Patratu Vally: A Hidden Jewel of Jharkhand 2025

Patratu Vally: A Hidden Jewel of Jharkhand 2025

Patratu Ghati Valley, patratu vally resort Ranchi, Jharkhand

झारखंड एक ऐसा राज्य है जहाँ पर्यटन के स्रोत बहुत हैं जिसमे रांची के नजदीक में स्थित  Patratu Vally: A Hidden Jewel of Jharkhand 2025 का दृश्य( पतरातू घाटी रांची ) के बारे अब लोग जानने लगे  हैं लोगों में बड़ी दिलचस्पी रहती है की झारखंड के नजदीक पतरातू घाटी   patratu ghati  कैसी है ranchi station to patratu valley distance  कितनी है चूँकि आपको पता है  झारखंड खनिज सम्पदा से परिपूर्ण है

और इसकी राजधानी रांची है भारत के पूर्वी क्षेत्र छोटानागपुर की पठार कहे जाने वाले राज्य झारखंड को अन्य राज्यों की तुलना में कम खोजा जाता है इसके प्रकृति की सुन्दरता आपको मोहित करती है तो चलिए आज आपको बताते हैं एक ऐसा घाटी जो झारखंड के राजधानी रांची से 35 किलोमीटर दूर स्थित है जिसे patratu ghati या patratu valley कहते हैं वैसे तो पतरातू कोई नया  Hidden Place नही ही है फिर आपको बता दे की यह

पर्यटन और प्रमुख आकर्षण

1. पट्रातु डैम और झील
पट्रातु घाटी में बसा Patratu vally  इस क्षेत्र का सबसे बड़ा आकर्षण है। यह डैम स्वर्णरेखा नदी पर स्थित है और यहां का जलाशय साल भर भरा रहता है। झील के चारों ओर की हरियाली और शांत वातावरण इसे एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट बनाते हैं। साथ ही खुबसूरत रिसोर्ट भी बनाया गया है जहाँ आप अपने परिवार के साथ समय बिता सकते हैं

यहां के कुछ खास आकर्षण हैं:

– नौका विहार (बोटिंग) का आनंद लेना
– झील के किनारे बैठकर प्रकृति की खूबसूरती का अनुभव करना
– जलक्रीड़ा (वॉटर स्पोर्ट्स) और मछली पकड़ने का मजा लेना

पट्रातु वैली का परिचय

पतरातू  घाटी झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 42  किलोमीटर दूर स्थित है। यह घाटी रामगढ़ जिले में आती है और इसे झारखंड के सबसे खूबसूरत और रोमांचक स्थलों में से एक माना जाता है। चारों ओर हरे-भरे जंगल, पहाड़ियों के बीच से गुजरती घुमावदार सड़कें, और पट्रातु डैम के शांत पानी की सतह इसे प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक अद्भुत स्वर्ग बना देती हैं। पतरातू बिजली संयंत्र एवं पतरातू झील के लिए प्रसिद्ध हुआ करता था |

इस जगह जाने के लिए पहले पतरातू घाटी बस नाम का घाटी हुआ करता था आज बदलते भारत और राज्य का विकास के साथ पतरातू Valley का सुन्दरता ने सबको अपनी और मोहित कर लिया है जी हाँ वही   पतरातू घाटी जिसे बरसो पहले बस  बिजली संयंत्र एवं पतरातू झील के लिए जानते थे परन्तु आज पतरातू गाँव तक जाने वाले रास्ते ने लोगों का दिल जीत लिया है। वैसे तो ट्रेवल के दृष्टिकोण से झारखंड नाम

Patratu Vally: A Hidden Jewel of Jharkhand 2025
Patratu Vally: A Hidden Jewel of Jharkhand 2025

