Local Market Adar : झारखंड के पारंपरिक स्थानीय बाजार की बात करें तो इन बाजारों में वस्तुएं व अन्य खाद्य उत्पादों एवं जनजातियों द्वारा बनाए गए उत्पादों का विशेष प्रदर्शन होता है जहां खरीद बिक्री किया जाता है आपको बता दे कि झारखंड के स्थानीय बाजार साप्ताहिक होता है
और सप्ताह में किसी एक दिन लगता है जहां पर लोग एक सप्ताह का पूरा सामान खरीद बिक्री कर अपने जीविका चलाने के लिए खरीद कर ले जाते हैं झारखंड के पहाड़ों में बसे आदिम जनजाति एवं आदिवासी बहुल क्षेत्र पर इस तरह के बाजार आपको देखा जा सकता है जहां पर साप्ताहिक तौर पर खरीद बिक्री कर अपने दैनिक उपयोग के लिए सामान खरीद कर ले जाते हैं एवं एक सप्ताह तक उसका उपयोग करते हैं
आदर बाजार
आदर बजार आज से लगभग 240 साल पूर्व से इस जगह पर एक छोटा सा चार समूह का खरीद बिक्री किया जाता था एक बुजुर्ग कहना है कि हमारे दादाजी बताते थे कि इस जगह पर एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था इस पेड़ के नीचे चार-पांच लोग का समूह बैठकर छोटा-मोटा सब्जी बैल बकरी अन्य सामान की खरीद बिक्री किया जाता था दिन प्रतिदिन व्यतीत होता गया और समय के साथ साथ हर चीज बदलता चला गया और आज यहां बड़े भू भाग में ये बाजार लगता है | उस समय कौड़ी के रूप में उपयोग किया जाता था दिन प्रतिदिन व्यतीत के साथ अंग्रेजों के शासनकाल के बाद धीरे-धीरे इस जगह से रास्ता का निर्माण किया गया और फिर हर चीज में बदलाव देखने को मिलने लगा |
आदर बाजार का महत्व (Adar Market)
आदर बाजार Adar market में खाद्य सामग्री से लेकर पहनने के लिए चप्पल जूता एवं बर्तन के अन्य सामानों के साथ-साथ पारंपरिक स्थानीय लोगों के मिट्टी के बर्तन, बंबू का बनाया हुआ बुनकर जंगलों से लाया हुआ सांग इस तरह के इस बाजार में आपको पारंपरिक एवं ट्रेडिशनल देखने को मिलता है आपको बता दे की आदर बाजार झारखंड के उन सुदरवर्ती क्षेत्र में से एक है जहां आदिवासी बहुत क्षेत्र कहा जाता है कहा जाए तो आदर बाजार इन क्षेत्रों का एक लाइफ लाइन है जो अपने दैनिक उपयोग की सारी चीज साप्ताहिक हाट में मिल जाती है
और लोग इस साप्ताहिक बाजार weekly Market पर आकर अपना जीविका के साधन आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से लोगों का यह एक रोजगार का साधन भी है इस तरह से हम कर सकते हैं कि आदर बाजार आदिवासी बहुत क्षेत्र में एक नया आयाम एवं एक सुविधा का केंद्र है जहां लोग शहर ना जाकर बाजार से खरीद बिक्री कर अपने गांव तक ले जाते हैं आज भी इस इलाके में कई ऐसे गांव है जो जंगल के सुदरवर्ती क्षेत्र पर है जो 10-15 किलोमीटर से पैदल चलकर बाजार आते हैं और इस साप्ताहिक हाट में अपने जरूरी का सामान खरीद बिक्री कर चले जाते हैं और एक सप्ताह का इंतजार करते हैं
आदर बाजार सप्ताह में रविवार को लगता है SUNDAY MARKET
