वो भी उचित मूल्य के साथ और आपने
बस से पतरातू घाटी कैसे आयें (Ranchi to Patratu Vally Bus)

यदि आप बस से पतरातू घाटी आना आते हैं तो आपको रांची बस स्टेंड जो की रांची खाद्गढ़ा और आई.टी.आई बस स्टेंड रांची से बस पकड़कर वंहा से बहुत आसानी से पतरातू घाटी आ सकते हैं |

FAQ:-

Pahadi Mandir Ranchi Jharkhand पहाड़ी मंदिर रांची

Pahadi Mandir Ranchi Jharkhand

पहाड़ी मंदिर का इतिहास pahari mandir ranchi history

झारखंड राजधानी रांची में स्थित Pahadi Mandir Ranchi Jharkhand पहाड़ी मंदिर का निमार्ण काल 1842 इस्स्वी में व्रिटिश नागरिक कर्नल ओंसले ने करवाया था | यह  मंदिर की अपनी एक विशेषता  है और ये मंदिर रांची के बीचोबीच एक पहाड़ी पर स्थित जो ठीक रेडियो स्टेशन आकाशवाणी के सामने की और है इस मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग है | पहाड़ी में विराजमान भोलेबाब को पहाड़ी बाबा के नाम से भी जानते हैं |

पहाड़ी मंदिर समुद्र तल से 2140 फीट की ऊंचाई पर बना है। पहाड़ी मंदिर के चारो और शहर बसा हुआ है और इस मंदिर Circle में तरह तरह के फूलों से सजे हुवे इसकी सुन्दरता को और और अधिक आकर्षक बनाता है, मंदिर की चोटी तक पहुँचने के लिए आपको लगभग 470 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ेगी तब जाके पहाड़ी बाबा का दर्शन हो पायेगा | राजधानी रांची शहर के बीच में होने से शहर की सुन्दरता बढ़ जाती है,जब आप पहाड़ी से एक नजर

फांसी टोंगरी (पहाड़ी मंदिर) रांची श्रावन में लग रहा भक्तों का विशाल मेला ,क्या है इसका कहानी

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रांची शहर की और देखते हैं तो पूरा रांची की View नजर आता है, इस तरह से पहाड़ी मंदिर रांची की एक पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है | इस पहाड़ी की दिलचस्प बात है की जब भारत अंग्रेजी शासन की अधीन गुलाम था तब इस पहाड़ी पर भारत के स्वंत्रता सेनानियों को इस पहाड़ी में फांसी पर लटका दिया जाता है भारत आजाद होने के साथ इस पहाड़ी पर भी 15 अगस्त पर 26 जनवरी को लोग झंडे भी  फहराते हैं

रांची के पहाड़ी मंदिर में शिवरात्रि एवं सावन में लगता है भक्तों का मेला

पहाड़ी मंदिर में प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि एवं सावन में भक्तों का मेला लगता है यदि मुख्य त्यौहार की बात करें तो शिवरात्रि में मेला लगया जाता है जबकि सावन में महीनो तक मेला रहता है और महीनो भर हजारों श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। श्रावण मेला जुलाई से शुरू होकर अगस्त में ख़त्म होता है, हर सोमवारी को भक्तों का आगमन लगा लगा रहता है |

  • रांची के पहाड़ी मंदिर में कितनी सीढ़ियां हैं? उतर-रांची के पहाड़ी मंदिर के तलहटी से लेकर चोटी तक लगभग 470 सीढियाँ मौजूद है और भक्त इसी सीढियाँ से शिव जी को दर्शन करने जाते हैं |
  • लोग जब गूगल में ये सवाल करते हैं की पहाड़ी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है  जब भारत अंग्रेजी शासन की अधीन गुलाम था तब इस पहाड़ी पर भारत के स्वंत्रता सेनानियों को इस पहाड़ी में फांसी पर लटका दिया जाता है भारत आजाद होने के साथ इस पहाड़ी पर भी 15 अगस्त पर 26 जनवरी को लोग झंडे भी फहराते हैं, और स्थानीय लोग इसे फांसी टोंगरी भी कहते थे ,आजादी होने के बाद इस जगह शिवलिंग स्थापित की गयी और विधिवत भगवान शिव की पूजा पाठ करने लगे |
  • रांची में कौन सा मंदिर प्रसिद्ध है?उतर-रांची शहर में कौन सा मंदिर प्रसिद्ध है इस विषय पर हम बता दे की सभी मंदिर अपने जगह पर प्रसिद्ध है फिर भी रांची के जगरनाथ मंदिर एवं पहाड़ी मंदिर ये दो मंदिर अग्रेजी शासन काल और इनका अपना इतिहास होने के वजह से ये प्रसिद्ध है |

