Jharkhand राज्य के गुमला जिला में स्थित टांगीनाथ धाम tanginath dham भगवान परशुराम के फारशा के लिए प्रसिद्ध है और यह धाम डुमरी प्रखंड में स्थित हैं टांगीनाथ धाम का रहस्य क्या है इस संबंध में भगवान परशुराम के बारे में Tanginath धाम में जानने का उल्लेख मिलता है । परशुराम भगवान विष्णु के 6 वे अवतार माने जाते हैं इसलिए उनकी व्याख्या रामायण, महाभारत भगवत गीता पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथ मिलता है झारखंड के गुमला जिला के डुमरी प्रखंड में स्थित Baba Tanginath Dham Gumla Jharkhand प्राचीन काल से मौजूद है और भगवन परशुराम के लिए यह धार्मिक स्थल प्रसिद्ध है |
टांगीनाथ धाम मंदिर गुमला का कहानी Tanginath Dham Story के बारे में
गुमला जिला में डुमरी प्रखंड में स्थित टांगीनाथ धाम भगवान परशुराम से जुड़े आनको धार्मिक कथाएं यहां पर मौजूद है पौराणिक कथावों का माने तो भगवान परशुराम जो विष्णु के 06 अवतार थे और उनसे जुड़े साक्ष्य यहाँ पर मिलते हैं आज भी कई शिवलिंग यहाँ आपको दिखाई देते हैं भिन्न-भिन्न कलाकृति और अत्यधिक प्राचीन काल से मौजूद यहां पर शिवलिंग के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं का भी मूर्ति आपको देखने को मिलते हैं
जब आप टांगीनाथ धाम के प्रांगण में प्रवेश करते हैं आपको एक अलग सा आभास होता है भगवान परशुराम का फरसा आज भी इस टांगीनाथ के प्रांगण में गड़ा हुआ टांगीनाथ धाम के चारों ओर पहाड़ी से घिरा हुआ है । भगवान परशुराम ऋषि और साधु होने के साथ-साथ वह एक युद्ध कौशल में महारत हासिल था जिनका प्रमुख हथियार जो था वह कुल्हाड़ी था जिसे स्थानीय भाषा में फरसा या परशु कहा जाता है
टांगीनाथ धाम कहाँ है?और इसका नाम कैसे पड़ा Tanginath dham kahan hai or iska name kasie pada
झारखंड के गुमला जिला के डुमरी प्रखंड में स्थित बाबा टांगीनाथ धाम गुमला जिला मुख्यालय से 74 किलोमीटर में स्थित है, भगवान परशुराम के फरसे को स्थानीय भाषा में “टांगी “कहा जाता है और शिव मतलब शिव इसलिए मिलकर टांगीनाथ कहा जाता है
Tanginath Dham क्यों प्रसिद्ध है Tanginath dham kyon prasidh hai
टांगीनाथ धाम का रहस्य के बारे में रहते हैं कि भगवान परशुराम का फरसा जो है हजारों वर्ष यहां पर गड़ा हुआ है और भगवान परशुराम की कहानी के लिए गुमला जिले के डुमरी प्रखंड में स्थित टांगी नाथ बाबा धाम प्रसिद्ध है |
टांगीनाथ धाम मंदिर का रहस्य | places to go near me
टांगीनाथ धाम का रहस्य के बारे में हैं कि भगवान परशुराम का फरसा जो है हजारों वर्ष यहां पर गड़ा हुआ है परंतु आज तक इस फरसे पर जंग नहीं लगा है यह बहुत ही विचित्र बात है और कहा यह भी जाता है कि यहां पर लोहार संप्रदाय के लोग पूजा पाठ करने नहीं आते हैं क्योंकि इसके पीछे एक बहुत बड़ी कहानी है तुमको पता है कहानी
टांगीनाथ धाम पर लोहार जाति के लोग पूजा पाठ करने क्यों नहीं आते हैं
मान्यता यह है कि टांगीनाथ धाम पर प्राचीन काल में लोहार जाति के कुछ लोग इस फरशो को उखाड़ कर कुछ बनाने के लिए ले जाने का प्रयास कर रहे थे परंतु वह इस फरसे को उखाड़ नहीं पाए और कुछ समय बाद जो इस फरशो को उखाड़ने आए थे उनका मृत्यु आकस्मिक होने लगा जिससे लोग यह मानने लगे कि यह उनके कर्मों की सजा है यह भगवान के प्रांगण में जाकर फरसा को चुराने का पाप किया है उनका यह सजा है इसलिए लोगों का मान्यता यही है कि लोहार जाति इस जगह नहीं जाते है इसी डर से लोहार संप्रदाय के लोग टांगीनाथ धाम पर पूजा पाठ करने नहीं जाते है
टांगीनाथ धाम में शिव मंदिर का निर्माण tourist attractions near me
टांगीनाथ धाम पर झारखंड सरकार और पर्यटन विभाग मिलकर पुराने शिव मंदिर का नवीनीकरण कराया गया और उसे आकर्षक बनाकर भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया वर्तमान में टांगें न थाम के प्रांगण को व्यवस्थित कर सौंदर्यीकरण कर बहुत तरीके से सुव्यवस्थित कर दिया गया है प्रतिदिन लोगों का टांगीनाथ धाम पर आना जाना लगा रहता है खास कर शिव रात्रि के समय यहाँ मेला लगता है और बहुत अधिक भीड़ होता है
टांगीनाथ धाम कैसे पहुँचे (How To Reach Tanginath Dham)
- हवाई जहाज से
- बस से
- ट्रेन से
- व्यक्तिगत गाड़ी से
- हवाई जहाज से राजधानी रांची के बिरसा मुंडा एअरपोर्ट आना होगा उसके बाद आप अपने सुबिधा अनुसार बस,रिक्शा या व्यक्तिगत गाड़ी से गुमला होते डुमरी और फिर tanginath धाम आ सकते हैं
- बस से आप रांची खाद्गढ़ा बस स्टेड एवं आई टी आई बस स्टेंड रांची के माध्यम से सीधे टांगी नाथ आ सकते हैं
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- गुमला जिले के और अधिक बिस्तृत जानाकरी के लिए आप गुमला के https://gumla.nic.in/tourist-place/tanginath/ को आप visit कर सकते हैं
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संसंक्षेप :- इस लेख में आप पढ़े भगवान परशुराम की बारे में जो विष्णु के 6 वे अवतार माने जाते हैं गुमला के इस पावन स्थल में लोग इस पुरातातिव्क धरोहर को दूर दूर से देखने के लिए आते हैं इस लेख में भगवान परशुराम के बारे में बतलाया गया है |