Jharkhand five famous temple || झारखंड के 05 प्रसिद्ध मंदिर

Jharkhand five famous temple

 Jharkhand five famous temple झारखंड के 05 प्रसिद्ध मंदिर

हिंदू धर्म के अनुसार मंदिर उनके भगवानों का घर होता  है आज इस लेख में झारखंड के 05 प्रसिद्ध मंदिर Jharkhand five famous temple के बारे में बात करने वाले हैं  भारत के झारखंड राज्य  में कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं जहां हजार वर्ष पहले से मंदिर यहां पर स्थापित है वैसे तो सभी धर्म का अर्थ यही होता है कि सबका मालिक एक है यानी कि ईश्वर एक है परंतु मानने का जो रीति रिवाज है

jharkhand five famous temple

वह अनेक प्रकार से अलग-अलग है हिंदू रीति रिवाज के अनुसार हिंदू लोग अपने मंदिर पर स्थान में जाकर पूजा अर्चना करते हैं ठीक उसी तरह से मुस्लिम संप्रदाय अपने मस्जिद में नमाज पढ़ते हैं ईसाई लोग अपने चर्च में ईश्वर को प्रार्थना करते हैं अन्य इसी तरह से अपने धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार भगवान को याद करते हैं आज आपको इस लेख के माध्यम से बताने वाले हैं कि झारखंड के 05 प्रसिद्ध मंदिर के बारे में Jharkhand five famous temple  ऐसे मंदिर जो अति प्राचीन और अपने आप में प्रसिद्ध है

1. महामाया मंदिर, हापामूनी (गुमला)

झारखंड का सबसे अधिक प्राचीन एवं शक्ति पीठ मंदिर का रूपरेखा पुराने रूपरेखा की तक पर है आज भी आप मंदिर को देखेंगे तो कच्चा मकान पर ही विराजमान है,

महामाया मंदिर हपामुनी

राजधानी रांची से मार्च 105 किलोमीटर पश्चिम स्थित घाघरा नामक जगह से 3 किलोमीटर उत्तर पश्चिम महामाया मंदिर स्थित है इस मंदिर का निर्माण कल नागवंशी राजा गजघंट ने सन 1908 ईस्वी में करवाया था और इस जगह का नाम हापामुनी के नाम से जानते हैं इस मंदिर पर माता काली का मूर्ति है लोग दूर-दूर से महामाया मंदिर के दर्शन के लिए यहां पर आते हैं क्यों अपने मनोकामना पूर्ण करते हैं

2. छिन्नमस्तीके मंदिर, रजरप्पा (रामगढ़)

माता छिन्नमस्ती के मंदिर रजरप्पा रामगढ़ से लगभग 27 किलोमीटर दामोदर नदियों के संगम पर स्थित है यह एक शक्तिपीठ है और जो लोग सच्चे मन से इस स्थल पर  जाकर मन्नत मांगते हैं उनका मनोकामना अवश्य पूर्ण होता है ऐसा माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए आते हैं उनका मनोकामना आवश्यक पूर्ण होता है, इस मंदिर में माता काली का भव्य मूर्ति है जिसमें माता काली का अपने सर को हाथ में लिए हुए अभी खड़ी है इस मंदिर को देखने के लिए झारखंड पश्चिम बंगाल उड़ीसा बिहार जैसे दूधराज से लोग भी यहां पर आते हैं हम अपनी मानव मनोकामना पूर्ण करते हैं

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नोट: झारखंड के गुमला जिले के टोटो गाँव के समीप आंजन धाम प्रसिद्ध है हनुमान जी के जन्म स्थल के लिए झारखंड राज्य में अनेको ऐसे धार्मिक स्थल हैं जिन्हें आपको जानना चाहिए इसके लिए झारखंड पर्यटन की आधिकारिक वेबसाइट https://tourism.jharkhand.gov.in/   से आप jharkahnd के बारे में और अधिक जान सकते हैं |

3.  मां उग्रतारा मंदिर, चंदवा

झारखंड की लातेहार जिला में स्थित माता उग्रतारा मंदिर प्रखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर रांची क्षेत्र मार्ग पर यह हजारों वर्ष पुराना शक्तिपीठ मंदिर जहां लोग झारखंडमाँ उग्रतारा चंदवा ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य के अन्य जिलों से यहां पर दर्शन के लिए आते हैं एवं अपने मनोकामना पूर्ण करके जाते हैं, वैसे इस मंदिर को बोलचाल के भाषा में नगर के नाम से जानते हैं और यह नगर चंदवा के नाम से प्रसिद्ध है

4. देवडी  मंदिर, रांची

रांची जमशेदपुर मार्ग पर स्थित तमाड़ में स्थित देवी मंदिर में 16 भूजी देवी का मंदिर है भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रह चुके महेंद्र सिंह धोनी की पूजा करने केदेवडी मंदिर लिए यहीं पर आया करते थे कहते हैं कि सच्चे मन से यदि यहां पर मनोकामना मांगते हैं तो आपका मनोकामना पूरा हो जाता है इसी वजह से लोग दूर-दूर से जगह आते हैं और अपने श्रद्धा के अनुसार पूजा पाठ करते हैं।

5.मां भद्रकाली मंदिर, चतरा

माता भद्रकाली का मंदिर चतरा जिले के इटखोरी गांव में बादली गांव में स्थित है कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पाल काल में हुआ था जो लगभग पांचवी या 36वीं शताब्दी के आसपास स्थापित किया गया था जब आप इस मंदिर के प्रांगण में आते हैं तो आपको चारों ओर भगवान बुद्ध की मूर्तियां दिखाई देती है और साथ ही इसके चार दिवार के ऊपर लकड़ी का गहरा गड्ढा है जहां पानी रहता है

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टांगीनाथ मंदिर: रहस्यमयी शिवधाम जहां टंगी है इतिहास की तलवार

टांगीनाथ मंदिर: रहस्यमयी शिवधाम जहां टंगी है इतिहास की तलवार

Jharkhand राज्य के  गुमला जिला में स्थित टांगीनाथ धाम tanginath dham भगवान परशुराम के फारशा के लिए प्रसिद्ध है और यह धाम  डुमरी प्रखंड में स्थित हैं टांगीनाथ  मंदिर का रहस्य क्या है इस संबंध में भगवान परशुराम के बारे में Tanginath धाम में  जानने का उल्लेख मिलता है । परशुराम भगवान विष्णु के 6 वे अवतार माने जाते हैं इसलिए उनकी व्याख्या रामायण, महाभारत भगवत गीता पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथ मिलता है झारखंड के गुमला जिला के डुमरी प्रखंड में स्थित Baba Tanginath Dham Gumla Jharkhand प्राचीन काल से मौजूद है और भगवन परशुराम के लिए यह धार्मिक स्थल प्रसिद्ध है |

टांगीनाथ मंदिर: रहस्यमयी शिवधाम जहां टंगी है इतिहास की तलवार
टांगीनाथ मंदिर: रहस्यमयी शिवधाम जहां टंगी है इतिहास की तलवार

टांगीनाथ मंदिर गुमला का कहानी  Tanginath Dham Story के बारे में 

गुमला जिला में डुमरी प्रखंड में स्थित  टांगीनाथ धाम भगवान  परशुराम से जुड़े आनको धार्मिक कथाएं यहां पर मौजूद है पौराणिक कथावों का माने तो भगवान परशुराम जो विष्णु के 06 अवतार थे और उनसे जुड़े  साक्ष्य यहाँ पर मिलते हैं आज भी कई  शिवलिंग यहाँ आपको दिखाई देते हैं  भिन्न-भिन्न कलाकृति और अत्यधिक प्राचीन काल से मौजूद यहां पर शिवलिंग के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं का भी मूर्ति आपको देखने को मिलते हैं

जब आप टांगीनाथ धाम के प्रांगण में प्रवेश करते हैं आपको एक अलग सा आभास होता है भगवान परशुराम का फरसा आज भी इस टांगीनाथ के प्रांगण में गड़ा हुआ  टांगीनाथ धाम के चारों ओर पहाड़ी से घिरा हुआ है । भगवान परशुराम ऋषि और साधु होने के साथ-साथ वह एक युद्ध कौशल में महारत हासिल था जिनका प्रमुख हथियार जो था वह कुल्हाड़ी था जिसे स्थानीय भाषा में फरसा या परशु कहा जाता है

टांगीनाथ धाम कहाँ है?और इसका नाम कैसे पड़ा Tanginath Dham history in Hindi

झारखंड के गुमला जिला के डुमरी प्रखंड में स्थित बाबा टांगीनाथ धाम गुमला जिला मुख्यालय से 74 किलोमीटर में स्थित है, भगवान परशुराम के फरसे को स्थानीय भाषा में “टांगी “कहा जाता है और शिव मतलब शिव इसलिए मिलकर टांगीनाथ कहा जाता है

Tanginath Dham क्यों  प्रसिद्ध है  Tanginath dham kyon prasidh hai 

टांगीनाथ धाम का रहस्य के बारे में रहते हैं कि भगवान परशुराम का फरसा जो है हजारों वर्ष यहां पर गड़ा हुआ है और भगवान परशुराम की कहानी के लिए गुमला जिले के डुमरी प्रखंड में स्थित टांगी नाथ बाबा धाम प्रसिद्ध  है |

 टांगीनाथ धाम मंदिर  का रहस्य | Hidden gems in India for solo travelers

टांगीनाथ धाम का रहस्य के बारे में  हैं कि भगवान परशुराम का फरसा जो है हजारों वर्ष यहां पर गड़ा हुआ है परंतु आज तक इस फरसे पर जंग नहीं लगा है यह बहुत ही विचित्र बात है और कहा यह भी जाता है कि यहां पर लोहार संप्रदाय के लोग पूजा पाठ करने नहीं आते हैं क्योंकि इसके पीछे एक बहुत बड़ी कहानी है तुमको पता है कहानी

टांगीनाथ धाम पर लोहार जाति के लोग पूजा पाठ करने क्यों नहीं आते हैं

मान्यता यह है कि टांगीनाथ धाम पर प्राचीन काल में लोहार जाति के कुछ लोग इस फरशो को उखाड़ कर कुछ बनाने के लिए ले जाने का प्रयास कर रहे थे परंतु वह इस फरसे को उखाड़ नहीं पाए और कुछ समय बाद जो इस फरशो को उखाड़ने आए थे उनका मृत्यु आकस्मिक होने लगा जिससे लोग यह मानने लगे कि यह उनके कर्मों की सजा है यह भगवान के प्रांगण में जाकर फरसा को चुराने का पाप किया है उनका यह सजा है इसलिए लोगों का मान्यता यही है कि लोहार जाति इस जगह नहीं जाते है इसी डर से लोहार संप्रदाय के लोग टांगीनाथ धाम पर पूजा पाठ करने नहीं जाते है