Pahadi mandir ranchi  के आस पास के अन्य मंदिर

साईं मंदिर बेडो

रांची से 33  किलोमीटर की दुरी में स्थित लापुंग थाना अंतर्गत एक सुंदर सा  श्री साईं मंदिर है जिसे देखने के लिए लोग बहुत बहुत दूर से आते हैं इस जगह पर्यटक सालो भर आते रहते हैं | साईं मंदिर में विशेष रूप से गुरुवार और रविवार को पूजा अर्चना किया जाता है उस काफी अधिक संख्या में लोग यहाँ पर  आते हैं  सुबह से शाम तक भजन कृतं में भक्त मग्न रहते हैं |

अखिलेश्वर मंदिर  भंडरा

यदि आप रांची  के हैं या उसके आस पास के तो आप लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड के ऐतिहासिक अखिलेश्वर धाम शिव मंदिर के बारे जानते होंगे अगर नही तो चलिए इस आर्टिकल में बताते हैं रांची से 68  किलोमीटर की दुरी में स्थित अखिलेश्वर धाम शिव मंदिर काफी अधिक प्रचलित है कहा जाता है की इस शिव मंदिर को भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था

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लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन स्थानीय लोगो का लाइफलाइन है lohardaga ranchi passenger train is lifeline of local people

रांची रेलवे स्टेशन:- उतर पूर्वी  रेलवे से जुड़ा लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन इन क्षेत्रों के जीवन शैली  है इसके बिना रांची लोहरदगा सुना सुना सा लगता है, महज 68 किलोमीटर की इस दूरी में लाखो यात्री औसतन प्रतिदिन इस पैसेंजर ट्रेन में यात्रा करते हैं , जिसमें , ऑफिस वर्कर से लेकर मजदूर वर्ग तक के सभी लोग यात्रा करते हैं, इसके विशेष कड़ी यह है कि रांची लोहरदगा की दूरी मात्र घंटे में पूरा करते हैं,लोहरदगा रांची रेलवे जब से क्षेत्र में खुली है

लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन स्थानीय लोगो का लाइफलाइन है lohardaga ranchi passenger train is lifeline of local people

क्षेत्र के जनजीवन के लिए लाइफ लाइन एवं राजधानी रांची को जोड़ने का सबसे सरल और आसान रास्ता लोहरदगा रांची रेलवे है जिससे रोजाना लाखों की संख्या में यात्री सफर करते हैं एवं सुविधाओं का लाभ लेते हैं, रांची और लोहरदगा के बीच में आने वाले स्टेशन 8 स्टेशन हैं जिसमें से लोहरदगा सबसे बड़ा स्टेशन है और बाकी सभी छोटे छोटे स्टेशन है इस रूट मे दो ट्रेनें चलती है, डाल्टेनगंज से रांची जोकि एक्सप्रेस है और जो लोकल ट्रेन चलती है वह है रांची से लोहरदगा टोरी तक जाती है, रांची से सुबह 4:45 में खुलती है एवं 1 घंटे में आपको लोहरदगा पहुंच आती है,

लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन लोगों का जीवन शैली बदलने का जरिया है

