पहाड़ी मंदिर का इतिहास pahari mandir ranchi history
झारखंड राजधानी रांची में स्थित Pahadi Mandir Ranchi Jharkhand पहाड़ी मंदिर का निमार्ण काल 1842 इस्स्वी में व्रिटिश नागरिक कर्नल ओंसले ने करवाया था | यह मंदिर की अपनी एक विशेषता है और ये मंदिर रांची के बीचोबीच एक पहाड़ी पर स्थित जो ठीक रेडियो स्टेशन आकाशवाणी के सामने की और है इस मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग है | पहाड़ी में विराजमान भोलेबाब को पहाड़ी बाबा के नाम से भी जानते हैं |
पहाड़ी मंदिर समुद्र तल से 2140 फीट की ऊंचाई पर बना है। पहाड़ी मंदिर के चारो और शहर बसा हुआ है और इस मंदिर Circle में तरह तरह के फूलों से सजे हुवे इसकी सुन्दरता को और और अधिक आकर्षक बनाता है, मंदिर की चोटी तक पहुँचने के लिए आपको लगभग 470 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ेगी तब जाके पहाड़ी बाबा का दर्शन हो पायेगा | राजधानी रांची शहर के बीच में होने से शहर की सुन्दरता बढ़ जाती है,जब आप पहाड़ी से एक नजर
फांसी टोंगरी (पहाड़ी मंदिर) रांची श्रावन में लग रहा भक्तों का विशाल मेला ,क्या है इसका कहानी
pahari mandir ranchi history in hindi
रांची शहर की और देखते हैं तो पूरा रांची की View नजर आता है, इस तरह से पहाड़ी मंदिर रांची की एक पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है | इस पहाड़ी की दिलचस्प बात है की जब भारत अंग्रेजी शासन की अधीन गुलाम था तब इस पहाड़ी पर भारत के स्वंत्रता सेनानियों को इस पहाड़ी में फांसी पर लटका दिया जाता है भारत आजाद होने के साथ इस पहाड़ी पर भी 15 अगस्त पर 26 जनवरी को लोग झंडे भी फहराते हैं
रांची के पहाड़ी मंदिर में शिवरात्रि एवं सावन में लगता है भक्तों का मेला
पहाड़ी मंदिर में प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि एवं सावन में भक्तों का मेला लगता है यदि मुख्य त्यौहार की बात करें तो शिवरात्रि में मेला लगया जाता है जबकि सावन में महीनो तक मेला रहता है और महीनो भर हजारों श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। श्रावण मेला जुलाई से शुरू होकर अगस्त में ख़त्म होता है, हर सोमवारी को भक्तों का आगमन लगा लगा रहता है |
- रांची के पहाड़ी मंदिर में कितनी सीढ़ियां हैं? उतर-रांची के पहाड़ी मंदिर के तलहटी से लेकर चोटी तक लगभग 470 सीढियाँ मौजूद है और भक्त इसी सीढियाँ से शिव जी को दर्शन करने जाते हैं |
- लोग जब गूगल में ये सवाल करते हैं की पहाड़ी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है जब भारत अंग्रेजी शासन की अधीन गुलाम था तब इस पहाड़ी पर भारत के स्वंत्रता सेनानियों को इस पहाड़ी में फांसी पर लटका दिया जाता है भारत आजाद होने के साथ इस पहाड़ी पर भी 15 अगस्त पर 26 जनवरी को लोग झंडे भी फहराते हैं, और स्थानीय लोग इसे फांसी टोंगरी भी कहते थे ,आजादी होने के बाद इस जगह शिवलिंग स्थापित की गयी और विधिवत भगवान शिव की पूजा पाठ करने लगे |
- रांची में कौन सा मंदिर प्रसिद्ध है?उतर-रांची शहर में कौन सा मंदिर प्रसिद्ध है इस विषय पर हम बता दे की सभी मंदिर अपने जगह पर प्रसिद्ध है फिर भी रांची के जगरनाथ मंदिर एवं पहाड़ी मंदिर ये दो मंदिर अग्रेजी शासन काल और इनका अपना इतिहास होने के वजह से ये प्रसिद्ध है |
Pahadi mandir ranchi के आस पास के अन्य मंदिर
साईं मंदिर बेडो
रांची से 33 किलोमीटर की दुरी में स्थित लापुंग थाना अंतर्गत एक सुंदर सा श्री साईं मंदिर है जिसे देखने के लिए लोग बहुत बहुत दूर से आते हैं इस जगह पर्यटक सालो भर आते रहते हैं | साईं मंदिर में विशेष रूप से गुरुवार और रविवार को पूजा अर्चना किया जाता है उस काफी अधिक संख्या में लोग यहाँ पर आते हैं सुबह से शाम तक भजन कृतं में भक्त मग्न रहते हैं |
अखिलेश्वर मंदिर भंडरा
यदि आप रांची के हैं या उसके आस पास के तो आप लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड के ऐतिहासिक अखिलेश्वर धाम शिव मंदिर के बारे जानते होंगे अगर नही तो चलिए इस आर्टिकल में बताते हैं रांची से 68 किलोमीटर की दुरी में स्थित अखिलेश्वर धाम शिव मंदिर काफी अधिक प्रचलित है कहा जाता है की इस शिव मंदिर को भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था
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