Vaishno Devi temple Katra ll history of Vaishno Devi

Vaishno devi temple Katra

वैष्णो माता देवी मंदिर जम्मू कश्मीर Mata vaishno devi templeVaishno devi temple Katra

वैष्णो देवी मंदिर,vaishno devi temple जिसे माता वैष्णो देवी Mandir के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय hindu धार्मिकता का एक प्रमुख स्थल है। आज इस लेख में हम आपको Vaishno Devi temple Katra और इसके history of Vaishno Devi के बारे में बताने वाले हैं यह भारत के सबसे पवित्र स्थल में से एक है जो कि जम्मू के कटरा मैं स्थित है औसतन लाखो की तादाद में हर साल यहां पर श्रद्धालु गण इस जगह पर आते हैं और माता रानी के दर्शन करके जाते है

पौराणिक कथाओं के अनुसार इतिहास History of VAISHNO DEVI TEMPLE

पौराणिक कथाओं का मन तो वैष्णो देवी मंदिर के इतिहास बहुत प्राचीन है कहा जाता है कि अपने भक्तों की भलाई के चलते माता वैष्णवी इस जगह भगवान शिव को खोने के बाद  अगले पुनर्जन में वैष्णोदेवी के रूप में रूप धारण किए

धार्मिक महत्व प्रमुख शक्तिपीठ महाकाली महालक्ष्मी और महा सरस्वती

हिंदू धर्म के अनुसार वैष्णो देवी वैष्णो देवी धाम धार्मिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण है और यहां पर हर साल लाखों की संख्या में लोग इस जगह दर्शन के लिए आते हैं अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं यह स्थान त्रिकूट पर्वत में स्थित है इसलिए त्रिकूट पर्वत वाली मां शेरा वाली के नाम से भी जानते हैं खासकर जब नवरात्र के समय भक्तों का भीड़ बहुत अधिक होता है वैसे तो साल भर यहां पर भक्तों की आना-जाना लगा रहता है परंतु अक्टूबर से दिसंबर के बीच में वैष्णो देवी मंदिर आना एक अलग ही एहसास होता है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां तीन शक्ति पीठ है महाकाली महालक्ष्मी और मा सरस्वती

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कैसे  पहुंचे यात्रा का मार्ग vaishno Devi mandir

वैष्णो देवी मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को विशेष मार्गों का पालन करना पड़ता है। कातरा से यात्रा शुरू होती है, जहाँ से भक्त 13 किलोमीटर की चढ़ाई करते हैं। इस यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर भक्तों के लिए विश्राम स्थल और जल-प्रदाय की व्यवस्था की गई है।

Vaishno Devi temple मार्ग

यदि आप भारतीय रेल से  किसी भी कोने से आ रहे हैं तो आपको सबसे पहले जम्मू तवी रेलवे स्टेशन में उतरना होता है यहां से आपको वैष्णो देवी कटरा के लिए लोकल ट्रेन मिल जाती है कटरा पहुंचने के बाद आपको  14 किलोमीटर की पहाड़ी रास्ता चढ़ते हुए माता देवी के स्थान तक पहुंचना होता वैसे वर्तमान में इन रस्तों को को अच्छी तरीके से बनाया और इन रास्तों पर आप घोड़े पालकी, खच्चर और पैदल यात्रा करके माता देवी के मंदिर तब आप आसानी से पहुंचे आपको रास्ते में विश्राम करने खान पान एवं मेडिकल फसिलिटी वैष्णवी ट्रस्ट की तरफ से उपलब्ध करवाई जाती है

वैष्णो देवी मंदिर आने का सबसे अच्छा समय

माता वैष्णो देवी मंदिर की यदि आप यात्रा की सोच रहे हैं तो आपके लिए उपयुक्त समय अक्टूबर से दिसंबर का होता है जिस समय मौसम बहुत ही सुहाना और ज्यादा ठंड और ज्यादा गर्मी नहीं रहता है लोग इस समय आना पसंद करते हैं और इसी समय माता दुर्गा के नवरात्र भी होता है और इस समय यहां पर एक अलग अनुमति का एहसास होता है

भक्तों के लिए यहां पर उपलब्ध सेवाएं

माता वैष्णो देवी मंदिर मैं भक्तों के लिए कई तरह की सेवाएं एवं व्यवस्था की गई है जिसे की भक्तों को किसी तरह की समस्याओं का दिक्कत की सामना न करना पड़े श्रद्धालुओं के लिए उचित ठहरने की व्यवस्था, खाने-पीने की व्यवस्था एवं चिकित्सा संबंधित सारी व्यवस्थाएं यहां पर की गई है  सुरक्षा के दृष्टिकोण से यहां पर भारतीय अर्ध सैनिक बल के जवान 24 घंटे यहां पर मौजूद रहते हैं

kedarnath temple history : The Lord of Shiva उतराखंड में घुमने की जगह

kedarnath temple photos

केदार नाथ मंदिर दर्शन kedarnath temple

देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदार नाथ ज्योतिर्लिंग है उत्तराखंड के पहाड़ों पर स्थित बाबा भोलेनाथ के सबसे प्राचीनतम मंदिर केदारनाथ धाम kedarnath temple जो कि देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है चारों तरफ पहाड़ी से घिरा हुआ एवं बीच में प्राचीन मंदिर अपने प्राचीन इतिहास के  लिए  विख्यात है  यह मंदिर सबसे प्राचीनतम में से एक मानी जाती है लोग देश विदेश से इस जगह बाबा भोले नाथ की दर्शन के लये आते हैं आज इस लेख में केदार नाथ मंदिर के बारे में जानेंगे