रांची से लोहरदगा (Ranchi to Lohardga )का टिकट प्राइस ₹20 है आपको यह भी बता दे कि महज ₹20 में आप लोहरदगा से रांची और रांची से लोहरदगा आना-जाना करते, यद्यपि देखा जाए तोयह लोहरदगा से रांची एक लाइफ लाइन की तरह काम करती है जिसमें गरीब से गरीब दब के लोग इस में यात्रा करते हैं एवं अपने काम सुविधाओं के अनुसार अपने काम को निपटारा करते हैं,  टाइमली चलती है इसलिए इस रूट पर समय-समय पर बहुत ही ज्यादा भीड़ होता है एवं ट्रेनों मेंसीट तक नहीं मिलती आपको खड़े होकर जाना पड़ता है फिर भी लोग अर्जेंट करते हैं क्योंकि उनके यहां से दूरी कम पड़ते हैं एवं पैसे भी कम लगते हैं हम जल्दी पहुंच जाते हैं तो इस तरह लोहरदगा से रांची और रांची से लोहरदगा आने जाने वाले के लिए यह पैसेंजर एक लाइफ लाइन की तरह काम करती है हम लोगों के दैनिक जीवन की रूपरेखा में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, तो चलिए देखते हैं कि रांची से लोहरदगा के बीच में आने वाले स्टेशनों के बारे में कुछ जानते हैं एवं पढ़ते हैं सबसे पहले बात आती है और

अरगोड़ा स्टेशन:- रांची स्टेशन से महज 3 किलोमीटर पश्चिम में स्थित और छोटा स्टेशन रांची में ही है परन्तु छोटा स्टेशन होने की वजह से केवल रांची लोहरदगा पैसेंजर ट्रेन ही रुकती है , यहां से भी यात्री अपनी सुविधा के अनुसार लोहरदगा पैसेंजर ट्रेन में चढ़ते हैं एवं उतरते हैं

 

 

 

 

पिस्का नगडी:-अरगोड़ा स्टेशन के बाद पिस्का नगरी आता है यह रांची का लास्ट छोर पर स्टेशन है इसके बाद आपको रांची ट्रांस छोड़ना पड़ता है, यहां से उतरकर आप रातू रोड कटहल मोर और आप गुमला के लिए भी जा सकते हैं, जिस किसी को भी रातू रोड या कटहल मोड़ जाना होता है वे लोग यही उतर जाते हैं क्यों यही से टेंपो मैं बैठकर चले जाते हैं

 

 

 

इटकी :-पिस्का नगरी के बाद इटकी  स्टेशन पड़ता है जिस में औसतन, रांची आने वाले ही  लोकल लोगी चढ़ते हैं,इतकी में  मुस्लिम समुदाय के लोग अधिक रहते हैं,

तांगर बसली :-इटकी ईद की स्टेशन के बाद इस रूट में टांगर बसली जो स्टेशन है उसमें दो रूट है जिसमें ट्रेन को पास जाने की अनुमति है मतलब कि दूसरा ट्रेन यहां से गुजर सकती है जो दूसरा ट्रेन यहां से आती है वहीं से पास होकर जाती हैइस तरह यदि देखा जाए तो लोहरदगा रांची के बीच में टांगर बसली एक ऐसा स्टेशन है जिसमें ट्रेनों को पास करने की काफी जगह है

 

 

नरकोपी:-नर्कोपी जोग एक छोटा स्टेशन है और कम घनी आबादी वाले क्षेत्र होने की वजह से टाइमली भीड़ हो पाती है परंतु जिसमें ट्रेनें आती है, यहां काफी भीड़ होती है इधर के लोग मुख्यता सब्जीलेकर रांची मंडी में बेचने को जाते हैं एवं अपना जीवन गुजारा करते हैं क्षेत्र का मुख्यता व्यवसाय कृषि है इसलिए विषय में सभीसब्जी वगैरह लेकर रांची की ओर जाते हैं और बेचकर पैसे कमाते हैं,जो मजदूर और के लोग हैं जो खुली रह जा या राजमिस्त्री का काम करते हैं वह भी सुबह ट्रेन के माध्यम से जाते हैं एवं दिन भर काम करने के बाद शाम को वापस आते हैं

 

 

नगजुआ:-नागजुआ यहां के ग्रामीण लोग भी कृषि पर आधारित हैं एवं सब्जी का उत्पादन करते हैं और सब्जी को बिक्री करने के लिए राजी के मंडी में ले जाया करते हैं,प्रतिदिन यहां से तरह-तरह की सब्जियां लेकर ट्रेन के माध्यम से जाते हैं तो हम बिक्री कर अपना दैनिक दिनचर्या गुजारा करते हैं