टांगीनाथ धाम में शिव मंदिर का निर्माण tourist attractions near me

टांगीनाथ धाम पर झारखंड सरकार और पर्यटन विभाग मिलकर पुराने शिव मंदिर का नवीनीकरण कराया गया और उसे आकर्षक बनाकर भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया वर्तमान में टांगें न थाम के प्रांगण को व्यवस्थित कर सौंदर्यीकरण कर बहुत तरीके से सुव्यवस्थित कर दिया गया है प्रतिदिन लोगों का टांगीनाथ धाम पर आना जाना लगा रहता है खास कर शिव रात्रि के समय यहाँ मेला लगता है और बहुत अधिक भीड़  होता है

टांगीनाथ धाम कैसे पहुँचे (How To Reach Tanginath Dham)

  • हवाई जहाज से
  • बस से
  • ट्रेन से
  • व्यक्तिगत गाड़ी से
  • हवाई जहाज से  राजधानी रांची के बिरसा मुंडा एअरपोर्ट आना होगा उसके बाद आप अपने सुबिधा अनुसार बस,रिक्शा या व्यक्तिगत गाड़ी से गुमला होते डुमरी और फिर tanginath धाम आ सकते हैं
  • बस से आप रांची खाद्गढ़ा बस स्टेड एवं आई टी आई बस स्टेंड रांची के माध्यम से सीधे टांगी नाथ आ सकते हैं
  • टंगी नाथ धाम की कथा  टांगीनाथ धाम का रहस्य  टांगीनाथ धाम  टंगीनाथधाम निकटतम रेलवे स्टेशन, गुमला से टांगीनाथ की दूरी,  बाबा टांगीनाथ धाम की तस्वीरें, टांगीनाथ धाम कहा है डुमरी टांगीनाथ धाम गुमला टांगीनाथ मंदिर बाबा टांगीनाथ
  • गुमला जिले के और अधिक बिस्तृत जानाकरी के लिए आप गुमला के https://gumla.nic.in/tourist-place/tanginath/ को आप visit कर सकते हैं

गुमला के आंजन धाम में हर साल लगती है लाखों सर्धालू की भीड़ इसे भी पढ़े

संसंक्षेप :- इस लेख में आप पढ़े भगवान परशुराम की बारे में जो  विष्णु के 6 वे अवतार माने जाते  हैं गुमला के इस पावन स्थल में लोग इस पुरातातिव्क धरोहर को दूर दूर से देखने के लिए आते हैं इस लेख में भगवान परशुराम के बारे में बतलाया गया है |

RSETI GUMLA || आरसेटी गुमला के ग्रामीण इलाके के लिए वरदान

RSETI GUMLA

RSETI GUMLA || आरसेटी गुमला के ग्रामीण इलाके के लिए वरदान

गुमला जिला के ग्रामीण इलाकों में रह रहे युवा वर्ग पढ़ लिखकर भी रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं इसी को मध्य नजर रखते हुए RSETI GUMLA आरसेटी गुमला के ग्रामीण इलाके के लिए वरदान भारत सरकार और झारखंड के उपक्रम RSETI उनके लिए वरदान से कम साबित नहीं हो रही है जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर सिलम घाटी के पास में सीआरपीएफ कैंप के जस्ट सामने आरसेटी का खुद का अपना भवन बनाया गया है जिसमें ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण दिया जाता है आरसेटी का संचालन बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा किया जाता है जो कि गुमला जिला में सन 2014 में शुरूआत किया गया थाआर SETI

आरसेटी गुमला का मुख्य उद्देश्य क्या है

ग्रामीण इलाके में रह रहे युवा वर्ग को हुनरमंद बनाना एवं स्वरोजगार का सृजन करना आरसेटी का मुख्य उद्देश्य है बीते कुछ सालों में आरसेटी के द्वारा ग्रामीण इलाकों के युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण देने के उपरांत ग्रामीण लोग इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा मात्रा में स्वरोजगार अपनाकर अपना घर चला रहे हैं आपको बता दें कि RSETIके माध्यम से विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जाती है जैसे बकरी पालन ,कृषि उद्यमी ,मशरूम की खेती, मछली पालन ,सब्जी की खेती, फास्ट फूड, अचार पापड़, मसाला निर्माण ,गाय पालन, कंपोस्ट तैयार करना ,हस्तशिल्प ,मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, रेशम कीट उत्पादक, जैसे अन्य प्रकार के कार्यक्रम चलाए जाता है

और इस कार्यक्रम को सीखने के उपरांत ग्रामीण लोग इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं गुना जिले में बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा इसे प्रायोजित किया जा रहा है और इसके लिए बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ग्रामीण लोगों को लोन का सुविधा भी प्रदान करता है जिससे कि वह अपना स्वरोजगार कर सके

बैंक ऑफ इंडिया ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान ,गुमला आर सेती

भारतीय कृषि प्रधान देश है और इस देश में ज्यादातर लोग गांव में निवास करते हैं गांव के ग्रामीण लोग को नई चीज की जानकारी नहीं होने की वजह से भी ज्यादातर लोग नई चीजों से अनजान रहते हैं क्योंकि गांव के लोग भोले वाले एवं कम पढ़े लिखे होने के चलते उन्हें किसी नौकरी या प्राइवेट सेक्टर में काम करने में दिक्कत आती है इस स्थिति में वे अपने क्षेत्र में स्वरोजगार की तलाश करते हैं और रोजगार काम करके पैसे कमाते हैं

इसी काम को मध्य नजर भारत सरकार के ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण योजना के तहत उनके कौशल एवं प्रतिभाओं के अनुसार रोजगार प्रदान करने का यह एक संस्था के रूप में कम कर रहा है जिसे हम RSETI कहते हैं। बैंक ऑफ  इंडिया ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान ,गुमला के देख रेख में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण दिया जा रहा है और इससे ग्रामीण लोग प्रशिक्षण उपरांत स्वरोजगार अपना रहे हैं |

वैसे तो ग्रामीण युवाओं को रोजगार का प्रशिक्षण देकर विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित कर कर खुद का रोजगार यानी स्वरोजगार या आत्मनिर्भर बनाने का एक कोशिश है जो सरकार बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है इस संस्थान का एक ही लक्ष्य की जो युवा पढ़े लिखे हैं या कम पर लिखे हैं

कोई नौकरी की तलाश में इधर-उधर ना भटके एवं अच्छे से प्रशिक्षण प्राप्त कर खुद से रोजगार अपने एवं रोजगार का सृजन पैदा करें ज्यादा लोग के पास स्वरोजगार नहीं होने की वजह से वह एक शहर से दूसरे शहर और एक राज्य से दूसरे राज्य की ओर काम की तलाश में प्रस्थान कर जाते हैं परंतु आरसीटी की मदद से ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण देने के उपरांत खुद का व्यवसाय या खुद का रोजगार शुरू कर सकते हैं और पैसे कमा सकते हैं इस दृष्टिकोण से ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण ग्रामीण इलाकों में बहुत उपयोगी साबित हो रहा है और इससे ग्रामीण लोग फायदा उठा रहे हैं

ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान का भूमिका क्या है

गांव में रह रहे युवाओं को ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थाएं के माध्यम से उन्हें शिक्षित कर स्वरोजगार अपनाने को प्रेरित करती है साथ ही कई अनेक कार्यक्रम चलाती  है जिससे ग्रामीण लोगों को अपने रुचि मुताबिक संस्कार चुनने का मौका मिले जैसे पशुपालन कढ़ाई करना, अचार बनाना, मोबाइल बनाना, हस्तकरघा  का कुटीर उद्योग, गोबर गैस बनना ,बागवानी करना, बुनाई करना जैसे अनेक क्षेत्र में काम होते हैं

ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण के माध्यम से कौन-कौन से योजनाएं चलाई जाती है ग्रामीण इलाके में रह रहे युवक पढ़ लिख कर भी रोजगार की तलाश में भटकते हैं इस वजह से उनके कौशल विकास को मध्य नजर रखते हुए ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है और स्वरोजगार का रोजगार सृजन के रूप में कार्य करता है यह रोजगार का अवसर प्रदान करता है जिससे बेरोजगारी दूर होती है एवं युवा अपने मन मुताबिक व्यवसाय करते हैं और जीविका चलाने के लिए कार्य करते हैं

गुमला के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल इसे पढ़े अंजन धाम ,टांगीनाथ,देवाकी धाम नागफेनी  

RSETI  के बगल में है  ITI Gumla Training Institute कहाँ है

गुमला शहर से 03 किलोमीटर की दुरी पर आईटीआई गुमला ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट  स्थित है  यह एक सरकारी ITI Gumla Training Institute है और यहाँ   रोजगार के लिए कंपनी भी प्लेसमेंट के लिए आता है

लोहरदगा में घूमने लायक पर्यटन स्थल Lohardaga Tourist Places in Jharkhand

लावापनी जलप्रपात

झारखंड राज्य में स्थित लोहरदगा जिला है जिसको बॉक्साइट नगरी के नाम से भी जानते हैं  वैसे तो लोहरदगा में घूमने लायक पर्यटन स्थल Tourist places to visit in Lohardaga लोहरदगा में  बहुत अधिक है परन्तु पहले आपको लोहरदगा के बारे में बताते हैं झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लोहरदगा जिला का स्थापना रांची से कटकर हुआ है  यह पहले रांची का अंग हुआ  करता था, “खनिज  संपदा से परिपूर्ण लोहरदगा जिला में बॉक्साइट बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है  (Bauxite is found in abundance in Lohardaga district which is full of mineral wealth) साथ ही कई अनेक ऐसे प्राकृतिक पर्यटक स्थल भी है जहां पर लोग भ्रमण करने के लिए हर साल बहुत अधिक मात्रा में आते हैं बॉक्साइट नगरी होने की नाते लोहरदगा में कईलावापनी जलप्रपात