बहुत कम मिलता है, इसलिए आप शायद झारखंड के बारे में कम जानते होंगे | जिसे लोग दूर दूर से देखने आते हैं और एक अलग रोमांचित का मजा लेते हैं घाटी का मानो पूरा नक्सा ही बदल कर रख दिया गया हो जब आप घाटी से निचे की और देखते हैं पूरा पतरातू आपको नजर आता है रोड कुछ सांप के जैसे टेढ़ा मेढ़ा और काफी घुमावदार देखने को मिलता है | आपको घाटी का नजारा अपनी और मोहित करता है और बार बार आपको यंहा आने को मजबूर करता  है | घाटी में जब

आते हैं तो आपको हर दिन भीड़  देखने को मिलता है लोग अकसर अपने परिवार के साथ टाइम बिताने के लिए यंहा आया करते हैं पतरातू झील भी लोगों को अपने और आकर्षित करता है  रांची से सटे Ramgarh जिला के पशिचम में लगभग 30 किमी पतरातू बांध में निर्माण थर्मल पवार स्टेशन को पानी की आपूर्ति के लिए बनाया गया था इसके चारो और पहाड़ियों से बरसात के समय से झरने से पानी को इस बांध में रोका जाता है

यह देखा जाय तो लोगों का एक बहुत अच्छा टूरिस प्लेस  है जन्हा लोग घुमने फिरने पिकनिक मानाने आया करते हैं जो देखा जाये तो Patratu valley resort Ranchi, Jharkhand  Ranchi ka best resort  इसलिए कह सकते है की यह सुध वातावरण में स्थित है और प्रकृति के नजारा पास है  यह एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है  साथ ही बांध में अब बोटिंग का भी सुविधा दिया गया है जिससे आप बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं

patratu vally lake resort room price

यदि आप पतरातू को एक्स्प्लोर कर रहे हैं तो आप पतरातू लेक रिसोर्ट में रुक के पतरातू लेक को पूरा घूम सकते हैं  patratu lake resort room price की बात करें तो आप इसे ऑनलाइन भी  बुक कर सकते हैं  अधिक जानकारी के लिए आप झारखंड टूरिज्म के आधिकारिक वेबसाइट  https://tourism.jharkhand.gov.in पर देख सकते हैं  patratu lake resort room price list

  • AC Dormitory -6 Bedded -Rs 4500/- per day
  • AC Dormitory -4 Bedded -Rs 3000/- per day
  • Non AC Dormitory -7 Bedded -Rs 5500/- per day
  • AC Double bed room  -Rs 4500/- per day

इसके अतिरिक्त सरकारी आदेश के अनुसार टैक्स पे लग सकता है साथ ही 9 साल से कम उम्र के बचों कोई भी चार्ज नही लगता है patratu lake resort काफी अछा रिसोर्ट है शहर से दूर शांत वातावरण के लिए पतरातू आप एक बार ज़रूर आइये |

रांची से पतरातू घाटी कैसे पहुंचे( ranchi to patratu valley distance)

यदि आप झारखंड से हैं और रांची होकर पतरातू घाटी आ रहे हैं तो आपको कांके वाले रास्ते से आना होगा | रांची से पतरातू घाटी का दुरी गूगल मैप के अनुसार 35 किलोमीटर है | और  आपको पतरातू जाने का समय लगभग 59 मिनट का लगेगा | वर्तमान में पतरातू घाटी रांची का Most Visiting Place में से एक हो गया है क्योंकि पतरातू घाटी एक रोमांचित जगह और दिलचस्प हो गया है लोग अकसर समय बिताने इस जगह पर जाया करते हैं |

पतरातू वैली  आने का सही समय 

पतरातू वैली  सालभर घूमने के लिए एक बेहतरीन जगह है, लेकिन अगर आप इसकी असली खूबसूरती का अनुभव करना चाहते हैं, तो अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे अच्छा होता है। मॉनसून में यहां की हरियाली और भी बढ़ जाती है और झरने भी बेहद खूबसूरत लगते हैं, लेकिन बारिश के चलते सड़कें फिसलन भरी हो सकती हैं।