आकासी:-अकाशी रेलवे स्टेशन यह छोटा रेलवे स्टेशन है यहां से आप बनरा चट्टी जा सकते हैं, यह छोटा सा बाजार भी लगता है जिससे यहां के लोग अपने सब्जियों जी को बिक्री भी कर लेते हैं एवं दैनिक दिनचर्या गुजारा करने के लिए कुछ धंधा पानी भी कर लेते हैं,

 

इरगांव -लोहरदगा से सटे होने के कारण स्टेशन का उतना महत्व नहीं है परंतु फिर गांव में भी काफी भीड़ होता है क्योंकि जो लोग लोहरदगा से सटे हैं वह लोहरदगा कमाने की ख्याल से आते हैं चाहे स्टूडेंट मजदूर या वर्कर हो सभी लोग समय से  ट्रेन से आ कर अपना काम कर समय से घर चले जाते हैं इस वजह से इस स्टेशन पर भी काफी भीड़ होती है,

 

 

 

लोहरदगा स्टेशन:-लोहरदगा रेलवे स्टेशन वैसे तो बुक साइड नगरी के नाम से जाना जाने वाला लोहरदगा लोहरदगा रेलवे स्टेशन अपने आप में एक मिसाल है, बड़ा जंक्शन या बड़ा स्टेशन नहीं होने के बावजूद भी यहां से औसतन रोजाना लाखों की संख्या में यात्री यहां से राजधानी रांची के लिए जाते हैं एवं आते हैं यहां से आप टोरी चंदवा डाल्टेनगंज भी जा सकते हैं क्योंकि यह ट्रेन चलती भी है और यहां से जो लोग रांची जाते हैं दिन भर काम करने के बाद शाम को वापस उसी

Lohardaga Railway Train is a way to change the life style of the people ?

ट्रेन से आ जाते हैं तो इसलिए भी यह लोहरदगा से रांची के लिए छोड़ देगा पैसेंजर ट्रेन बहुत ही बड़ा योगदान साबित होता है

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Ranchi to Lohardaga train time table 2023
रांची से लोहरदगा
Lohardaga to Ranchi train

lohardaga ranchi passenger train is a way to change the life style of people

Devaki Baba Dham Mandir Ghaghra || देवाकी धाम घाघरा |प्राचीन शिव मंदिर देवाकी घाघरा गुमला

गुमला जिले के घाघरा प्रखंड में घाघ नदी के किनारे में स्थित देवाकी बाबा धाम मंदिर घाघरा (Devaki Baba Dham Mandir Ghaghra) जो प्राचीन शिव जी के शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है, सावन मास के महीनों में  बाबा बैजनाथ धाम की तर्ज पर यंहा भी एक माह तक मेला लगया जाता है पुरे सावन भर हर सोमवार को शिव जी का दर्शन के लिए  भक्तों का बहुत अधिक भीड़ होती है जिले के जगह जगह से लोग यहाँ आकर पूजा अर्चना एवं शिव लिंग पर जल चढ़ाकर जाते हैं ,सन 1967-68 के बीच में यहाँ शिवलिंग का खोज हुआ था, जिसके फलस्वरूप ऊपर यहा Devaki Baba Dham Mandir Ghaghra || देवाकी धाम घाघरा भव्य मंदिर का निर्माण किया गया यह मंदिर प्राचीन शिव मंदिर देवाकी घाघरा गुमला के नाम से प्रसिद्ध है |

देवाकी बाबा धाम मंदिर घाघरा गुमला के बारे में जानते हैं ?

जिला मुख्यालय से कितनी दूर है देवाकी बाबा धाम?

जिला मुख्‍यालय से 30 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित देवकी बाबा धाम का भव्य मंदिर है, जहां हर साल यहां मेला लगता है वहीं दूर-दूर से लोग भोले बाबा के दर्शन करने आते हैं

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कितने मंदिर हैं देवाकी धाम में