बॉक्साइट की खदानें हैं जहां से बॉक्साइट का खनन होकर बाहर सप्लाई होता है और उससे अल्मुनियम के रूप में हमें लोहा मिलता है इसके साथ-साथ आपको लोहरदगा में के छोटे-बड़े नदी झरने भी आपको देखने को मिलते हैं  (Along with this, you also get to see small and big river waterfalls in Lohardaga) तो आज के इस लेख में आपको लोहरदगा के बारे में बताने की कोशिश करेंगे तो चलिए जानते हैं लोहरदगा के बारे में

लोहरदगा क्यों प्रसिद्ध है (Why Lohardaga is famous)

लोहरदगा बॉक्साइट नगरी के नाम से प्रसिद्ध यहां पर बॉक्साइट बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है जिससे जिससे फैक्ट्रियों में जाकर जिससे अलमुनियम की धातु  प्राप्त किया जाता है (Famous as Lohardaga Bauxite city, bauxite is found here in large quantities, from which aluminum metal is obtained by going to factories) लोहरदगा के बगरू पहाड़ में बॉक्साइट प्रधान है जहां से बॉक्साइट पत्थर के रूप में आता है और उसे ट्रक और ट्रेन के माध्यम से दूसरे जगह गया जाता है

लोहरदगा में घूमने की जगह कौन-कौन सी है lohardaga me ghumne ki jagah लोहरदगा की के पांच सबसे खूबसूरत जगह  Tourist Places (Five most beautiful places of Lohardaga )

1.लवापानी जलप्रपात

लावा पानी जलप्रपात लोहरदगा की सबसे प्रसिद्ध और मुख्य आकर्षण का केंद्र है यह जलप्रपात पेसरार प्रखंड में पड़ता है (Lava water waterfall is the most famous and main attraction of Lohardaga, this waterfall falls in pesrar block) जो की सुरक्षा दृष्टिकोण से अति संवेदनशील इलाका माना जाता है फिर भी हर साल सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है यह एक अच्छा पिकनिक स्पॉट है और यहां पर लोग पिकनिक में आने आते हैं

2.केकरांग जलप्रपात

लोहरदगा के (Kekrang Waterfall) बगडू पहाड़ के मध्य स्थित है और यह बानपुर डैम पश्चिम में है  , केकरांग जलप्रपात जाने के लिए आपको लोहरदगा से रास्ते होकर बानपुर के रास्ते होकर जाते हैं एक पक्की रस्ता है तो आप आसानी से जा सकते हैं

 

 

 

 

 

 

 

 

 

3.बानपुर डैम

बगरू पहाड़ी के तलहटी पर स्थित मानपुर डैम जो लोहरदगा का एक मुख्य पर्यटक स्थल के रूप में माना जाता है यह बहुत ही सुंदर और पहाड़ी को तलहटी पर मौजूद है और इसके चारों ओर बगरू पहाड़ी की हिल्स की सुंदर छोटी देखने को मिलता है आप यहां आकर अपना समय निकालकर टाइम स्पेंड कर हैं

4.नंदनी डैम (Nandani Dam)

लोहरदगा जिले में सबसे विशाल  डैम के रूप में नंदिनी दम सबसे प्रसिद्ध है (Nandini Dam is most famous as the largest dam in Lohardaga district) या डैम का मुख्य उद्देश्य यहां की किसान वर्ग के लिए पानी की सिंचाई के रूप में किया गया था जिसे नहर के माध्यम से पानी की निकासी होते हैं और यहाँ के किसान वर्ग इस डैम से नहर के माध्पायम से  पानी का उपयोग करके अपने खेतों में फसल उगाया करते हैं नंदिनी डैम बहुत बड़े  क्षेत्रफल में फैला हुआ है, बहुत बड़े भूभाग में फैले हुए और विशाल  होने के कारण इसके फाटक भी बहुत अधिक है बरसात के दिनों में इस फाटक को  खोल दिया जाता है क्योंकि इस डैम में पानी बहुत अधिक होने की वजह से पानी निकासी किया जाता है

लोहरदगा से नेतरहाट की दूरी (Lohardaga to Netarhat distance) लोहरदगा से सटे हुए जिला गुमला और लातेहार की सबसे खूबसूरत पर्सयटक स्थल  में से एक नेतरहाट जिसकी दूरी लोहरदगा से 184 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित है यह एक झारखंड की सबसे खूबसूरत पर्यटक स्थल में से एक है और इसी झारखंड की “रानी” भी कहा जाता है (It is one of the most beautiful tourist places in Jharkhand and is also known as the Queen of Jharkhand.) लोहरदानी की

लोहरदगा में घूमने लायक पर्यटन स्थल Lohardaga Tourist Places in Jharkhand

लोहरदगा की सबसे प्रसिद्ध जगह लावा पानी जलप्रपात

लोहरदगा का सबसे प्रसिद्ध और दर्शकों का सबसे पसंदीदा जलप्रपात में से एक लवापानी जलप्रपात पेसरार प्रखंड के लावा पानी गांव में जंगल के बीचो बीच स्थित है जोखनपुर जंगल और अतिसंवेदनशील माना जाता है परंतु पर्यटक यहां आते जाते रहते हैं और इस मनमोहक दृश्य को देखने के लिए आते हैं , लावा पानी के झरने चट्टानों के मध्य ऊपर से गिरते हुए नीचे की ओर आते हैं, कहां जाए तू यह बरसात के मौसम में और अधिक दिखाने लायक होता है क्योंकि गर्मी के सीजन में यहां पानी सूख जाता है जिसकी वजह से बहुत कम पानी झरने के रूप में बहती है तो नजर अच्छा नहीं दिखता है परंतु जब बरसात के दिनों में आप यहां देखने को आते हैं तो बहुत वॉटरफॉल का नजारा आपको देखने को मिलता उसेक साथ ही आप लोगो इस लेख के माध्यम से आज कुछ ऐसे जगहों के बारे में जानकारी देता हूँ जिसे आप भी एक्स्प्लोर कर सकते हैं जैसे लोहरदगा में घूमने के लिए सर्वोत्तम स्थान लावा पानी जा सकते हैं ,लोहरदगा में घूमने के लिए सबसे रोमांटिक जगह नंदनी डैम जा सकते हैं ,लोहरदगा में देखने का सबसे प्रसिद्ध ख्लेश्वर धाम जा सकते हैं, लोहरदगा में घूमने लायक आकर्षण का केंद्र 27 no पुल जा सकते हैं ,लोहरदगा का रेलवे स्टेशन के बारे में जान सकते हैं ,लोहरदगा का पर्यटन स्थल में कोराम्बे मंदिर जा सकते हैं, लोहरदगा झारखंड का लोहा नगरी आप बगडू पहाड़ जा सकते हैं ,लोहरदगा शीर्ष स्थल  लोहरदगा से नेतरहाट की दूरी कितनी है इस तरह से आप लोहरदगा के बारे में और अधिक जान सकते हैं उसके लिए आपलोगों को लोहरदगा आना होगा |

झारखंड की मल्लिका इसे भी पढ़े नेतरहाट

 

FQA-

लोहरदगा में क्या प्रसिद्ध है ? उतर लोहरदगा का सबसे प्राचीन शिव मंदिर है जिसका नाम अखिलेश्वर धाम है यह लोहरदगा के भंडरा प्रखंड में पड़ता है

लोहरदगा में क्या पाया जाता है  ?उतर लोहरदगा में  बोकसाइड पता जाता है

 

Gumla Me Ghumne ki Jagah | गुमला के पर्यटन स्थल गुमला में घुमने की जगह

गुमला में घुमने की जगह – झारखंड राज्य के दक्षिण पश्चिम में स्थित है गुमला में प्राकृतिक सौदर्य एवं पर्यटन के क्षेत्र काफी अधिक हैं  आज के इस blog पोस्ट में आप   Gumla Me Ghumne ki Jagah गुमला के पर्यटन स्थल ,गुमला में घुमने की जगह  के बारे में  जानेंगे | गुमला एक आदिवासी  बहुल इलाका है और यहाँ कई  प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी हैं गुमला का  पिन कोड (Pin Code) 835207 है  प्रधान मुख्य  डाकघर है गुमला जिला जिसका स्थापना रांची जिला से कटकर 18 मई 1983 को किया गया |गुमला जिला

गुमला शहर tourist places in gumla jharkhand

गुमला का शाब्दिक अर्थ  दो स्थानीय शब्द  गौ – मेला, से बना है इसका मतलब पशु का मेला से होता है |पूर्वजों का माने तो प्राचीन काल में यहां पर वस्तुओं की खरीद बिक्री एवं गाय बैल मवेशियों की खरीद बिक्री की जाती थी अर्थात साल में  मवेशियों का बहुत बड़ा  मेला लगता था गुमला अपने घने जंगलों का प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है गुमला जिला एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है और यहां सादरी भाषा बोला जाता है

और अधिकांश लोग गांव में निवास करते हैं और गांव में निवास करने के कारण ज्यादातर लोगों का व्यवसाय कृषि है यहां पर लोग कृषि पर निर्भर तो रहते हैं परंतु कृषि का एक लिमिट दे रहा है क्योंकि यहां पर कृषि योग्य भूमि तो है परंतु सिंचाई का साधन नहीं है

इस वजह से सिजनली खेती ही यहां पर किसान कर पाते हैं, तेरी बात करें यहां की सिंचाई प्रणाली की तो यहां पर मुख्य तालाब कुआं और नलकूप है जिस वजह से गर्मी के सीजन आते-आते तालाब और कुआं का जलस्तर नीचे चला जाता है जिससे किसान अपनी खेती के लिए पानी का प्रबंध नहीं कर पाते इस वजह से वह बरसाती खेती का पुरुष रहते हैं और बरसात के दिनों में खेती करते हैं

गुमला नाम कैसे पड़ा | Gumla Me Ghumne ki Jagah | गुमला के पर्यटन स्थल गुमला में घुमने की जगह

प्राचीन काल के अनुसार यहां के पूर्वजों का कहना है कि गुमला के क्षेत्र में एक साप्ताहिक हाट लगता था जिसमें लोगों का जरूरत का सामान की चीजें खरीद बिक्री की जाती थी और लोग अपने जरूरत का सामान पूरा करते थे गुमला का नाम कैसे पड़ा इस संदर्भ में ग्रामीण इलाकों में इस नाम के पीछे का तर्क यह है कि यहां पर साल में एक बहुत बड़ा मेला लगता था जिसे गौ_मेला के नाम से जानते थे धीरे-धीरे वह मेला लुप्त होता गया और उसी के नाम पर “गुमला” नाम रख दिया गया वर्तमान  में गुमला झारखंड राज्य का एक जिला है यह शहर के रूप में तब्दील हो चुका है