पतरातू घाटी आने के सुझाव (Patratu Ghati Travel Tips)

  • यदि आप पतरातू घाटी घुमने की सोच रहे हैं तो तो आप रांची में में रुक सकते हैं जो की 35 किलोमीटर नजदीक में है साथ ही कई ऐसे आपको बजट में होटल लोज और रिसोर्ट आदि मिल जाता है
  • स्थानीय भोजन (Local Cuisine) आप यहाँ पर jharkahnd का पारंपरिक व्यंजन का भी स्वाद ले सकते हैं वो भी उचित मूल्य के साथ और आपने
बस से पतरातू घाटी कैसे आयें (Ranchi to Patratu Vally Bus)

यदि आप बस से पतरातू घाटी आना आते हैं तो आपको रांची बस स्टेंड जो की रांची खाद्गढ़ा और आई.टी.आई बस स्टेंड रांची से बस पकड़कर वंहा से बहुत आसानी से पतरातू घाटी आ सकते हैं |

FAQ:-

Pahadi Mandir Ranchi Jharkhand पहाड़ी मंदिर रांची

Pahadi Mandir Ranchi Jharkhand

पहाड़ी मंदिर का इतिहास pahari mandir ranchi history

झारखंड राजधानी रांची में स्थित Pahadi Mandir Ranchi Jharkhand पहाड़ी मंदिर का निमार्ण काल 1842 इस्स्वी में व्रिटिश नागरिक कर्नल ओंसले ने करवाया था | यह  मंदिर की अपनी एक विशेषता  है और ये मंदिर रांची के बीचोबीच एक पहाड़ी पर स्थित जो ठीक रेडियो स्टेशन आकाशवाणी के सामने की और है इस मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग है | पहाड़ी में विराजमान भोलेबाब को पहाड़ी बाबा के नाम से भी जानते हैं |

पहाड़ी मंदिर समुद्र तल से 2140 फीट की ऊंचाई पर बना है। पहाड़ी मंदिर के चारो और शहर बसा हुआ है और इस मंदिर Circle में तरह तरह के फूलों से सजे हुवे इसकी सुन्दरता को और और अधिक आकर्षक बनाता है, मंदिर की चोटी तक पहुँचने के लिए आपको लगभग 470 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ेगी तब जाके पहाड़ी बाबा का दर्शन हो पायेगा | राजधानी रांची शहर के बीच में होने से शहर की सुन्दरता बढ़ जाती है,जब आप पहाड़ी से एक नजर

फांसी टोंगरी (पहाड़ी मंदिर) रांची श्रावन में लग रहा भक्तों का विशाल मेला ,क्या है इसका कहानी

pahari mandir ranchi history in hindi

रांची शहर की और देखते हैं तो पूरा रांची की View नजर आता है, इस तरह से पहाड़ी मंदिर रांची की एक पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है | इस पहाड़ी की दिलचस्प बात है की जब भारत अंग्रेजी शासन की अधीन गुलाम था तब इस पहाड़ी पर भारत के स्वंत्रता सेनानियों को इस पहाड़ी में फांसी पर लटका दिया जाता है भारत आजाद होने के साथ इस पहाड़ी पर भी 15 अगस्त पर 26 जनवरी को लोग झंडे भी  फहराते हैं

रांची के पहाड़ी मंदिर में शिवरात्रि एवं सावन में लगता है भक्तों का मेला

पहाड़ी मंदिर में प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि एवं सावन में भक्तों का मेला लगता है यदि मुख्य त्यौहार की बात करें तो शिवरात्रि में मेला लगया जाता है जबकि सावन में महीनो तक मेला रहता है और महीनो भर हजारों श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। श्रावण मेला जुलाई से शुरू होकर अगस्त में ख़त्म होता है, हर सोमवारी को भक्तों का आगमन लगा लगा रहता है |