देवाकी बाबा धाम में एक मुख्य मंदिर भोलेनाथ जी का शिवलिंग का से सजा मेन मंदिर है जो राजकीय मुख्य घाघरा नेतरहाट मुख्य मार्ग से सटा हुआ ही है साथ ही बगल में माता पार्वती जी का भी मंदिर है, उसके साथ नदी के उस पार एक और शिवलिंग का मंदिर है जिसके रखवाली श्रीगणेश जी करते हैं, ऐसा इसलिए क्योकि मंदिर के बहार श्रीगणेश जी का पत्थर से बने दो मूर्ति नुमा मूर्ति हैं जो मंदिर के सामने हैं, साथ ही मुख्य मंदिर के निचे की और एक हनुमान जी का मंदिर भी है इस तरह से चार हैं

बरसात के आते ही सावन की तैयारी लोग जुट जाते हैं इस बार भी देवाकी बाबा धाम में भारी भड़कम भीड़ रहेगी,लोगों ने मेला से सजे दुकान,मिठाई की दुकान ,फुल की दुकान,एवं देसी होटल सभी दुकानदार अपने दुकान खोल तैयार बैठे हैं |

Devaki Baba Dham Mandir Ghaghra || प्राचीन शिव मंदिर देवाकी घाघरा गुमला

आप देवाकी धाम कैसे आ सकते हैं?

आप देवाकी धाम निम्नलिखित साधनों से आ सकते हैं

  • रेलमार्ग
  • हवाई जहाज
  • बस
  • व्यक्तिगत गाड़ी

यदि आप झारखंड के  बाहर से आ रहे हैं तो आपको सबसे पहले :-

  • रेलमार्ग से Jharkahnd की राजधानी रांची रेलवे Station में उतरना होगा उसके बाद वंहा से लोहरदगा के लिए लोकल ट्रेन पकड़ कर लोहरदगा आना होगा उसके बाद लोहरदगा रेलवे स्टेशन से बस या छोटी गाड़ी पकड़ कर सीधे आप देवाकी धाम आ सकते हैं |
  • हवाई मार्ग से आपको सबसे पहले रांची के बिरसा मुंडा एअरपोर्ट में उतरना होगा फिर वंहा से आपको ऑटो या छोटी बस पकड़ कर सीधे आप देवाकी आ सकते हैं |
  • बस से आने के कई रास्ते हैं जिनमे से आप आ सकते हैं राजधानी रांची के आई.टी.आई बस स्टेंड ,गुमला बस स्टेड ,लोहरदगा बस स्टेंड जैसे जगहों से आप सीधे देवाकी बाबा धाम के लिए आ सकते हैं |
  • व्यक्तिगत गाड़ी से आप झारखंड के कोई भी कोना से आ सकते हैं हैं यदि आपने रास्ता नही देखा है तो बस google कर लीजिये आपको सीधे देवाकी पहुचा देगा |

नेतरहाट भी है नजदीक में जहाँ आप जाकर धूम सकते हैं |

देवाकी  बाबा धाम से 53 किलोमीटर उतर पश्चिम में स्थित झारखंड की रानी नेतरहाट भी इसी रास्ते से होकर जाते है, आप चाहे तो यहां पर नेतरहाट घुमने का भी मजा ले सकते हैं, प्राकृतिक सौंदर्य परिपूर्ण और सूर्योदय और सूर्यास्त प्वाइंट जैसे अद्भुद नजारा का लुफ्त उठा सकते हैं

बैजनाथ धाम कौन से राज्य में स्थित है?

deoghar mandir देवघर बाबा धाम मंदिर | देवघर पर्यटन स्थल

deoghar mandir देवघर बाबा धाम मंदिर | देवघर पर्यटन स्थल

देवघर: हेल्लो दोस्तों आज के इस लेख में बाबा नगरी देवघर मंदिर deoghar mandir  देवघर पर्यटन स्थल | Deoghar Tourist Places देवघर के बारे में बताने जा रहे हैं ,देवघर भारत के झारखंड राज्य में है, राजधानी रांची से उतर पश्चमी में। हिंदू धर्म के अनुसार, यह जिला झारखंड में बहुत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. हर साल सावन मास में देवघर में महीनों भर मेला लगता है। बैद्यनाथ धाम मंदिर को भारत के बारह शिव ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है

और देश के 51 शक्तिपीठों में से एक भी कहा जाता है। यह जिला धार्मिक रूप से झारखंड में अलग है। झारखंड में यह पांचवां सबसे बड़ा शहर है। भी कहा जाता है कि झारखंड की राजधानी रांची से 300 किलोमीटर दूर है |और सावन के महीनो में देवघर(Deoghar) में श्रावण के महीनों में Baba baijnath Dham में इस बार भी उमड़ेगी शिव भक्तों की भारी भीड़ होती है |

देवो के नगरी देवघर (Deoghar) का नाम कैसे पड़ा?