इस तरह से गुमला का उद्गम हुआ है गुमला जिला छोटा नागपुर पठार का एक हिस्सा है और यहां की स्थल पहाड़ ऊंचा नीचा और कई छोटे में बड़ी नदियां मौजूद हैं जिले में आपको कई धार्मिक स्थल भी देखने को मिलते हैं जिसमें से सबसे पुराने एवं प्रसिद्ध टांगीनाथ धाम, अंजन धाम रामरेखा धाम, देवकी बाबा धाम, हापामुनी जैसे के धार्मिक स्थल इस जिले में मौजूद हैं

Gumla Jharakhand Tourist Place | गुमला क्यों प्रसिद्ध है gumla visiting places

प्राकृतिक दृष्टिकोण से गुमला जिला बहुत ही महत्वपूर्ण लगता है और जिले में मुख्यता बात करें तो खनिज संपदा से गुमला जिला परिपूर्ण है गुमला जिला में बॉक्साइट और लेटराइट बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है जो गुमला जिले के बिशनपुर एवं चैनपुर प्रखंड के इलाके में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है,साथ ही कई धार्मिक स्थल जैसे टांगीनाथ, आंजन धाम, हापमूनी, देवाकि धाम, रामरेखा धाम जैसे कैसे रहस्यमई मंदिर मौजुद है । जिसे लोग हर साल हजारो की संख्या में दर्शन करने जाते हैं

गुमला जिले के तीन नदी मुख्य हैं  waterfall in gumla

गुमला जिले के तीन प्रमुख नदियां हैं दक्षिणी कोयल उत्तरी कोयल और शंख नदी इस जिले का प्रमुख नदी है

गुमला के 05 प्रसिद्ध घूमने के जगह (05 famous places to visit in Gumla)

1.बाबा टांगीनाथ धाम
2. बाघमुंडा जलप्रपात
3. पालकोट वन्य जीव अभ्यारण
4. अंजन धाम मंदिर
5. देवाकी बाबा धाम मंदिर

शोपिंग मॉल गुमला में कितने हैं Gumla tourist places

गुमला में खरीदारी करने के लिए मॉल के नाम :-

  • इंडिया मार्ट
  • GUMLA EXTTILE
  • V-MART

इसे भी पढ़े (लोहरदगा में घुमने का जगह 27 no पुल और भी बहुत कुछ ) इस तरह गुमला में जिले के और अधिक पर्यटन की जानकारी के लिए गुमला जिला की आधिकारिक website https://gumla.nic.in/ को देख सकते हैं |

FAQ-

गुमला में क्या प्रसिद्ध है?

उतर प्राकृतिक दृष्टिकोण से गुमला जिला बहुत ही महत्वपूर्ण लगता है और जिले में मुख्यता बात करें तो खनिज संपदा से गुमला जिला परिपूर्ण है गुमला जिला में बॉक्साइट और लेटराइट बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है जो गुमला जिले के बिशनपुर एवं चैनपुर प्रखंड के इलाके में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है,साथ ही कई धार्मिक स्थल जैसे टांगीनाथ, आंजन धाम, हापमूनी, देवाकि धाम

गुमला में स्थानीय अखबार कोंन कोंन सा है  ?

गुमला जिला का मुख्य प्रभात खबर,हिंदुस्तान ,दैनिक जागरण ,दैनिक भास्कर जैसे  अखबार एजेंसी गुमला जिले के स्थानीय खबर को प्रकाशित करती है

गुमला के प्रमुख दर्शनीय स्थल

बिरसा मुंडा एग्रो पार्क गुमला,बाघमुंडा पिकनिक स्पॉट ,पालकोट,नगफेनी ,आदि  हैं

रांची से गुमला की दुरी ranchi to gumla distance ?

रांची से गुमला की दुरी 94 किलोमीटर है

 

navratangarh kila gumla | नवरतनगढ़ किला गुमला झारखंड

navratangarh kila gumla | नवरतनगढ़ किला गुमला झारखंड

 Navratangarh Jharkhand : गुमला जिले के सिसई  प्रखंड में स्थित navratangarh kila gumla | नवरतनगढ़ किला गुमला झारखंड के  बारे में बात करेंगे पुरातात्विक एवं इतिहासकारों का माने तो यह नागवंशी राजा दुर्जन साल के कार्यकाल सन  1636 से 1640 के बीच में निर्माण किया गया था |  नौ मंजिला महल का निर्माण कराया था | इतिहासकार का माने तो नागवंशी शासक बैरी साल ने अपनी राजधानी खुखरा गढ़ से स्थानांतरित कर नवरतन  को नया राजधानी बनाया था नवरत्न गढ़ जो है पहले चारों और पहाड़ और पेड़ पौधे सेबड़े बड़े पत्थर से घिरा  भव्य किला का  निर्माण राजा दुर्जन शाल  ने करवाया था |

राजा दुर्जन साल में लगभग लंबे समय तक navratangarh  पर शासन  किया लंबे समय तक राज्य का राजा होने के उपरांत उन्होंने नवरत्न गढ़ में 9 मंजिला इमारत का निर्माण कराया और इस किले का नाम नवरत्न गढ़ रखा गया वर्तमान में 9 रतनगढ़ में जब आप  विजिट करने जाते हैं तो आपको आज भी नौरतनगढ़ किला navratangarh kila का खंडहर देखने को मिलता है वर्तमान में यह किला सरकार के हस्तक्षेप में हैं और सरकार के संरक्षण में है देखरेख किया जा रहा है आए दिन पर्यटकों का भीड़  लगा रहता है और लोग दूर-दूर से पुरातात्विक और इतिहास को देखने के लिए आते हैं

नवरतनगढ़ किले का इतिहास हिंदी में Navratangarh kile ka history in hindi

झारखंड के गुमला जिला में स्थित 45वें नागवंशी राजा दुर्जन शाल का कार्यकाल काफी लम्बे समय तक रहा था इतिहासकार के माने तो डोईसागढ़ नगर में सन 1571 में इस किले का निर्माण करवाया था जब आपने रतनगढ़ किला को देखने के लिए यहां आते हैं तो आपको चारों और पत्थरों से घिरा  बीच में  09 मंजिला  दिखाई देगा क्योंकि उस समय सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस किला का निर्माण कराया गया था 

नवरतन गढ़

कैसे आ सकते हैं नवरत्न गढ़ किला को देखने के लिए

गुमला रांची मार्ग पर शीशे प्रखंड से 5 किलोमीटर की दूरी पर navratangarh kila gumla स्थित है यह गुमला से 35 किलोमीटर एवं शीशे बसिया रोड पर स्थित है चार और पहाड़ों के बीचो बीच इनमें जिला किले का निर्माण राजा दुर्जन साल ने करवाया था यह एक ऐतिहासिक धरोहर है जो धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर है परंतु सरकार की पहल से अब सरकार संरक्षण में है और इसे मरम्मत का कार्य किया जा रहा है

navratangarh fort history in hindi के बारे में क्या जानते हैं navratangarh gumla

झारखंड में वैसे तो राजा महाराजावों का किला कम देखने को मिलता है परन्तु जो भी किला झारखंड प्रदेश में है जैसे पलामू का किला ,रातूमहराज का किला ,रामगढ का किला,पद्मा का किला,नरायनपुर नवागढ़ का किला ,विश्रामपुर का किला,जैसे किलावों का नाम सबसे पहले आता है इसमें यदि बात करें पलामू का किला का तो इसका निर्माण काल 1766-1770 के लगभग चेरोवंशीय राजा गोपाल राय ने करवया था |

समय ब्यतीत होने के उपरांत इस किला का भी अस्तित्व जर्जर हो चूका है आज वर्तमान में खंडहर ही देखने को मिलेगा फिर भी पुरातात्विक एवं एतिहासिक होने की वजह से लोग इसे देखने आया करते हैं और यह पर्यटकों का मुख्य आकर्षण का केंद्र भी है इस किला को “पुराना और नया किला भी कहते हैं | साथ ही बेतला राष्ट्रीय उद्यान  भी बगल में ही है जो भारत की टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है |

रातू महाराज का किला राजधानी रांची में रातू महाराज का महल रातू किला है । इसे लोग रातूगढ़ भी कहते हैं। इस देश के छोटे नागपुर पर शासन करने वाले नागवंशीय शासन के 61 वें महाराज प्रताप उदयनाथ शाहदेव ने कहा था। महाराजा फणिमुकुट राय नागवंश के पहले महाराजा थे।

छोटानागपुर के नागवंशीय शासक  महाराज प्रताप उदयनाथ शाहदेव जिसने इस किले का निर्माण करवाया था  वे 61 वे नागवंशी राजा थे रातू का किला को रातू गढ़ का किला भी कहते हैं और ये झारखंड की राजधानी रांची में ही है | और इसे लोग रातू महाराज का किला के नाम से जानते हैं |

नवरतनगढ़ किला झारखंड Navratangarh Gumla Jharkhand 

 

FQA-

1.रांची से नवरतनगढ़ किला  की दुरी कितना है ?  (navratangarh fort distance from ranchi  )

उतर  रांची से नवरतनगढ़ किला  की दुरी 71 किलोमीटर है |

2. झारखंड के नवरतनगढ़ के किला का क्या इतिहास है ?

