रांची रेलवे स्टेशन:- उतर पूर्वी रेलवे से जुड़ा लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन इन क्षेत्रों के जीवन शैली है इसके बिना रांची लोहरदगा सुना सुना सा लगता है, महज 68 किलोमीटर की इस दूरी में लाखो यात्री औसतन प्रतिदिन इस पैसेंजर ट्रेन में यात्रा करते हैं , जिसमें , ऑफिस वर्कर से लेकर मजदूर वर्ग तक के सभी लोग यात्रा करते हैं, इसके विशेष कड़ी यह है कि रांची लोहरदगा की दूरी मात्र घंटे में पूरा करते हैं,लोहरदगा रांची रेलवे जब से क्षेत्र में खुली है
लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन स्थानीय लोगो का लाइफलाइन है lohardaga ranchi passenger train is lifeline of local people
क्षेत्र के जनजीवन के लिए लाइफ लाइन एवं राजधानी रांची को जोड़ने का सबसे सरल और आसान रास्ता लोहरदगा रांची रेलवे है जिससे रोजाना लाखों की संख्या में यात्री सफर करते हैं एवं सुविधाओं का लाभ लेते हैं, रांची और लोहरदगा के बीच में आने वाले स्टेशन 8 स्टेशन हैं जिसमें से लोहरदगा सबसे बड़ा स्टेशन है और बाकी सभी छोटे छोटे स्टेशन है इस रूट मे दो ट्रेनें चलती है, डाल्टेनगंज से रांची जोकि एक्सप्रेस है और जो लोकल ट्रेन चलती है वह है रांची से लोहरदगा टोरी तक जाती है, रांची से सुबह 4:45 में खुलती है एवं 1 घंटे में आपको लोहरदगा पहुंच आती है,
लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन लोगों का जीवन शैली बदलने का जरिया है
रांची से लोहरदगा (Ranchi to Lohardga )का टिकट प्राइस ₹20 है आपको यह भी बता दे कि महज ₹20 में आप लोहरदगा से रांची और रांची से लोहरदगा आना-जाना करते, यद्यपि देखा जाए तोयह लोहरदगा से रांची एक लाइफ लाइन की तरह काम करती है जिसमें गरीब से गरीब दब के लोग इस में यात्रा करते हैं एवं अपने काम सुविधाओं के अनुसार अपने काम को निपटारा करते हैं, टाइमली चलती है इसलिए इस रूट पर समय-समय पर बहुत ही ज्यादा भीड़ होता है एवं ट्रेनों मेंसीट तक नहीं मिलती आपको खड़े होकर जाना पड़ता है फिर भी लोग अर्जेंट करते हैं क्योंकि उनके यहां से दूरी कम पड़ते हैं एवं पैसे भी कम लगते हैं हम जल्दी पहुंच जाते हैं तो इस तरह लोहरदगा से रांची और रांची से लोहरदगा आने जाने वाले के लिए यह पैसेंजर एक लाइफ लाइन की तरह काम करती है हम लोगों के दैनिक जीवन की रूपरेखा में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, तो चलिए देखते हैं कि रांची से लोहरदगा के बीच में आने वाले स्टेशनों के बारे में कुछ जानते हैं एवं पढ़ते हैं सबसे पहले बात आती है और
अरगोड़ा स्टेशन:- रांची स्टेशन से महज 3 किलोमीटर पश्चिम में स्थित और छोटा स्टेशन रांची में ही है परन्तु छोटा स्टेशन होने की वजह से केवल रांची लोहरदगा पैसेंजर ट्रेन ही रुकती है , यहां से भी यात्री अपनी सुविधा के अनुसार लोहरदगा पैसेंजर ट्रेन में चढ़ते हैं एवं उतरते हैं
पिस्का नगडी:-अरगोड़ा स्टेशन के बाद पिस्का नगरी आता है यह रांची का लास्ट छोर पर स्टेशन है इसके बाद आपको रांची ट्रांस छोड़ना पड़ता है, यहां से उतरकर आप रातू रोड कटहल मोर और आप गुमला के लिए भी जा सकते हैं, जिस किसी को भी रातू रोड या कटहल मोड़ जाना होता है वे लोग यही उतर जाते हैं क्यों यही से टेंपो मैं बैठकर चले जाते हैं