वैसे तो हिंदी शब्द से बना ‘देवघर’ का शाब्दिक अर्थ देवी-देवताओं का निवास स्थान (‘घर’) होता है । जहाँ पर देवी देवता निवास करते हैं | देवघर को “बैद्यनाथ धाम”, या बाबा की नगरी “बाबा धाम” से भी जाना जाता है। देवघर में पूजा भगवान शिव, जी होता है , श्रावण के महीने में महीनों तक दूर दूर से लाखो भक्त पूजा के लिए सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर देवघर बाबा बैद्यनाथ धाम जल चढाने आये करते हैं | सावन के शुभ अवसर पर यंहा महीनों तक मेला लगता है |

श्रावण के महीनों में इस बार उमड़ेगी शिव भक्तों की भारी भीड़ :-

झारखंड के देवघर में श्रावणी मेला इस बार 4 जुलाई से शुरू हो रहा है. और मेला शुरू होने में अब सिर्फ कुछ  ही दिन बाकि  हैं. झारखंड सरकार एवं देवघर जिला प्रशासन की तरफ से भी पूरा तैयारी हो चुकी है और  तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस वर्ष बाबा धाम  श्रावणी मेला दो महीने का होनेवाला है , क्योंकि श्रावणी मेले के बीच में ही मलमास है. और श्रावणी मेले का शुरुवात  4 जुलाई से 16 जुलाई तक, इसके बाद 17 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास शुरू होगा

कैसे आ सकते हैं बाबा बैजनाथ धाम (Baba Baijnath Dham) :-

देवघर बाबा की नगरी में आने के लिए आप बस,ट्रेन,हवाई जहाज ,या खुद की गाड़ी से भी आ सकते हैं | यदि आप झारखण्ड के हैं तो आपको पता ही होगा लेकिन जो लोग झारखंड से बहार के हैं उन्हें  हम बता देते हैं की आप यदि रांची से होकर आते हैं तो आपको रांची के दो बस स्टेंड खाद्गढ़ा एवं सरकारी बस डिपो स्टेशन रोड से बस पकड़ना होगा Deoghar के लिए देवघर के लिए वंहा से बस आपको मिल जाएगी |

ट्रेन से आने के लिए आपको रांची रेलवे स्टेशन से आपको देवघर के लिए स्पेशल ट्रेन भी चलाई जाएगी आप उससे भी आ सकते हैं , यदि आप खुद की गाड़ी से आना चाहते हो तो उससे भी आपको आने में सहूलियत होगी |

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बाबा बैजनाथ धाम (Baba Baijnath Dham ) का धार्मिक महत्व  इसलिए महत्वपूर्ण है ?

देवघर पर्यटन स्थल ,देवघर  को बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जानते हैं , यह एक  महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थल है। यह भारत के बारह शिव ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और पुरे भारत में देवघर का श्रावण  मेला शिव भक्तों  के लिए प्रसिद्ध है। झारखंड राज्य में  स्थित पावन धरती देवघर देवों के घर के लिए प्रसिद्ध है,

हर वर्ष जुलाई  और अगस्त के महीनों में (श्रावण महीने में ) देवघर दर्शन पर भारत के के  लगभग 5 से 6 मिलियन श्रद्धालु सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर आते हैं, जो  देवघर मुख्य मंदिर  से लगभग 108 किमी दूर स्थित  है। ,सभी भक्तों का भेष भूषा भगवा रंग का होता है और हाथ में कावर लेकर बोल बम के जय जयकारा के साथ सभी देवघर पहुचते हैं | इसी बीच श्रद्धालुवों के लिए जगह जगह उनके सुविधाओं के लिए मेडिकल खाने पिने का भी प्रबंध किया जाता है |

FAQ-
बाबा बैजनाथ धाम कब जाना चाहिए ?