उतर  डोईसागढ़ नगर में सन 1571 में इस किले का निर्माण करवाया था नागवंशी शासक बैरी साल ने अपनी राजधानी खुखरा गढ़ से स्थानांतरित कर नवरतन  को नया राजधानी बनाया था नवरत्न गढ़ जो है पहले चारों और पहाड़ और पेड़ पौधे सेबड़े बड़े पत्थर से घिरा  भव्य किला का  निर्माण राजा दुर्जन शाल

 

11 Places To Visit In Netarhat (Jharkhand) In 2025

11 Places To Visit In Netarhat (Jharkhand) In 2025

“Discover Netarhat: 11 Must-Visit Gems of Jharkhand in 2025!” 🌄✨

11 Places To Visit In Netarhat (Jharkhand) In 2025

झारखण्ड राज्य में स्थित “झारखंड की रानी नेतरहाट “The Queen Of Jharkhand”  एक सुंदर प्राकृतिक Nature Of Beauty है | लोग जब गूगल में सर्च करते हैं  11 Places To Visit In Netarhat (Jharkhand) In 2025 ,Netarhat me ghumne ka jagah,Netarhat Jharkhand | Netarhat Tourism तो आपको बता दे की नेतरहाट झारखंड की एक ऐसी ब्यूटी है जिसे लोग दूर दूर से देखने आते हैं यह एक पर्वतीय इलाका है जिस वजह से पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय है और यहां पर वन्यजीव संपदा के कुछ पहाड़ों की चोटी जैसे साल के पेड़ पाइन पेड़ नाशपाती बागान नेतरहाट लेक और बॉक्साइट का खदान आपको इस इलाके में देखने को मिलता है और इसे झारखंड के “पहाड़ों का मल्लिका  भी

 

 

कहते हैं यह छोटा नागपुर पठार के अंतर्गत  आता है और राजधानी रांची से 158 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित सबसे ऊंचे पहाड़ नेतरहाट पर स्थित है जैसे ही घाटी प्रवेश करते हैं आपको लंबे-लंबे साल के पेड़ दिखाई देता है  झारखंड के सबसे खतरनाक घाटी के नाम से नेतरहाट घाटी को जानते हैं यहां पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त का नजारा भी देख सकते हैं साथ ही छोटे बड़े वाटरफॉल भी मौजुद हैं  Netarhat Tourism (Jharkhand) (2025) आने का सबसे बेहतर समय दिसंबर से फरवरी है |

पहाड़ों का मल्लिका नेतरहाट क्यों प्रसिद्ध है (Why is Netarhat Famous For The Queen of Mountains)

झारखंड का एक ऐसी जगह जहाँ पर्यटक बार बार आना पसंद करते हैं जी हाँ नेतरहाट झारखंड का सबसे खुबसूरत जगह में से एक है इसे झारखंड का रानी होने का ख्याति प्राप्त है इसलिए NETARHAT को QUEEN OF CHHOTANAGPUR भी कहा जाता है ये अपने खुबसूरत मनमोहक प्राकृत दृश्य एवं सूर्योदय के लिए प्रसिद्ध है | सभी लोग इस खुबसूरत नेतरहाट का एक फोटो  (Netarhat ka Photo )अपने  Social Media में जरुर Share करते हैं

Netarhat का नासपाती बागान  नेतरहाट का जलवायु वातावरण अनुकूल है नासपती की खेती के लिए  

नेतरहाट पर्यटन स्थल  महत्व (Importance of Netarhat)

  • प्रकृति  सौंदर्य एवं चारों तरफ जंगलों के बीचो बीच नेतरहाट हिल स्टेशन की प्राकृतिक सौंदर्य का दीदार करना सब कोई चाहता  है झारखंड ही नहीं बल्कि झारखंड के बाहर से भी लोग झारखंड के नेतरहाट  को देखने के लिए आते हैं लंबे-लंबे साल के पेड़ पाइन का बृक्ष ऊंचे ऊंचे पेड़ और ठंडा स्थल होने का गौरव भी नेतरहाट को प्राप्त है इस वजह से लोग यहां यात्रा करने आया करते हैं |
  • गुरुकुल शिक्षा पर आधारित आध्यात्मिक आवासीय विद्यालय झारखंड में एक ऐसा स्कूल  है  जहां आज भी  गुरुकुल शिक्षा पद्धति पर आधारित अध्यात्मिक एवं अनुशासन का एक उच्च स्तरीय शिक्षा देखने को मिलता है  नेतरहाट आवासीय विद्यालय में गुरुकुल शिक्षा की तर्ज पर आज भी वहां पढ़ाई लिखाई होती है और वहां से पढ़कर विद्यार्थी आईपीएस आईएएस और  डॉक्टर ही बनते हैं
  • बॉक्साइट खदान खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड भारत में सबसे ऊपर स्थान रखता है झारखंड में विभिन्न प्रकार के खनिज संपदा हर जिले में पाया जाता है उसी में से बॉक्साइट खदान भी एक खनिज संपदा है जो नेतरहाट के इलाके में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है इसकी वजह से नेतरहाट के सुगम इलाके आपको वहां की मिट्टी और वहां के घर का बनावट लाल मिट्टी या पत्थर से दिखाई देती है जैसे ही आप नेतरहाट के सुगम वादियों में प्रवेश करते हैं आपको पाठ क्षेत्र लाल मिट्टी के घर बने जैसे दिखाई देते हैं
  • नेतरहाट झारखंड पर्यटन स्थल क्यों प्रसिद्ध है  Netarhat Tourism| things to do in netarhat

नेतरहाट पर्यटन की  विशेषता (Specialty of Netarhat Tourism

  • नेतरहाट अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध तो है ही परंतु नेतरहाट इन झारखण्ड जिस चीज के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है वह है Sunrise Point यानी उगते हुए सूरज को देखना यहां से उसका नजारा भव्य और बहुत ही रोमांचकारी लगता है इस वजह से लोग यहां पर आते हैं और उगते हुए सूरज यानी कि सनराइज का आनंद लेते हैं जिस वजह से इसे एक सनराइज प्वाइंट (Sunrise Point) भी कहा जाता है
  •  जिस तरह सनराइज प्वाइंट का आनंद लेते हैं ठीक उसी प्रकार शाम के समय यहां सनसेट पॉइंट  (Sunset Point) जो मंगोलिया पॉइंट के पास में है वहां से शाम का डूबते हुए सूरज का नजारा देखने लायक होता है शाम होते ही जब सूरज ढलने को आता है तो चारों तरफ अंधेरा छा जाता है और सूर्य पहाड़ों के मध्य होकर छिप जाता है जो कि उसका दृश्य एक अलग छाप दिखने का प्रयास करता है जिसे सनसेट पॉइंट के नाम से जानते हैं
  • पहाड़ों की मल्लिका एवं रानी होने की वजह से इसकी सुंदरता तो झलकता है ही साथ ही इसमें बसे मनमोहक चीड का पेड़ और अधिक आकर्षित करता है

नेतरहाट का मौसम कैसा रहता है netarhat temperature

नेतरहाट झारखंड का सबसे ठंढा स्थल है और यहाँ पर 12 महीने और जगह के मुकाबले नेतरहाट का  तापमान कम रहता है | सर्द ऋतू में कड़ाके के ठंठ पड़ती है झारखंड के अन्य पर्यटन स्थल के मुकाबले नेतरहाट को लोग देखना जायदा पसंद करते हैं इसलिए नेतरहाट झारखंड का सबसे लोकप्रिय स्थान में से एक है |

नेतरहाट का मुख्य आकर्षण का केंद्र (netarhat tourist places list) नेतरहाट में घुमने का जगह 

1. सनराइज प्वाइंट सनराइज प्वाइंट
2. सनसेट पॉइंट सनसेट पॉइंट
3. कोयल व्यूप्वाइंट
4. Lower ghagra jalprpat
5. अप्पर घाघरी जलप्रपात
6. Mangolia point
7. नेतरहाट आवासीय विद्यालय
8. Nashpati Bagan
9. Pine tree Bagan
10. लोध फॉल जलप्रपात
11. नेतरहाट घाटी

नेतरहाट का सबसे  देखे जाने वाले जगह (Netarhat top attractions to visit)

  • नेतरहाट इन झारखण्ड में सबसे अधिक  देखे जाने वाले प्रसिद्ध है Sunrise Point यानी उगते हुए सूरज को देखना ज्यदातर लोग इसी को देखने नेतरहाट आते हैं  सुर्युदय  को देखना एक रोमांच कारी दृश्य से कम नही लगता है इसी वजह से लोग यंहा  पर आते हैं और उगते हुए सूरज यानी कि सनराइज का आनंद लेते हैं  लोग यहाँ सेल्फी भी लेते हैं नेतरहाट का फोटो भी खिचाते हैं और इसी  वजह से इसे एक सनराइज प्वाइंट (Sunrise Point) भी कहा जाता है

नेतरहाट में कहाँ है Naina Waterfall  Netarhat || नैना जलप्रपात नेतरहाट

वैसे आप नेतरहाट घुमने जाते हैं है परन्तु क्या आपको पता है की नेतरहाट में एक और वॉटरफॉल मौजूद जो hidden है जिसे लोग कम जानते हैं जी नेतरहाट में स्थित एक ऐसा जलप्रपात जिसे लोग कम जानते हैं हिम बात कर नैना जलप्रपात का (Naina Waterfall Netarhat)  का नेतरहाट में स्थित लगभग 08 किलोमीटर अन्दर की और एक गाँव है जिसका नाम नैना गाँव है उसी के पास एक छोटा से वॉटरफॉल है जिसे नैना वॉटरफॉल कहते हैं थोडा ऑफ रोडिंग हैं पर location  बहुत ही सुंदर एवं मनमोहक है लोग अब उस स्थान पर जाने लगे हैं ,आपको रोड पर ही एक बड़ा सा गेट लगा दिया गया जो नैना गाँव की और जाने का रास्ता है |

नेतरहाट के 08 मुख्य पर्यटन जो दर्शोको को अपनी ओर खिचती हैं (8 Secret Tourist Places to Visit in Netarhat, Jharkhand)

1. सनराइज प्वाइंट सनराइज प्वाइंट
2. सनसेट पॉइंट सनसेट पॉइंट
3. कोयल व्यूप्वाइंट
4. Lower Ghagra Waterfall
5. अप्पर घाघरी जलप्रपात
6. Mangolia point
7. नेतरहाट आवासीय विद्यालय
08. लोध फॉल जलप्रपात

इसे भी पढ़े –shimla and manali tourist palce | | Shimla Best Places of Himachal Pradesh

Netarhat Jharkhand में रात में कहाँ रुके  क्या ( is netarhat safe for tourist) 

Netarhat  में रात रुकने के लिए बहुत सारे होटल हैं जिनका नाम कुछ इस तरह है निचे दिया गया है उसके अलावा पर्यटकों के लिए नेतरहाट सेफ जगह है और नेतरहाट में जो भी सैलानी आते हैं बहुत सारे कैम्पिंग लगाकर बहार ही सो जाते हैं उनको किसी तरह की कोई दिक्कत नही होती है और नेतरहाट के लोगो का भी व्यवहार बहुत अछा है वो अपने सैलानी के साथ काफी अछा तालमेल रखते हैं |

नेतरहाट के TOP 10 होटल के नाम  (netarhat visiting hotal & places list)

  • होटल प्रभात विहार 
  • रॉयल रेसेड़ेंसी
  • होटल pine valley
  • होटल ग्रीन प्लेस
  • लेक व्यू रिसोर्ट
  • होटल रवि एंड शशी
  • होटल आर्यावत
  • होटल सनराइज
  • फारेस्ट गेस्ट हाउस
  • होटल पैराडाइस
  • होटल मगोलिया प्लेस

नेतरहाट कैसे पहुचे how to reach netarhat from ranchi

यदि आप रांची से नेतरहाट को आना चाह रहे हैं तो आपको बस या वक्तिगत गाड़ी से आना होगा इसके लिए  आप को  145 किलोमीटर की दुरी तय करके आना होगा

संक्षेप -इस लेख में नेतरहाट के बारे में  बताने की कोशिश किया गया जिसमे आपको Jharkhand के रानी नेतरहाट में घुमने के जगह और अन्य पर्यटन  के बारे में अवगत कराने की कोशिश किया गया  आप नेतरहाट से जुड़े और अधिक जानाकरी के लिए official website https://latehartourism.com/ को visit कर सकते हैं आशा करता हूँ की आप लोगों को यह blogs  पसंद आया होगा |

FAQ-

1.नेतरहाट से रांची की दुरी ? ranchi to netarhat distance

उत्तर नेतरहाट से रांची की दुरी 165 किलोमीटर है |

2.नेतरहाट का तापमान ?