  • रांची के पहाड़ी मंदिर में कितनी सीढ़ियां हैं? उतर-रांची के पहाड़ी मंदिर के तलहटी से लेकर चोटी तक लगभग 470 सीढियाँ मौजूद है और भक्त इसी सीढियाँ से शिव जी को दर्शन करने जाते हैं |
  • लोग जब गूगल में ये सवाल करते हैं की पहाड़ी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है  जब भारत अंग्रेजी शासन की अधीन गुलाम था तब इस पहाड़ी पर भारत के स्वंत्रता सेनानियों को इस पहाड़ी में फांसी पर लटका दिया जाता है भारत आजाद होने के साथ इस पहाड़ी पर भी 15 अगस्त पर 26 जनवरी को लोग झंडे भी फहराते हैं, और स्थानीय लोग इसे फांसी टोंगरी भी कहते थे ,आजादी होने के बाद इस जगह शिवलिंग स्थापित की गयी और विधिवत भगवान शिव की पूजा पाठ करने लगे |
  • रांची में कौन सा मंदिर प्रसिद्ध है?उतर-रांची शहर में कौन सा मंदिर प्रसिद्ध है इस विषय पर हम बता दे की सभी मंदिर अपने जगह पर प्रसिद्ध है फिर भी रांची के जगरनाथ मंदिर एवं पहाड़ी मंदिर ये दो मंदिर अग्रेजी शासन काल और इनका अपना इतिहास होने के वजह से ये प्रसिद्ध है |

Pahadi mandir ranchi  के आस पास के अन्य मंदिर

साईं मंदिर बेडो

रांची से 33  किलोमीटर की दुरी में स्थित लापुंग थाना अंतर्गत एक सुंदर सा  श्री साईं मंदिर है जिसे देखने के लिए लोग बहुत बहुत दूर से आते हैं इस जगह पर्यटक सालो भर आते रहते हैं | साईं मंदिर में विशेष रूप से गुरुवार और रविवार को पूजा अर्चना किया जाता है उस काफी अधिक संख्या में लोग यहाँ पर  आते हैं  सुबह से शाम तक भजन कृतं में भक्त मग्न रहते हैं |

अखिलेश्वर मंदिर  भंडरा

यदि आप रांची  के हैं या उसके आस पास के तो आप लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड के ऐतिहासिक अखिलेश्वर धाम शिव मंदिर के बारे जानते होंगे अगर नही तो चलिए इस आर्टिकल में बताते हैं रांची से 68  किलोमीटर की दुरी में स्थित अखिलेश्वर धाम शिव मंदिर काफी अधिक प्रचलित है कहा जाता है की इस शिव मंदिर को भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था

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लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन स्थानीय लोगो का लाइफलाइन है lohardaga ranchi passenger train is lifeline of local people

रांची रेलवे स्टेशन:- उतर पूर्वी  रेलवे से जुड़ा लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन इन क्षेत्रों के जीवन शैली  है इसके बिना रांची लोहरदगा सुना सुना सा लगता है, महज 68 किलोमीटर की इस दूरी में लाखो यात्री औसतन प्रतिदिन इस पैसेंजर ट्रेन में यात्रा करते हैं , जिसमें , ऑफिस वर्कर से लेकर मजदूर वर्ग तक के सभी लोग यात्रा करते हैं, इसके विशेष कड़ी यह है कि रांची लोहरदगा की दूरी मात्र घंटे में पूरा करते हैं,लोहरदगा रांची रेलवे जब से क्षेत्र में खुली है

लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन स्थानीय लोगो का लाइफलाइन है lohardaga ranchi passenger train is lifeline of local people