इटकी :-पिस्का नगरी के बाद इटकी स्टेशन पड़ता है जिस में औसतन, रांची आने वाले ही लोकल लोगी चढ़ते हैं,इतकी में मुस्लिम समुदाय के लोग अधिक रहते हैं,
तांगर बसली :-इटकी ईद की स्टेशन के बाद इस रूट में टांगर बसली जो स्टेशन है उसमें दो रूट है जिसमें ट्रेन को पास जाने की अनुमति है मतलब कि दूसरा ट्रेन यहां से गुजर सकती है जो दूसरा ट्रेन यहां से आती है वहीं से पास होकर जाती हैइस तरह यदि देखा जाए तो लोहरदगा रांची के बीच में टांगर बसली एक ऐसा स्टेशन है जिसमें ट्रेनों को पास करने की काफी जगह है
नरकोपी:-नर्कोपी जोग एक छोटा स्टेशन है और कम घनी आबादी वाले क्षेत्र होने की वजह से टाइमली भीड़ हो पाती है परंतु जिसमें ट्रेनें आती है, यहां काफी भीड़ होती है इधर के लोग मुख्यता सब्जीलेकर रांची मंडी में बेचने को जाते हैं एवं अपना जीवन गुजारा करते हैं क्षेत्र का मुख्यता व्यवसाय कृषि है इसलिए विषय में सभीसब्जी वगैरह लेकर रांची की ओर जाते हैं और बेचकर पैसे कमाते हैं,जो मजदूर और के लोग हैं जो खुली रह जा या राजमिस्त्री का काम करते हैं वह भी सुबह ट्रेन के माध्यम से जाते हैं एवं दिन भर काम करने के बाद शाम को वापस आते हैं
नगजुआ:-नागजुआ यहां के ग्रामीण लोग भी कृषि पर आधारित हैं एवं सब्जी का उत्पादन करते हैं और सब्जी को बिक्री करने के लिए राजी के मंडी में ले जाया करते हैं,प्रतिदिन यहां से तरह-तरह की सब्जियां लेकर ट्रेन के माध्यम से जाते हैं तो हम बिक्री कर अपना दैनिक दिनचर्या गुजारा करते हैं
आकासी:-अकाशी रेलवे स्टेशन यह छोटा रेलवे स्टेशन है यहां से आप बनरा चट्टी जा सकते हैं, यह छोटा सा बाजार भी लगता है जिससे यहां के लोग अपने सब्जियों जी को बिक्री भी कर लेते हैं एवं दैनिक दिनचर्या गुजारा करने के लिए कुछ धंधा पानी भी कर लेते हैं,
इरगांव -लोहरदगा से सटे होने के कारण स्टेशन का उतना महत्व नहीं है परंतु फिर गांव में भी काफी भीड़ होता है क्योंकि जो लोग लोहरदगा से सटे हैं वह लोहरदगा कमाने की ख्याल से आते हैं चाहे स्टूडेंट मजदूर या वर्कर हो सभी लोग समय से ट्रेन से आ कर अपना काम कर समय से घर चले जाते हैं इस वजह से इस स्टेशन पर भी काफी भीड़ होती है,
लोहरदगा स्टेशन:-लोहरदगा रेलवे स्टेशन वैसे तो बुक साइड नगरी के नाम से जाना जाने वाला लोहरदगा लोहरदगा रेलवे स्टेशन अपने आप में एक मिसाल है, बड़ा जंक्शन या बड़ा स्टेशन नहीं होने के बावजूद भी यहां से औसतन रोजाना लाखों की संख्या में यात्री यहां से राजधानी रांची के लिए जाते हैं एवं आते हैं यहां से आप टोरी चंदवा डाल्टेनगंज भी जा सकते हैं क्योंकि यह ट्रेन चलती भी है और यहां से जो लोग रांची जाते हैं दिन भर काम करने के बाद शाम को वापस उसी
Lohardaga Railway Train is a way to change the life style of the people ?
ट्रेन से आ जाते हैं तो इसलिए भी यह लोहरदगा से रांची के लिए छोड़ देगा पैसेंजर ट्रेन बहुत ही बड़ा योगदान साबित होता है
इसे भी पढ़े देवाकी बाबा धाम के बारे पढ़े