उत्तर-नेतरहाट का तापमान झारखंड के और जगह के मुकाबले हमेशा ठंढा रहता है इसलिए इसे झारखंड का सबसे ठंढा स्थल भी कहते हैं |

3.नेतरहाट का ऊंचाई कितनी है ?

उत्तर-नेतरहाट की ऊंचाई समुन्द्र ताल से  1071फिट है

4.नेतरहाट क्यों प्रसिद्ध है ?

उत्तर- नेतरहाट अपने मनमोहक प्राकृत सौन्दर्य एवं सूर्यादय और सूर्यास्त के लिए प्रसिद्ध है |

5.नेतरहाट में क्या है ?

उत्तर-नेतरहाट में सनसेट पॉइंट, सनरायेस पॉइंट कोयल व्यू पॉइंट मंगोलिया पॉइंट,चीड वन ,उपरी निचली वाटर फॉल आदि

6.नेतरहाट के लोगो का मुख्य जीविका क्या है ?

उत्तर-नेतरहाट की जीविका कृषि के आलावा नासपती बगान और आजकल होटल भी आय का मुख्य श्रोत बन गया है |

7. नेतरहाट कहाँ है ?

उतर नेतरहाट झारखंड के लातेहार जिला में स्थित है यह Jharkhand का हिल स्टेशन के नाम से प्रसिद्ध है

 

Netarhat Tour Plan 2025 Top Hill Station in Jharkhand

Netarhat Tourism: netarhat jharkhand tourism

घुमने का शौकीन है तो Netarhat Tour Plan 2025 सिर्फ 2 दिन में झारखंड की सबसे खूबसूरत जगह को एक्स्प्लोर करें | झारखण्ड राज्य में स्थित Netarhat   की प्राकृतिक सुंदरता का बेहद खुबसूरत  नजारा  है जिसे लोग दूर दूर से देखने आते हैं यह एक पर्वतीय इलाका है जिस वजह से पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय है और यहां पर वन्यजीव संपदा के कुछ पहाड़ों की चोटी जैसे साल के पेड़ पाइन पेड़ नाशपाती बागान नेतरहाट लेक और बॉक्साइट का खदान आपको इस इलाके में देखने को मिलता है  साथ ही इसे best hill station in Jharkhand” या  “weekend destination near Ranchi भी कहा जा सकता है |

Netarhat Tourism : netarhat jharkhand tourism

Netarhat Tourism: netarhat jharkhand tourism

यह छोटा नागपुर पठार पर आता है और राजधानी रांची से 158 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में ऊंचे पहाड़ों पर स्थित  Netarhat tourist places  है जिसमे आपको घुमावदार  घाटी ,आपको लंबे-लंबे साल के पेड़ दिखाई देता है  झारखंड के सबसे खतरनाक घाटी के नाम से नेतरहाट घाटी Netarhat ghati को जानते हैं यहां पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त का नजारा भी देख सकते हैं  झारखंड का सबसे ठंढा स्थल होने की वजह से इसे Best Hill Station in Jharkhand” और  “coolest place in Jharkhand कह सकते हैं |

नेतरहाट का नाम कैसे पड़ा कब घूमने आएं  Best time Visit Netarhat Jharkhand :thing to go 

झारखंड के लातेहार जिले में स्थित नेतरहाट जिसको पहले स्थानीय लोग”नेतुर हाट कहा करते थे, ऐसा इसलिए की पहले यहां बांस का बहुत बड़ा जंगल था जिसे स्थानीय लोग नेतूर कहते थे इसी के नाम पर धीरे-धीरे बदलाव के साथ इसका नाम बदलकर नेतरहाट कर दिया

Netarhat Tourism को Pine valley क्यों कहा जाता है

ठंडी स्थल में  पाए जाने वाला पाइन ट्री जो बहुत ही खूबसूरत कौर आकर्षक लगता है वह मुख्यतः ठंडी जगह में पाया जाता है जैसे हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड जम्मू कश्मीर दार्जिलिंग जैसे क्षेत्रों में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है, इसी तरह झारखंड के नेतरहाट में भी Pine Tree सर्वाधिक पाया जाता है

Hil Station क्यों कहते  हैं (Pine valley of Jharkhand & pear orchard Netarhat)

हिल स्टेशन का नाम से जानने वाले नेतरहाट झारखंड में सबसे फेमस होने का दर्जा प्राप्त है इसिलए  झारखंड के “पाइन वैली नेतरहाट” को झारखंड का रानी भी कहते हैं झारखंड का मलिका भी कहा जाता है

प्राकृतिक सौंदर्य तो मानो ईश्वर ने नेतरहाट को गॉड गिफ्ट किया हुआ है शांत वातावरण और दूर शहरों से घने जंगलों  के  बीचो-बीच कल-कल यहां के जलप्रपात और ठंडे के दिनों में यहां की सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा आपको बार-बार इस हिल स्टेशन की ओर आकर्षित करती है  बस तू तो देखा जाए तो झारखंड की रानी नेतरहाट अपनी और पर्यटकों को हमेशा आकर्षित करती है और लोग हर वर्ष लाखों की संख्या में इस हिल स्टेशन में ट्रैवल करने आते हैं

Netarhat Jharkhand  ( netarhat tourist places pictures

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य 
  • प्रकृति सौंदर्य एवं चारों तरफ जंगलों के बीचो बीच नेतरहाट हिल स्टेशन की प्राकृतिक सौंदर्य का दीदार करना सब कोई चाहता  है झारखंड ही नहीं बल्कि झारखंड के बाहर से भी लोग झारखंड के नेतरहाट  को देखने के लिए आते हैं लंबे-लंबे साल के पेड़ पाइन का बृक्ष ऊंचे ऊंचे पेड़ और ठंडा स्थल होने का गौरव भी नेतरहाट को प्राप्त है इस वजह से लोग यहां यात्रा करने आया करते हैं |
  • गुरुकुल शिक्षा पर आधारित आध्यात्मिक आवासीय विद्यालय झारखंड में एक ऐसा स्कूल  है  जहां आज भी  गुरुकुल शिक्षा पद्धति पर आधारित अध्यात्मिक एवं अनुशासन का एक उच्च स्तरीय शिक्षा देखने को मिलता है  नेतरहाट आवासीय विद्यालय में गुरुकुल शिक्षा की तर्ज पर आज भी वहां पढ़ाई लिखाई होती है और वहां से पढ़कर विद्यार्थी आईपीएस आईएएस और  डॉक्टर ही बनते हैं
  • बॉक्साइट खदान खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड भारत में सबसे ऊपर स्थान रखता है झारखंड में विभिन्न प्रकार के खनिज संपदा हर जिले में पाया जाता है उसी में से बॉक्साइट खदान भी एक खनिज संपदा है जो नेतरहाट के इलाके में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है इसकी वजह से नेतरहाट के सुगम इलाके आपको वहां की मिट्टी और वहां के घर का बनावट लाल मिट्टी या पत्थर से दिखाई देती है जैसे ही आप नेतरहाट के सुगम वादियों में प्रवेश करते हैं आपको पाठ क्षेत्र लाल मिट्टी के घर बने जैसे दिखाई देते हैं

नेतरहाट में घूमने की जगहें (Netarhat Tourist Places List):

1. सनराइज प्वाइंट (Sunrise Point in Jharkhand): नेतरहाट अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहां से उगते सूरज का नज़ारा देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। यह “best sunrise view in Jharkhand” के रूप में भी जाना जाता है।

2. सनसेट प्वाइंट (Sunset View in Netarhat): मंगोलिया पॉइंट के पास स्थित यह सनसेट स्पॉट रोमांटिक वाइब और शानदार दृश्य के लिए मशहूर है। यह “top romantic sunset spots in India” में गिना जाता है।

3. कोयल व्यूप्वाइंट (Koel View Point): यहां से कोयल नदी की घाटी और पीछे के पाइन जंगल का नज़ारा देखा जा सकता है। यह “nature walk Jharkhand” और “hill station photography spots” के लिए आदर्श स्थान है।

4. लोअर घाघरी जलप्रपात (Lower Ghaghri Waterfall): छोटा और शांत जलप्रपात, पिकनिक मनाने के लिए बेस्ट है। यह “hidden waterfalls near Ranchi” में खोजा जाता है।

5. अपर घाघरी जलप्रपात (Upper Ghaghri Waterfall): यह लोअर घाघरी का ही विस्तार है और ट्रैकिंग व फैमिली ट्रिप्स के लिए उपयुक्त है। “Jharkhand waterfall travel” में लोकप्रिय है।

6. मंगोलिया पॉइंट (Magnolia Point): ब्रिटिश काल की प्रेम कहानी से जुड़ा यह स्थान एक सुंदर सनसेट व्यूप्वाइंट भी है। यह “British heritage points in Jharkhand” में भी शामिल है।

