हेल्लो दोस्तों आज के इस लेख में Saag के बारे में जानेंगे एक स्वादिष्ट और पोषणयुक्त साग है, जो हमारे देश के हर वर्ग के लोग सभी क्षेत्रों में बड़े मजे के साथ खाते हैं । यदि सगो राजा कहे तो सरसों का साग सबसे ऊपर स्थान रखता है हर घर में सब्जी के साथ साग का स्वाद का चखा जाता है यदि बात साग व अन्य पत्तियों जैसे कोइनर और पोई का भी उपयोग होता है जिसे भी लोग स्वादिष्ट बनाकर खाते हैं तो चलिए आगे पढ़ते हैं की Saag के प्रकार और सागो का राजा Sarson Saag | Types of Jharkhandi Saag वो अन्य सागो के बारे में
तो 09 तरह के साग के बारे में आज बताते हैं जिसे हम विस्तार से जानेंगे
लवाई साग
झारखंड के जंगलों में पाया जाने वाला एक और साग जिसे लोग बहुत कम जानते हैं जो जंगल में होता है और इसे जंगल से तोड़ कर लाते हैं और स्थानीय बाजार में इसको बिक्री करते हैं यह साग का टेस्ट सांभर की तरह खट्टा लगता है और इसको भी लोग बड़े चाव से खाते हैं बरसाती साग होने के नाते यह केवल बरसात के दिनों में ही जंगल में पाया जाता है इसलिए जो जंगल के लोग होते हैं उसके लिए रोजगार के साधन भी जाते हैं और जब वह स्थानीय बाजार आते हैं तो यह साग को लेकर बाजार में बिक्री करते हैं
बांस का करिल (bamboo shoots)
बरसात के सीजन आते ही बंबू यानी बास का “करिल”जब बंबू से नया नया पौधा निकलता है तो उसे हम करिल के रूप में जानते हैं और इसको झारखंड वासियों बहुत ही चाव से खाते हैं , आगे झारखंड के जंगलों में पाया जाता है वैसे तो गांव घर में ही बांस पाया जाता है परंतु जंगल वाला का स्वाद कुछ अलग होता है अरे बाजार में बहुत मांगे दामों में बिकता है इसमें बहुत अधिक मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो हमारे हड्डियों को मजबूत करने में सहायता प्रदान करता है साथ ही इसमें फाइबर की मात्रा भी मिलता है जिससे हमारे खून का संचार जो है वह बहुत अच्छा तरीका से बना रहता है
What is the taste of Jharkhandi Saag? 09 types of greens Red Gandhari, Green Gandhari, Kalmi, Bathua, Poi, Beng, Muchari, Koinar, Munga, Sanai, Sunsunia
गंधारी साग कहते हैं कि खाने में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है उसी में झारखंड में बरसात के सीजन में गंधारी साग अपने आप में एक सागो का टेस्ट बदल देता है जहां दोस्तों गंधारी साग बरसात के सीजन में पाया जाता है इस आग में शरीर में विटामिन कमी से लड़ने वाले सभी प्रकार की कैल्शियम विटामिन मिनरल्स आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो हमारे शरीर के मांसपेशियों का निर्माण करने और शरीर में ऊर्जा प्रदान करने में लाभ प्राप्त होता है
खुखड़ी
बारिश के दिनों में उत्पन्न होने वाला कुकड़ी जिसे हम देसी मशीन के नाम से भी जानते हैं यह एक प्राकृतिक द्वारा उत्पन्न जनों से प्राप्त मशरूम टाइप पर खड़ी है जिसे बारिश के दिनों में ही देखने को मिलता है झारखंड का एक विशेष प्रकार का सब्जी है जो बरसात के दिनों में जंगलों में मिलता है और इसे झारखंड के लोग पहुंचा से खाते हैं इसे किसी प्रकार के बीज या मानव निर्मित किसी प्रकार का सहयोग से नहीं बनता बल्कि यह प्राकृतिक तरीका से उत्पन्न होता है
Saag के प्रकार और सागो का राजा Sarson Saag | Types of Jharkhandi Saag