बाबा बैजनाथ धाम की यात्रा आप सावन के महीने में कर सकते हैं उस समय 1 से डेढ़ महीने की बिशाल मेला लगाया जाता है जहाँ शिव भक्तों का बहुत भीड़ होता है देश कई हिस्से से लोग पूजा पाठ करने आते हैं

देवघर में क्या फेमस है द्वेघर?

देवों घर देव घर जहाँ भगवान बसते हैं बारह ज्योतिलिंग में से एक लिंग देव घर में भी स्थित है

 

Rugda Puto | Rugra Jharkhand Most expensive rugda masroom vegetable

Rugda Puto झारखंड का सबसे कीमती सब्जी रुगडा पुटू | Most expensive rugda vegetable of Jharkhand

झारखंड– जी हाँ दोस्तों आपने  मशरूम तो बहुत खाया होगा लेकिन बात करते हैं झारखंड की  Rugda Puto | Rugra Jharkhand जो Most Expensive Rugda Vegetable  Rugda Puto की  के बारे में तो आज आपको हम बताने वाले हैं कि Jharkhand ka Rugda Puto  जिसको पूर्वी भारत के झारखंड राज्य में बहुत लोकप्रिय व्यंजन माना जाता  है यह बरसात के सीज़न में बहुत अधिक मात्रा में जंगलों में पाया है, इसके न तो खेती होती है न ही किसी प्रकार का बीज होता है ये पूरे साल पेड़- पौधे के  पतझड़ से जमीन के अंदर फुफुन्द के रूप में  मशरूम जैसा गोल गोल मिट्टी से निकलता है

यह एक  लोकप्रिय व्यंजन  यहाँ का स्थानीय आदिवासी का व्यंजन है जिसे पुटु या रुगडा (Rugda Puto ) भी कहा जाता है और आम भाषा में यदि कहें तो इसे  हम इसे झारखंडी देशी मशरूम भी कह सकते हैं इसका स्वाद अनोखा है और कहते हैं इसे Nonveg वाला स्वाद आता है तो जो लोग नॉन वेज नहीं खाते हैं वे लोग भी इसे बड़े चाव से नॉन वेज की तरह खाते हैं

Rugda masroom Puto | Rugra Jharkhand झारखंड का सबसे कीमती सब्जी रुगडा पुटू

रुगड़ा पूटो -(Rugda Puto) Rugra Jharkhand पूर्वी भारत और झारखंड राज्य का एक प्रसिद्ध व्यंजन रुगडा मसरूम Puto  है , जिसे आमतौर पर झारखंड का जनजातीय खाना या आदिवासियों का प्रमुख बरसाती व्यंजन है | जो बरसात के समय जंगलों में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है जिसे हम रुगुड़ा पुटो or (Rugda Masroom Vegetable)  कहते हैं, जो मुख्य रूप से झारखंड के पाट क्षेत्र जैसी गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, रांची ,लातेहार,के जंगलो में पाया जाता है । यह व्यंजन Jharkhand rugda की प्राचीन जनजातीय भोजन परंपरा से जुड़ा हुआ है। रुगड़ा पूटो एक मशरूम (रुगड़ा) का प्रयोग करके बनाया जाता है।

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रुगड़ा पूटो बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है: The following Materials are Required to make Rugda Puto.

  • 250 ग्राम रुगड़ा मशरूम
  • 1 टीस्पून हल्दी पाउडर
  • 1 टीस्पून लाल मिर्च पाउडर
  • 2 टमाटर (बारीक़ कटे हुए)
  • 1 टीस्पून धनिया पाउडर
  • 1 प्याज़ (बारीक़ कटा हुआ)
  • नमक स्वादानुसार
  • हरा धनिया (गार्निश के लिए)
  • तेल (पकाने के लिए)
ऐसे तैयार करें रुगडा मसरूम मसाला
  • रुगडा पुटू बनाने के लिए सबसे पहले आप रुगडा को बर्तन में अच्छी तरह से धोकर उससे जमे मिट्टी को निकाले वं अच्छी तरह साफ करें
  • साफ किए हुए रुगडा पुटू को बीच से दो भागों में काट लेते हैं उसके बाद हल्दी जीरा धनिया लाल मिर्च पाउडर सहित मसालों की मिशन के साथ उसे बर्तन में पकाया जाता है और अधिक से स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें लहसुन प्याज और अदर भी शामिल कर सकते हैं