7. नेतरहाट आवासीय विद्यालय (Netarhat Residential School): गुरुकुल शैली का यह विद्यालय उच्च अनुशासन के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ से कई IAS और IPS अधिकारी निकले हैं। यह “top schools in Jharkhand” और “educational tourism” के रूप में भी प्रसिद्ध है।

8. नाशपाती बगान (Nashpati Bagan): सर्दी के मौसम में यहां नाशपाती के पेड़ भरपूर पाए जाते हैं। यह स्थान “fruit orchard tourism India” में आता है।

9. पाइन ट्री बगान (Pine Valley of Jharkhand): घने पाइन के जंगल नेतरहाट को “Jharkhand’s Pine Valley” बनाते हैं। यहाँ “eco-tourism hill stations in India” खोजने वाले पर्यटक आते हैं।

10. लोध फॉल (Lodh Falls): यह झारखंड का सबसे ऊंचा जलप्रपात है, जो महुआडांड़ प्रखंड में स्थित है। इसे “tallest waterfall in Jharkhand” के रूप में जाना जाता है।

11. नेतरहाट घाटी (Netarhat Valley): घुमावदार सड़कें, घने जंगल और कोहरा यह घाटी “scenic ghat road in India” बनाती है। यह “road trip destinations Jharkhand” के लिए उपयुक्त है।

12. सदनी जलप्रपात (Sadni Waterfall): यह एक ऑफ-रोड ट्रेकिंग स्पॉट है, जो अब भी एक hidden gem है। इसे “offbeat waterfall trekking in India” में खोजा जाता है।

इसे भी पढ़े :-नेतरहाट Pine Valley Netarhat

 

नेतरहाट आने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Netarhat):

दिसंबर से फरवरी – यह सीज़न सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय लोग “Netarhat weather today”, “winter travel Jharkhand” जैसे कीवर्ड खोजते हैं। (यहाँ बर्फ नहीं पड़ती, लेकिन बहुत ठंड होती है)


नेतरहाट में ठहरने की जगह (Hotels in Netarhat):

  • होटल प्रभात विहार
  • होटल पाइन वैली
  • मल्लिका होटल नेतरहाट
  • नेतरहाट आर्ट विलेज (बांस से बना इको-रिज़ॉर्ट)

रोचक तथ्य और इतिहास:

  • नेतरहाट का पुराना नाम “नेतुर हाट” था।
  • यहां की मिट्टी में बॉक्साइट पाया जाता है। “mineral rich places in Jharkhand” में शामिल है।
  • मंगोलिया पॉइंट पर एक ब्रिटिश जनरल की बेटी और चरवाहे की प्रेम कहानी प्रसिद्ध है। यह “British heritage sites in India” का हिस्सा है।

यात्रा सुझाव (Travel Tips):

  • सर्दी में गर्म कपड़े जरूर लाएं – “what to pack for Netarhat”
  • इंटरनेट कमजोर हो सकता है – “offline travel apps India” डाउनलोड कर लें
  • स्थानीय भोजन ज़रूर चखें – झारखंडी दाल, रागी रोटी – “Jharkhand local cuisine”

निष्कर्ष:

अगर आप “best unexplored places in Jharkhand”, “hidden hill stations in India” या “nature trip near Ranchi” ढूंढ रहे हैं, तो नेतरहाट 2025 में एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है।

F.A.Q. – Netarhat Tour Plan 2025:

 

Q1: नेतरहाट जाने के लिए सबसे अच्छा महीना कौन सा है?
(Which is the best month to visit Netarhat?)
Ans: दिसंबर से फरवरी सबसे अच्छा समय होता है जब नेतरहाट अपनी प्राकृतिक सुंदरता की चरम सीमा पर होता है।

Q2: नेतरहाट क्यों प्रसिद्ध है?
(Why is Netarhat famous?)
Ans: यह सूर्योदय, सूर्यास्त, ठंडी जलवायु, और पाइन ट्री वैली के लिए प्रसिद्ध है। इसे झारखंड की रानी कहा जाता है।

Q3: ट्रेन के द्वारा नेतरहाट से रांची की दूरी कितनी है?
(How far is Ranchi to Netarhat by train?)
Ans: नेतरहाट में ट्रेन की सुविधा नहीं है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन लोहरदगा है। रांची से बस या टैक्सी द्वारा 160–165 किमी की दूरी तय करनी होती है।

Q4: झारखंड का सबसे ठंडा स्थान कौन सा है?
(Which is the coldest place in Jharkhand?)
Ans: नेतरहाट को झारखंड का सबसे ठंडा स्थान माना जाता है, जहाँ तापमान माइनस में भी चला जाता है।

Q5: गुमला से नेतरहाट की दूरी कितनी है?
(Distance between Gumla to Netarhat?)
Ans: लगभग 81 किलोमीटर है।

Q6: झारखंड की रानी किसे कहते हैं?
Ans: नेतरहाट को।

Q7: नेतरहाट में सबसे प्रसिद्ध होटल कौन-सा है?
Ans: होटल प्रभात विहार सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय होटल है, जो सरकारी टूरिज्म द्वारा संचालित है।


anjan Dham Mandir Gumla Hanuman Birth Place अंजनी मंदिर गुमला झारखंड

anjan Dham Mandir Gumla Hanuman Birth Place अंजनी मंदिर गुमला झारखंड

झारखंड में स्थित आंजन धाम मंदिर  गुमला (anjan dham mandir Gumla) जिला मख्यालय  से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित है  और आंजन धाम  Hanuman Birth Place के लिए एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और यह झारखंड के गुमला जिला में स्थित है यहां भगवान हनुमान जी को समर्पित माता अंजनी की गोद में बैठे हनुमान जी का मूर्ति स्थापित है जिसे हर श्रद्धालु पूजा पाठ एवं भ्रमण करने आते हैं  तो चलिए आगे पढ़ते हैं और अधिक जानने की कोशिश करते हैं |

MATA ANJANI MANDIR

आंजन धाम मंदिर का इतिहास (History of Anjan Dham Mandir)

इतिहासकारों का माने तो anjan आंजन धाम गुमला जिला का एक छोटे से गांव अंजनगांव में स्थित है जिसे अब बदलकर आंजन धाम कर दिया गया है यदि आप धार्मिक दृष्टिकोण से देखते हैं तो एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यहां पर माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया कहा यह भी जाता है कि सूर्यवंशी राजा भगवान राम के सेवा करने वाले श्री राम भक्त हनुमान जी का Birth Place यहीं पर है यहां के पुजारी से जब और इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि रामायण काल में माता अंजनी इसी गुफा में रहती थी और प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा पाठ किया करती थी

इसी कारण से यहां से 360 शिवलिंग स्थापित थे परंतु आज वर्तमान में शिव लिंग नहीं है यह सच की बात थी,प्राचीन काव्य  के अनुसार जब यहां का स्थानीय लोग को पता चला यहां शिवलिंग स्थापित है तो वह अपने पूजा पाठ करने के चक्कर में यहां पर एक बली देने की कोशिश किए जिससे माता अंजनी क्रोधित होकर इस गुफा में अपने आप को बंद कर ली और हमेशा के लिए अदृश्य हो गई इस तरह से यह गुफा बंद हो गया और यह एक रहस्यमई गुफा बन गया

FRONT DOOR

क्या है इसका महत्व (What is its Importance) anjan dham toto, gumla photos

अंजन धाम (Anjan Dham) का महत्व का बात करें तो हर साल रामनवमी और महावीर जयंती में बहुत अधिक भीड़ होती है लोग दूर-दूर से यहां पूजा पाठ एवं धार्मिक स्थल को देखने के लिए आते हैं और दर्शन करके जाते हैं ई का जन्म स्थान होने के चलते भी या अपने आप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि लोगों को एक जिज्ञासा रहती है कि आखिर हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ इसके पीछे क्या था इस तरह से जानकारी के लिए लोग यहां पर आते हैं और यहां से जानकारी इकट्ठा करके जाते हैं

आंजन धाम मंदिर टोटो गुमला Anjan Dham Mandir Toto Gumla | Hanuman Birth Place आंजन धाम गुमला ||हनुमान जी का जन्म स्थान

गुमला से 20 किलो मीटर में स्थित Anjan Dham Mandir जो टोटो गाँव से 12 किलो मीटर पच्शिम में है  मंदिर जाने के लिए टोटो से आपको ऑटो भी मिल जाता है परन्तु आपको ऑटो को बुक करना पड़ता है चुकी वंहा जाने के लिए समय से ऑटो मिलता है इसलिए बुक करना पड़ता है |ANJAN DHAM GUMLA

आंजन धाम मंदिर क्यों प्रसिद्ध है ?(Why is anjan dham temple famous)

धार्मिक  एवं पुरातात्विक  इतिहासकारों का माने तो अंजन गाँव के समीप एक छोटे से टेकरी जिसको वर्तमान में आंजन धाम के नाम से जानते हैं मान्यता यह है हनुमान जी का जन्म इसी टेकरी के एक गुफा में हुआ है माता अंजनी गुफा भी कहा जाता है और ये टोटो गाँव से 12 किलोमीटर पश्चिम में मौजूद है | हनुमान जी का जन्म होने की वजह से ये स्थान धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्व रखता है और ये इसी वजह से प्रसिद्ध है |

इसे भी जरुर पढ़े -पहाड़ी मंदिर रांची झारखंड

भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां माता अंजनी की गोद में वीर हनुमान बैठे हुए हैं

जी हां दोस्तों आंजन धाम भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है इस मंदिर में माता अंजनी की गोद में वीर हनुमान विराजमान है और यह एकमात्र मंदिर है जिसमें माता अंजनी के गोद में हनुमान जी बैठे हुए हैं आपको और भारत के किसी भी अन्य जगह माता अंजनी के गोद में हनुमान जी बैठे हुए नजर नहीं आएंगे या एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर यह दृश्य आपको देखने को मिलता है ।HANUMAN BIRTH PLACE

मंदिर के चारों ओर का नजारा बहुत ही खूबसूरत और मनमोहक है |

अंजन धाम के चारों तरफ आप एक बार नजर डालते हैं तो आपको प्रकृति के एक सुगम विश्व का अनुभव होता है आपको चारों ओर हरे भरे पेड़ पौधे और एक घना जंगल दिखाई देता है चारों तरफ से गिरे घने जंगलों के बीच एक छोटा सा भव्य माता अंजनी का मंदिर एवं माता अंजनी के गोद में बैठे वीर हनुमान का मूर्ति स्थापित दिखाई देती है आपको यहां पर छोटे छोटे लाल रंग का गेंदा का फूल एवं अन्य प्रकार के फूलों दिखाई देती है,

देश का एकलौता मंदिर है जिसमे माता अंजनी ने हनुमान जी को अपने गोद में धारण किये हैं |

आप आंजन धाम मंदिर कैसे आ सकते हैं ?