क्षेत्र के जनजीवन के लिए लाइफ लाइन एवं राजधानी रांची को जोड़ने का सबसे सरल और आसान रास्ता लोहरदगा रांची रेलवे है जिससे रोजाना लाखों की संख्या में यात्री सफर करते हैं एवं सुविधाओं का लाभ लेते हैं, रांची और लोहरदगा के बीच में आने वाले स्टेशन 8 स्टेशन हैं जिसमें से लोहरदगा सबसे बड़ा स्टेशन है और बाकी सभी छोटे छोटे स्टेशन है इस रूट मे दो ट्रेनें चलती है, डाल्टेनगंज से रांची जोकि एक्सप्रेस है और जो लोकल ट्रेन चलती है वह है रांची से लोहरदगा टोरी तक जाती है, रांची से सुबह 4:45 में खुलती है एवं 1 घंटे में आपको लोहरदगा पहुंच आती है,

लोहरदगा रांची पैसेंजर ट्रेन लोगों का जीवन शैली बदलने का जरिया है

रांची से लोहरदगा (Ranchi to Lohardga )का टिकट प्राइस ₹20 है आपको यह भी बता दे कि महज ₹20 में आप लोहरदगा से रांची और रांची से लोहरदगा आना-जाना करते, यद्यपि देखा जाए तोयह लोहरदगा से रांची एक लाइफ लाइन की तरह काम करती है जिसमें गरीब से गरीब दब के लोग इस में यात्रा करते हैं एवं अपने काम सुविधाओं के अनुसार अपने काम को निपटारा करते हैं,  टाइमली चलती है इसलिए इस रूट पर समय-समय पर बहुत ही ज्यादा भीड़ होता है एवं ट्रेनों मेंसीट तक नहीं मिलती आपको खड़े होकर जाना पड़ता है फिर भी लोग अर्जेंट करते हैं क्योंकि उनके यहां से दूरी कम पड़ते हैं एवं पैसे भी कम लगते हैं हम जल्दी पहुंच जाते हैं तो इस तरह लोहरदगा से रांची और रांची से लोहरदगा आने जाने वाले के लिए यह पैसेंजर एक लाइफ लाइन की तरह काम करती है हम लोगों के दैनिक जीवन की रूपरेखा में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, तो चलिए देखते हैं कि रांची से लोहरदगा के बीच में आने वाले स्टेशनों के बारे में कुछ जानते हैं एवं पढ़ते हैं सबसे पहले बात आती है और

अरगोड़ा स्टेशन:- रांची स्टेशन से महज 3 किलोमीटर पश्चिम में स्थित और छोटा स्टेशन रांची में ही है परन्तु छोटा स्टेशन होने की वजह से केवल रांची लोहरदगा पैसेंजर ट्रेन ही रुकती है , यहां से भी यात्री अपनी सुविधा के अनुसार लोहरदगा पैसेंजर ट्रेन में चढ़ते हैं एवं उतरते हैं

 

 

 

 

पिस्का नगडी:-अरगोड़ा स्टेशन के बाद पिस्का नगरी आता है यह रांची का लास्ट छोर पर स्टेशन है इसके बाद आपको रांची ट्रांस छोड़ना पड़ता है, यहां से उतरकर आप रातू रोड कटहल मोर और आप गुमला के लिए भी जा सकते हैं, जिस किसी को भी रातू रोड या कटहल मोड़ जाना होता है वे लोग यही उतर जाते हैं क्यों यही से टेंपो मैं बैठकर चले जाते हैं

 

 

 

इटकी :-पिस्का नगरी के बाद इटकी  स्टेशन पड़ता है जिस में औसतन, रांची आने वाले ही  लोकल लोगी चढ़ते हैं,इतकी में  मुस्लिम समुदाय के लोग अधिक रहते हैं,

तांगर बसली :-इटकी ईद की स्टेशन के बाद इस रूट में टांगर बसली जो स्टेशन है उसमें दो रूट है जिसमें ट्रेन को पास जाने की अनुमति है मतलब कि दूसरा ट्रेन यहां से गुजर सकती है जो दूसरा ट्रेन यहां से आती है वहीं से पास होकर जाती हैइस तरह यदि देखा जाए तो लोहरदगा रांची के बीच में टांगर बसली एक ऐसा स्टेशन है जिसमें ट्रेनों को पास करने की काफी जगह है