पारंपरिक एवं स्थानीय हॉट local Market होने के साथ-साथ आदर बाजार एक निश्चित दिन को लगता है जो कि रविवार होता है और इस रविवार sunday को साप्ताहिक बाजार जिसे की इतवार बाजार कहा जाता है इस बाजार में लगभग 50 किलोमीटर दूर से लोग इस बाजार में अपना सामान को बिक्री करने के लिए आते हैं जिसमें से लोहरदगा ,गुमला जैसे जिले भी शामिल है इस बाजार की खास बात यह भी है कि यह झारखंड के सबसे ऊंचे स्थान नेतरहाट जाने वाले रास्ते में पड़ता है जिससे कि जो लोग नेतरहाट को Visit करने के लिए जा रहे हैं मुख्यतः रविवार के दिन वह इस बाजार को पार कर कुछ ना कुछ सब्जी सामान खरीद कर ले जाते हैं
पारंपरिक वस्तुएं एवं खरीद बिक्री
BAMBO CARFTING (बांस का हस्तकला )
इस बाजार में आपको पारंपरिक वस्तुओं जैसे मिट्टी के बर्तन बस के कटोरी गंगू हाल हसुआ, तंगी बैसला, धन रखने वाला छठ का दौरा रस्सी जैसे अंको पारंपरिक वस्तुएं इस बाजार में आपको देखने को मिलता है और लोग इसकी खरीद बिक्री करते हैं उसके साथ-साथ आपको अन्य वस्तुएं जैसे बर्तन कुर्सी टेबल कपड़े चप्पल जूते लोहे के औजार रबर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट आइटम जैसे अन्य चीज इस साप्ताहिक घाट में मिल जाता है
बैल और बकरी की भी खरीद बिक्री किया जाता है
साप्ताहिक बाजार होने के साथ-साथ आदर बाजार अपने पुराने मवेशी बाजार के लिए भी जाना जाता है, इस बाजार में आपको बैल बकरी की खरीद बिक्री भी किया जाता है लोग दूरदराज से गांव से बैल और बकरी की खरीद बिक्री करने के लिए आते हैं एवं उचित दाम में यहां से खरीद कर ले जाते हैं, बरसात के दिन में बैल बकरी का दाम बढ़ जाता है जिस वजह से ज्यादा दाम मिलने के कारण लोग दूर तरह से बटलर बकरी को खरीद बिक्री करने के लिए लाते हैं जिससे कि दो पैसा ज्यादा उनको मिल जाता है
इसे भी जरुर पढ़े –इस सावन में लगेगा भक्तों का मेला Devaki Baba Dham Mandir Ghaghra || देवाकी धाम घाघरा |प्राचीन शिव मंदिर देवाकी घाघरा गुमला
बाजार में मिलता है या पकवान जो लोगों को बहुत भाता है
जी हां बाजार में स्थानीय पकवान जैसे पकौड़ी dhuska,समोसा जलेबी लकठो, बालूशाही नमकीन जैसे पकवान छोटे-छोटे झोपड़ी में बने होटल बनाया जाता है बाजार समाप्त होने के उपरांत लोग अपने घर के लिए इस तरह के पकवान खरीद कर घर ले जाते हैं वह घर पर अपने बच्चों के साथ मिलकर खाते हैं
इसके साथ-साथ इन क्षेत्रों में लगने वाले अन्य बाजार भी इस लिस्ट में शामिल है जिसमें अपने पारंपरिक एवं शहरी क्षेत्र में लगने वाले बाजार जिस्म की खरीद बिक्री होता है उसमें से कुछ गांव के अंदर एवं कुछ शहर और कुछ पहाड़ों के बीच लगती है दिन में से बिशनपुर बाजार,बनारी बाजार,चैनपुर बाजार, पैसों बाजार, पाठ बाजार, सेरेंगदाग बाजार , गुमला बाजार, लोहरदगा बजार आदि यह सभी बाजार में कुछ ना कुछ पारंपरिक खाद्य सामग्री से लेकर पहनावा और वस्तुएं आपको देखने को मिल जाएगी।