यदि आप झारखंड से हैं तो आप बस ट्रेन या खुद की गाड़ी से भी आंजन धाम मंदिर आ  सकते हैं राजधानी रांची से अरे 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित  अंजन धाम मंदिर स्थित है यदि आप ट्रेन से आते हैं तो आपको गुमला से नजदीकी ट्रेन स्टेशन लोहरदगा और रांची पड़ता है प्रंतु यदि अब बस के सफर से आते हैं तो आपको बहुत आसानी से बस आपको आंजन धाम जाने वाली टोटो मोड़ पे उतार देगी और वहाँ से आप ऑटो करके  अंजन धाम जा सकते

FQA-

अंजन धाम क्यों प्रसिद्ध है? why is famous Anjan Dham 
भगवान हनुमान जी का जन्म स्थान के लिए प्रसिद्ध गुमला से 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित आंजन धाम एक धार्मिक और पुरातत्विक महत्व  के लिये एक स्थान रखता है इस मंदिर में माता अंजनी ने श्री राम भक्त हनुमान जी को अपने गोद में बैठे हुए नजर आती है मान्यता यह भी  है माता अंजनी ने हनुमान जी  इसी जगह  जन्म दिए थे और यह रामायण  काल से यहाँ पर मौजूदा बताया जाता है.
अंजन प्रदेश कहाँ है ?

पौराणिक कथावो व् रामायण के अनुसार माता अंजनी के नाम से अंजन प्रेदश का उजागर हुआ अंजन प्रदेश झारखंड के गुमला जिले में एक गाँव जहाँ पहाड़ी के चोटी पर माता अंजनी का एक सुंदर मंदिर है

गुमला से कितना दुरी पर स्थित है अंजन ?

उतर-जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है आंजन धाम मंदिर | हनुमान जी के जन्म के लिए प्रसिद्ध है जिसका धार्मिक और पुरातात्विक महत्व है और ये रामायण  काल से जुड़ा  हुआ है |

Saag के प्रकार और सागो का राजा Sarson Saag | Types of Jharkhandi Saag

Saag के प्रकार और सागो का राजा Sarson Saag | Types of Jharkhandi Saag

हेल्लो दोस्तों आज के इस लेख में Saag के बारे में जानेंगे एक स्वादिष्ट और पोषणयुक्त साग है, जो हमारे देश के हर वर्ग के लोग सभी क्षेत्रों में बड़े मजे के साथ खाते हैं । यदि सगो राजा कहे तो सरसों का साग सबसे ऊपर स्थान रखता है हर घर में सब्जी के साथ साग का स्वाद का चखा जाता है यदि बात साग व अन्य पत्तियों जैसे कोइनर और पोई का भी उपयोग होता है जिसे भी लोग स्वादिष्ट बनाकर खाते हैं तो चलिए आगे पढ़ते हैं की Saag के प्रकार और सागो का राजा Sarson Saag | Types of Jharkhandi Saag वो अन्य सागो के बारे में

तो 09 तरह के साग के बारे में आज बताते हैं  जिसे हम विस्तार से जानेंगे 

लवाई साग

झारखंड के जंगलों में पाया जाने वाला एक और साग जिसे लोग बहुत कम जानते हैं जो जंगल में होता है और इसे जंगल से तोड़ कर लाते हैं और स्थानीय बाजार में इसको बिक्री करते हैं यह साग का टेस्ट सांभर की तरह खट्टा लगता है और इसको भी लोग बड़े चाव से खाते हैं बरसाती साग होने के नाते यह केवल बरसात के दिनों में ही जंगल में पाया जाता है इसलिए जो जंगल के लोग होते हैं उसके लिए रोजगार के साधन भी जाते हैं और जब वह स्थानीय बाजार आते हैं तो यह साग को लेकर बाजार में बिक्री करते हैं

बांस का करिल (bamboo shoots)

बरसात के सीजन आते ही बंबू यानी बास का “करिल”जब बंबू  से नया नया पौधा निकलता है तो उसे हम करिल के रूप में जानते हैं और इसको झारखंड वासियों बहुत ही चाव से खाते हैं , आगे झारखंड के जंगलों में पाया जाता है वैसे तो गांव घर में ही बांस पाया जाता है परंतु जंगल वाला का स्वाद कुछ अलग होता है अरे बाजार में बहुत मांगे दामों में बिकता है इसमें बहुत अधिक मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो हमारे हड्डियों को मजबूत करने में सहायता प्रदान करता है साथ ही इसमें फाइबर की मात्रा भी मिलता है जिससे हमारे खून का संचार जो है वह बहुत अच्छा तरीका से बना रहता है

What is the taste of Jharkhandi Saag? 09 types of greens Red Gandhari, Green Gandhari, Kalmi, Bathua, Poi, Beng, Muchari, Koinar, Munga, Sanai, Sunsunia

गंधारी साग  कहते हैं कि खाने में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है उसी में झारखंड में बरसात के सीजन में गंधारी साग अपने आप में एक सागो का टेस्ट बदल देता है जहां दोस्तों गंधारी साग बरसात के सीजन में पाया जाता है इस आग में शरीर में विटामिन कमी से लड़ने वाले सभी प्रकार की कैल्शियम विटामिन मिनरल्स आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो हमारे शरीर के मांसपेशियों का निर्माण करने और शरीर में ऊर्जा प्रदान करने में लाभ प्राप्त होता है

खुखड़ी

बारिश के दिनों में उत्पन्न होने वाला कुकड़ी जिसे हम देसी मशीन के नाम से भी जानते हैं यह एक प्राकृतिक द्वारा उत्पन्न जनों से प्राप्त मशरूम टाइप पर खड़ी है जिसे बारिश के दिनों में ही देखने को मिलता है झारखंड का एक विशेष प्रकार का सब्जी है जो बरसात के दिनों में जंगलों में मिलता है और इसे झारखंड के लोग पहुंचा से खाते हैं इसे किसी प्रकार के बीज या मानव निर्मित किसी प्रकार का सहयोग से नहीं बनता बल्कि यह प्राकृतिक तरीका से उत्पन्न होता है

Saag के प्रकार और सागो का राजा Sarson Saag | Types of Jharkhandi Saag

पोइ साग

घर के आस-पास में मिलता है ये साग जिसको हमलोग पोई साग कहते हैं  इसका जो पौधा होता है वह सांप की तरह ऊपर की ओर जाता है और इसका जो पता होता है पान की छोटे पत्ते की तरह छोटे छोटे आकार का होता है और इसमें लाल लाल दाने निकलते हैं जो बहुत ही लाल होते हैं पकने के बाद जब उसको आप तोड़ के हाथ में मसलते हैं तो खून की कलर के जैसा दिखता है खाने में स्वादिष्ट लगता है और स्थानीय बजाने में बिक्री के लिए लोग ले जाया करते हैं जिसे पोई साग कहते हैं

बेंग साग 

इस साग को स्थानीय नाम में इसे बैंग साग बोलते हैं जिसको हम मेंढक साग भी बोलते हैं ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि जो मेंढक होता है वह इस सागो के बीच में बहुत अधिक रहता है और काफी आवाज करते रहता है ये साग मुख्यत खेतों के आसपास पानी की सतहों में होता है, छोटे-छोटे मेंढक आस-पास रहते हैं आवाज करते रहते हैं और इसलिए सबको बैंग साग (Frog Sag) कहते हैं

भदली साग

बात अगर बरसाती साग  के बारे में कहीं रहे हैं तो भदली साग को भी आप जरूर स्वाद चखिए  जंगलों में पाए जाने वाला एक प्रकार का साग है जिसका गंध चमगादड़ या भदली की तरह महकता है इसलिए सबको भदली साग या चमगादड़ साग भी कहते हैं

कोईनार साग

खेतों और घरों के आस पास में पाए जाने वाला पेड़ जिसका पत्ता को साग के रूप में भी खाया जाता है जिसे कोईनार साग के रूप में जानते हैं इसमें गुलाबी कलर का फूल खुलता है और इसके नरम पत्ते को साग रूप में खाते हैं,इसके पेड़ जायदा बड़ा नही होता है और इसमें आसानी लोग पेड़ में चढ़कर साग तोड़ लेते है |

मुनगा (सहजन ) साग का पेड़

झारखंड के हर हिस्से में पाए जाने वाला मूनगा पेड़ का साग सभी के घर में पाया जाता है और इसे 12 महीना साग सब्जी के रूप में इसका स्वाद लिया करते हैं यह एक ऐसा पेड़ है जिसका तीन तरह का सब्जी होता है पत्ते से ,इसके फल से ,और उसके फूल से इस तरह से जिसका हम 12 महीना सब्जी के रूप में खाते हैं

झारखंड में साग ओर साग में पाए जाने वाले पोषण एवं  बिटामिन अनेकों प्रजातियों में शामिल लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया, फुटकल, गिरहुल, चकोर, कटई/सरला, कांडा और मत्था झारखंड के लोगों का भोजन के साथ खाने वाले बेहतरीन साग है

चोकड़ साग

बरसात के मौसम में चौकड़ साग आपको अपने गाँव घर के आस पास देखने को मिलता है इस साग को ताजा एवं सुखा के भी खाया जाता है

सरसों का साग को हर कोई पसंद करता है और इसे देश के सभी जगह खाया जाता है इसलिए ये साग सागो में सबसे ऊपर स्थान रखता है 

झारखंडी साग का स्वाद कैसा होता है? What is the taste of Jharkhandi Saag?09 तरह के साग लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया

FQA?-

साग क्या होता है ?

झारखंड में कितने प्रकार के साग मिलता है ?-वैसे तो भारत में भिन्न भिन्न प्रकार से saag पाए जाते हैं देश के अलग अलग हिस्से में परन्तु झारखंड मुख्यः सरसों साग ,साग लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया का नाम पहले आता है

09 प्रकार से साग जिसमे पाए जाते हैं अनेकों पोषक तत्व ?

Ans-09 तरह के साग लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया

झारखंड में पाए जाने वाले प्रमुख साग ?