 

 

नरकोपी:-नर्कोपी जोग एक छोटा स्टेशन है और कम घनी आबादी वाले क्षेत्र होने की वजह से टाइमली भीड़ हो पाती है परंतु जिसमें ट्रेनें आती है, यहां काफी भीड़ होती है इधर के लोग मुख्यता सब्जीलेकर रांची मंडी में बेचने को जाते हैं एवं अपना जीवन गुजारा करते हैं क्षेत्र का मुख्यता व्यवसाय कृषि है इसलिए विषय में सभीसब्जी वगैरह लेकर रांची की ओर जाते हैं और बेचकर पैसे कमाते हैं,जो मजदूर और के लोग हैं जो खुली रह जा या राजमिस्त्री का काम करते हैं वह भी सुबह ट्रेन के माध्यम से जाते हैं एवं दिन भर काम करने के बाद शाम को वापस आते हैं

 

 

नगजुआ:-नागजुआ यहां के ग्रामीण लोग भी कृषि पर आधारित हैं एवं सब्जी का उत्पादन करते हैं और सब्जी को बिक्री करने के लिए राजी के मंडी में ले जाया करते हैं,प्रतिदिन यहां से तरह-तरह की सब्जियां लेकर ट्रेन के माध्यम से जाते हैं तो हम बिक्री कर अपना दैनिक दिनचर्या गुजारा करते हैं

आकासी:-अकाशी रेलवे स्टेशन यह छोटा रेलवे स्टेशन है यहां से आप बनरा चट्टी जा सकते हैं, यह छोटा सा बाजार भी लगता है जिससे यहां के लोग अपने सब्जियों जी को बिक्री भी कर लेते हैं एवं दैनिक दिनचर्या गुजारा करने के लिए कुछ धंधा पानी भी कर लेते हैं,

 

इरगांव -लोहरदगा से सटे होने के कारण स्टेशन का उतना महत्व नहीं है परंतु फिर गांव में भी काफी भीड़ होता है क्योंकि जो लोग लोहरदगा से सटे हैं वह लोहरदगा कमाने की ख्याल से आते हैं चाहे स्टूडेंट मजदूर या वर्कर हो सभी लोग समय से  ट्रेन से आ कर अपना काम कर समय से घर चले जाते हैं इस वजह से इस स्टेशन पर भी काफी भीड़ होती है,

 

 

 

लोहरदगा स्टेशन:-लोहरदगा रेलवे स्टेशन वैसे तो बुक साइड नगरी के नाम से जाना जाने वाला लोहरदगा लोहरदगा रेलवे स्टेशन अपने आप में एक मिसाल है, बड़ा जंक्शन या बड़ा स्टेशन नहीं होने के बावजूद भी यहां से औसतन रोजाना लाखों की संख्या में यात्री यहां से राजधानी रांची के लिए जाते हैं एवं आते हैं यहां से आप टोरी चंदवा डाल्टेनगंज भी जा सकते हैं क्योंकि यह ट्रेन चलती भी है और यहां से जो लोग रांची जाते हैं दिन भर काम करने के बाद शाम को वापस उसी

Lohardaga Railway Train is a way to change the life style of the people ?

ट्रेन से आ जाते हैं तो इसलिए भी यह लोहरदगा से रांची के लिए छोड़ देगा पैसेंजर ट्रेन बहुत ही बड़ा योगदान साबित होता है

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#लोहरदगा से रांची ट्रेन का समय ,#रांची-लोहरदगा ट्रेन टाइम टेबल 2023
Ranchi to Lohardaga train time table 2023
रांची से लोहरदगा
Lohardaga to Ranchi train

lohardaga ranchi passenger train is a way to change the life style of people

Rugda Puto | Rugra Jharkhand Most expensive rugda masroom vegetable

Rugda Puto झारखंड का सबसे कीमती सब्जी रुगडा पुटू | Most expensive rugda vegetable of Jharkhand