पोइ साग
घर के आस-पास में मिलता है ये साग जिसको हमलोग पोई साग कहते हैं इसका जो पौधा होता है वह सांप की तरह ऊपर की ओर जाता है और इसका जो पता होता है पान की छोटे पत्ते की तरह छोटे छोटे आकार का होता है और इसमें लाल लाल दाने निकलते हैं जो बहुत ही लाल होते हैं पकने के बाद जब उसको आप तोड़ के हाथ में मसलते हैं तो खून की कलर के जैसा दिखता है खाने में स्वादिष्ट लगता है और स्थानीय बजाने में बिक्री के लिए लोग ले जाया करते हैं जिसे पोई साग कहते हैं
बेंग साग
इस साग को स्थानीय नाम में इसे बैंग साग बोलते हैं जिसको हम मेंढक साग भी बोलते हैं ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि जो मेंढक होता है वह इस सागो के बीच में बहुत अधिक रहता है और काफी आवाज करते रहता है ये साग मुख्यत खेतों के आसपास पानी की सतहों में होता है, छोटे-छोटे मेंढक आस-पास रहते हैं आवाज करते रहते हैं और इसलिए सबको बैंग साग (Frog Sag) कहते हैं
भदली साग
बात अगर बरसाती साग के बारे में कहीं रहे हैं तो भदली साग को भी आप जरूर स्वाद चखिए जंगलों में पाए जाने वाला एक प्रकार का साग है जिसका गंध चमगादड़ या भदली की तरह महकता है इसलिए सबको भदली साग या चमगादड़ साग भी कहते हैं
कोईनार साग
खेतों और घरों के आस पास में पाए जाने वाला पेड़ जिसका पत्ता को साग के रूप में भी खाया जाता है जिसे कोईनार साग के रूप में जानते हैं इसमें गुलाबी कलर का फूल खुलता है और इसके नरम पत्ते को साग रूप में खाते हैं,इसके पेड़ जायदा बड़ा नही होता है और इसमें आसानी लोग पेड़ में चढ़कर साग तोड़ लेते है |
मुनगा (सहजन ) साग का पेड़
झारखंड के हर हिस्से में पाए जाने वाला मूनगा पेड़ का साग सभी के घर में पाया जाता है और इसे 12 महीना साग सब्जी के रूप में इसका स्वाद लिया करते हैं यह एक ऐसा पेड़ है जिसका तीन तरह का सब्जी होता है पत्ते से ,इसके फल से ,और उसके फूल से इस तरह से जिसका हम 12 महीना सब्जी के रूप में खाते हैं
झारखंड में साग ओर साग में पाए जाने वाले पोषण एवं बिटामिन अनेकों प्रजातियों में शामिल लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया, फुटकल, गिरहुल, चकोर, कटई/सरला, कांडा और मत्था झारखंड के लोगों का भोजन के साथ खाने वाले बेहतरीन साग है
चोकड़ साग
बरसात के मौसम में चौकड़ साग आपको अपने गाँव घर के आस पास देखने को मिलता है इस साग को ताजा एवं सुखा के भी खाया जाता है
सरसों का साग को हर कोई पसंद करता है और इसे देश के सभी जगह खाया जाता है इसलिए ये साग सागो में सबसे ऊपर स्थान रखता है
झारखंडी साग का स्वाद कैसा होता है? What is the taste of Jharkhandi Saag?09 तरह के साग लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया
FQA?-
साग क्या होता है ?
झारखंड में कितने प्रकार के साग मिलता है ?-वैसे तो भारत में भिन्न भिन्न प्रकार से saag पाए जाते हैं देश के अलग अलग हिस्से में परन्तु झारखंड मुख्यः सरसों साग ,साग लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया का नाम पहले आता है
09 प्रकार से साग जिसमे पाए जाते हैं अनेकों पोषक तत्व ?
Ans-09 तरह के साग लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया
झारखंड में पाए जाने वाले प्रमुख साग ?