झारखंड में आंखिर रुगडा पुटू  झारखंड Rugra jharkhand को स्पेशल  (special) मसरूम  क्यों कहा जाता है 

जी हां दोस्तों आज किस लेख में आपको हम झारखंड के प्रसिद्ध Rugda Masroom के विषय में बताएंगे जो झारखंड के धरती में पाया जाता है और यह वर्ष में सिर्फ एक बार ही उगता है बरसात के सीजन में यह साल के पेड़ के नीचे या घने जंगलों के झाड़ी दार  पेड़ के नीचे यह पाया जाता है, इंसानों ने आज तक इस दुर्लभ मशरूम की खेती नहीं कर पाए इसलिए इसे झारखंड का सबसे कीमती सब्जी रुगडा पुटू ( Most expensive vegetable of Jharkhand Rugda Puto) कहा जाता है |

गुमला :-नॉनवेज वाली फिलिंग  और वह भी वेज मटन वाह क्या बात है बात  दरअसल रुगड़ा पुटू को झारखंड के आदिवासी बहुल इलाके में इसी रूप में जाना जाता है।  रुगड़ा पुटू झारखंड में बरसात में हर बाजार में आपको देखने को मिल जायेगा । इसका स्वाद एकदम खस्सी या मटन जैसा ही होता है। आज स्थानीय बाजार गुमला में मैंने जब इसका कीमत पूछा तो इसका मूल्य जानकर दंग रह गया जी हैं मटन से भी मंहगा कीमत पर बिक रहा ये देशी मसरूम रुगडा पुटू इसका कीमत 800 रु किलो बताया गया

मतलब की 200 रु में 250 ग्राम ,मैंने ये जानने के लिए जब और दुकानदार या सब्जी बेचने वाले के पास गया तो सबने एक जैसा रेट लगा रखा था चूँकि रुगडा पुटू साल में एक बार मिलता है और ये दुर्लभ तरह का सब्जी है इसलिए इसका कीमत इतना रखता है  झारखंड के लोग इसका स्वाद बड़े चाव के साथ खाते है और महंगे दामों पर भी ये रुगडा बिक जाता है , लेकिन भारत के अन्य राज्यों में भी इसका डिमांड बढ़ गया है और  इसे देश के अन्य हिस्सों में भी खाने में रूचि देखि जा रहा रही है

क्यों इसका कीमत इतना होता है ? लोगों ने बताया राज Rugda Vegetable 

दरसल रुगडा पुटू Rugda Vegetable एक दुर्लभ प्रजाति का मसरूम है जो झारखंड के जंगलों में पाया जाता है और यह सिर्फ बरसात में ही मिलता है ,जिसको यंहा के स्थानीय या आदिवासी लोग बड़े मुस्किल से खोज कर लाते हैं इस वजह से इसका मूल्य बाजार में मंहगे होते हैं इसलिए इसका कीमत मटन से भी ऊचा होता है और बाजार में लगभग 700 से 800रु किलो के भाव से बिकता है | यही कारण है की झारखंड का सबसे कीमती सब्जी रुगडा पुटू कहते हैं और झारखंड सरकार कृषि के लिए किसान वर्ग के लिए समय समय पर  नए नए योजना का सुभारम करती है

 

FAQ-

  1. रुगडा मसरूम  Rugda masroom Vegetable  कर सब्जी बहुत सवाद -दुर्लभ सब्जी होने के नाते इसका टेस्ट मटन जैसा लगता है इसलिए इसे “VEG MUTON ” भी कहते हैं
  2. क्यों महंगा है रुगडा -वर्ष में एक पाए जाने वाले इस सब्जी का कीमत बाजार में  बहुत महगा होता है  ऐसा इसलिए की की इसकी खेती प्राकृतिक तरीके से होती है इसमें किसी मनुष्य का को हस्तेक्षप नही होता है |
  3. रुगडा कहाँ पाया जाता है -यह मुख्यत झारखंड के जंगलों में पाया जाता है
  4. रुगडा CARRY कैसे बनाया जाता है –