झारखंड– जी हाँ दोस्तों आपने  मशरूम तो बहुत खाया होगा लेकिन बात करते हैं झारखंड की  Rugda Puto | Rugra Jharkhand जो Most Expensive Rugda Vegetable  Rugda Puto की  के बारे में तो आज आपको हम बताने वाले हैं कि Jharkhand ka Rugda Puto  जिसको पूर्वी भारत के झारखंड राज्य में बहुत लोकप्रिय व्यंजन माना जाता  है यह बरसात के सीज़न में बहुत अधिक मात्रा में जंगलों में पाया है, इसके न तो खेती होती है न ही किसी प्रकार का बीज होता है ये पूरे साल पेड़- पौधे के  पतझड़ से जमीन के अंदर फुफुन्द के रूप में  मशरूम जैसा गोल गोल मिट्टी से निकलता है

यह एक  लोकप्रिय व्यंजन  यहाँ का स्थानीय आदिवासी का व्यंजन है जिसे पुटु या रुगडा (Rugda Puto ) भी कहा जाता है और आम भाषा में यदि कहें तो इसे  हम इसे झारखंडी देशी मशरूम भी कह सकते हैं इसका स्वाद अनोखा है और कहते हैं इसे Nonveg वाला स्वाद आता है तो जो लोग नॉन वेज नहीं खाते हैं वे लोग भी इसे बड़े चाव से नॉन वेज की तरह खाते हैं

Rugda masroom Puto | Rugra Jharkhand झारखंड का सबसे कीमती सब्जी रुगडा पुटू

रुगड़ा पूटो -(Rugda Puto) Rugra Jharkhand पूर्वी भारत और झारखंड राज्य का एक प्रसिद्ध व्यंजन रुगडा मसरूम Puto  है , जिसे आमतौर पर झारखंड का जनजातीय खाना या आदिवासियों का प्रमुख बरसाती व्यंजन है | जो बरसात के समय जंगलों में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है जिसे हम रुगुड़ा पुटो or (Rugda Masroom Vegetable)  कहते हैं, जो मुख्य रूप से झारखंड के पाट क्षेत्र जैसी गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, रांची ,लातेहार,के जंगलो में पाया जाता है । यह व्यंजन Jharkhand rugda की प्राचीन जनजातीय भोजन परंपरा से जुड़ा हुआ है। रुगड़ा पूटो एक मशरूम (रुगड़ा) का प्रयोग करके बनाया जाता है।

(इसे भी पढ़े ) झारखंड का पारंपरिक नास्ता “धुस्का ” कैसे बनाया जाता है 

रुगड़ा पूटो बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है: The following Materials are Required to make Rugda Puto.

  • 250 ग्राम रुगड़ा मशरूम
  • 1 टीस्पून हल्दी पाउडर
  • 1 टीस्पून लाल मिर्च पाउडर
  • 2 टमाटर (बारीक़ कटे हुए)
  • 1 टीस्पून धनिया पाउडर
  • 1 प्याज़ (बारीक़ कटा हुआ)
  • नमक स्वादानुसार
  • हरा धनिया (गार्निश के लिए)
  • तेल (पकाने के लिए)
ऐसे तैयार करें रुगडा मसरूम मसाला
  • रुगडा पुटू बनाने के लिए सबसे पहले आप रुगडा को बर्तन में अच्छी तरह से धोकर उससे जमे मिट्टी को निकाले वं अच्छी तरह साफ करें
  • साफ किए हुए रुगडा पुटू को बीच से दो भागों में काट लेते हैं उसके बाद हल्दी जीरा धनिया लाल मिर्च पाउडर सहित मसालों की मिशन के साथ उसे बर्तन में पकाया जाता है और अधिक से स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें लहसुन प्याज और अदर भी शामिल कर सकते हैं

झारखंड में आंखिर रुगडा पुटू  झारखंड Rugra jharkhand को स्पेशल  (special) मसरूम  क्यों कहा जाता है 

जी हां दोस्तों आज किस लेख में आपको हम झारखंड के प्रसिद्ध Rugda Masroom के विषय में बताएंगे जो झारखंड के धरती में पाया जाता है और यह वर्ष में सिर्फ एक बार ही उगता है बरसात के सीजन में यह साल के पेड़ के नीचे या घने जंगलों के झाड़ी दार  पेड़ के नीचे यह पाया जाता है, इंसानों ने आज तक इस दुर्लभ मशरूम की खेती नहीं कर पाए इसलिए इसे झारखंड का सबसे कीमती सब्जी रुगडा पुटू ( Most expensive vegetable of Jharkhand Rugda Puto) कहा जाता है |

गुमला :-नॉनवेज वाली फिलिंग  और वह भी वेज मटन वाह क्या बात है बात  दरअसल रुगड़ा पुटू को झारखंड के आदिवासी बहुल इलाके में इसी रूप में जाना जाता है।  रुगड़ा पुटू झारखंड में बरसात में हर बाजार में आपको देखने को मिल जायेगा । इसका स्वाद एकदम खस्सी या मटन जैसा ही होता है। आज स्थानीय बाजार गुमला में मैंने जब इसका कीमत पूछा तो इसका मूल्य जानकर दंग रह गया जी हैं मटन से भी मंहगा कीमत पर बिक रहा ये देशी मसरूम रुगडा पुटू इसका कीमत 800 रु किलो बताया गया

मतलब की 200 रु में 250 ग्राम ,मैंने ये जानने के लिए जब और दुकानदार या सब्जी बेचने वाले के पास गया तो सबने एक जैसा रेट लगा रखा था चूँकि रुगडा पुटू साल में एक बार मिलता है और ये दुर्लभ तरह का सब्जी है इसलिए इसका कीमत इतना रखता है  झारखंड के लोग इसका स्वाद बड़े चाव के साथ खाते है और महंगे दामों पर भी ये रुगडा बिक जाता है , लेकिन भारत के अन्य राज्यों में भी इसका डिमांड बढ़ गया है और  इसे देश के अन्य हिस्सों में भी खाने में रूचि देखि जा रहा रही है

क्यों इसका कीमत इतना होता है ? लोगों ने बताया राज Rugda Vegetable 

दरसल रुगडा पुटू Rugda Vegetable एक दुर्लभ प्रजाति का मसरूम है जो झारखंड के जंगलों में पाया जाता है और यह सिर्फ बरसात में ही मिलता है ,जिसको यंहा के स्थानीय या आदिवासी लोग बड़े मुस्किल से खोज कर लाते हैं इस वजह से इसका मूल्य बाजार में मंहगे होते हैं इसलिए इसका कीमत मटन से भी ऊचा होता है और बाजार में लगभग 700 से 800रु किलो के भाव से बिकता है | यही कारण है की झारखंड का सबसे कीमती सब्जी रुगडा पुटू कहते हैं और झारखंड सरकार कृषि के लिए किसान वर्ग के लिए समय समय पर  नए नए योजना का सुभारम करती है

 

FAQ-

  1. रुगडा मसरूम  Rugda masroom Vegetable  कर सब्जी बहुत सवाद -दुर्लभ सब्जी होने के नाते इसका टेस्ट मटन जैसा लगता है इसलिए इसे “VEG MUTON ” भी कहते हैं
  2. क्यों महंगा है रुगडा -वर्ष में एक पाए जाने वाले इस सब्जी का कीमत बाजार में  बहुत महगा होता है  ऐसा इसलिए की की इसकी खेती प्राकृतिक तरीके से होती है इसमें किसी मनुष्य का को हस्तेक्षप नही होता है |
  3. रुगडा कहाँ पाया जाता है -यह मुख्यत झारखंड के जंगलों में पाया जाता है
  4. रुगडा CARRY कैसे बनाया जाता है –