kedarnath temple history in hindi: उतराखंड में घुमने की जगह

भारत के प्राचीनतम सबसे पुराना एवं देश के 12 ज्योतिलिंग में से एक रूद्रप्रयाग जिले में स्थित केदार नाथ kedarnath temple मंदिर भारत के उतराखंड राज्य में स्थित है और यह एक विश्व प्रसिद्ध hindu temple है  जहा आप चार धाम का भी दर्शन कर सकते हैं  इस मंदिर के पीछे कहानी यह कहता है की भगवान विष्णु के 24 अवतार में से माने जाने वाले नर और नारायण शिव भक्त थे वे तपस्वी थे और उनके तपस्या से प्रन्सन होकर भोलेनाथ ने इसी जयोतिलिंग में सदा वास करने की वरदान दे दिए | kedarnath temple shivling की लबाई लगभग 12 फिट है और  यह केदार नाथ सृंग पर्वत में  स्थित है

 पांडव का संबंध केदार नाथ से

पौराणिक कथावों का माने तो महाभारत युद्ध में हुवे बेगुनाह नर एवं किये गये अधर्म कार्य की प्राश्चित करने के लिए भगवान शिव की खोज में निकल पड़ते हैं लेकिन कहा जाता है की भगवान शिव उनसे नाराज थे इसलिए उनसे छुपने के लिए एक भैस के रूप में छिप गये

 केदारनाथ की विशेताएँ

  1. महीनों बर्फ में ढाका होना – हिमालय में होने की वजह से यह मंदिर वर्फ में कई महीनो तक वर्फ में ढाका रहता है प्राचीन काल में इसलिए इसका पता लगा पाना मुस्किल था
  2. मंदिर की वास्तु कला -प्राचीन समय में इस मंदिर का निर्माण एवं इसके बास्तु कला आज भी रहस्य बना हुआ है इतने प्राचीनतम मंदिर के 1000 हजार साल पुराने hindu धार्मिक अनुष्ठान का एक अति प्राचीन उदाहरन है

केदारनाथ मंदिर कैसे जा सकते हैं | kedarnath temple history : The Lord of Shiva

केदारनाथ की यात्रा के लिए दिल्ली से कोई डायरेक्ट ट्रेन नहीं है आपको कई बस और ट्रेन मिल जाती है,जो की ट्रेन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन तक जाती है दिल्ली भारत की राजधानी है और यहां पर भारत के सभी जगह जाने के लिए ट्रेन मिल जाती है तो वैसे मैं आप केदारनाथ यात्रा करने के लिए यहां से ट्रेन बैठ सकते हैं जिसमें आपको लगभग 5 से 7 घंटे की सफर करनी पड़ती है यदि बात करें केदारनाथ की सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन की तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है जो केदारनाथ से लगभग 215 किलोमीटर दूर है

दिल्ली से केदार नाथ चलने वाली ट्रेन के नाम

दिल्ली से केदारनाथ धाम जाने के लिए कई ट्रेन उपलब्ध है जिनमें से नाम नीचे सूची वाइस लिखी गई

  • जन शताब्दी एक्सप्रेस
  • हरिद्वार एक्सप्रेस
  • मसूरी एक्सप्रेस
हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी

230 किलोमीटर की दूरी तय करके आप हरिद्वार से केदारनाथ पहुंच सकते हैं यह सड़क की यात्रा है और सड़क से आप यात्रा करके लगभग 7 से 8 घंटे की दूरी तय करके आप केदारनाथ पहुंच सकते हैं

केदारनाथ जाने का सबसे अच्छा समय Best Time to Visit for Kedarnath Yatra

आमतौर में देखा जाए तो केदारनाथ यात्रा करने के सबसे अच्छा एवं सम मौसम बात करें तो यह मैसेज जून का महीना होता है और यह सितंबर तक चलता है क्योंकि दीपावली के बाद केदारनाथ के पट यानी दरवाजा बंद हो जाते हैं तो आप वहां केदारनाथ मंदिर के दर्शन नहीं कर पाते इस में यदि आप केदारनाथ जाने की सोच रहे हैं तो आपके लिए अच्छा समय में से सितंबर के बीच है

image credit- tripoto
केदारनाथ घुमने का सबसे बेहतरीन जगह

पर्यटक हर साल केदार नाथ की दर्शन के लिए देश विदेश से लाखों की सख्या में इस जगह आते हैं रहते हैं इन हसीन वादियों का लुफ्त उठाते हैं फोटो किल्क करते हैं सेल्फी लेते है केदार नाथ के कई यादगार फोटो  kedarnath temple photos इस जगह से अपने साथ खीचा कर जाते हैं  केदार नाथ मंदिर दर्शन के साथ साथ इस जगह ट्रेकिंग और कैम्पिंग भी कर सकते हैं |

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मौसम के अनुकूल केदारनाथ जाने का समय Weather in Shri Kedarnath Dham

केदार नाथ जाने के लिए मई से सितंबर का समय सही माना जाता है परन्तु बरसात आते आते इस पहाड़ी रास्तो में कुदरत का कहर भी झेलना पड़ सकता है वैसे में बरसात से पहले इस जगह को visit करके जा सकते हैं लेकिन बाबा केदार नाथ का दर्शन का अनुभव सावन के महीनो में जायदा होता है उस समय काफी संख्या में पर्यटक एवं  स्राधालू इस जगह  आते हैं |

KEDARNATH के आस पास घुमने की जगह

भैरव नाथ मंदिर,गौरीकुंडो,त्रियुगीनारायण,ऊखीमठोसोनप्रयाग जैसे अन्य धार्मिक स्थल भी हैं जहाँ आप अपना बहुमूल्य समय व्यतीत कर सकते हैं 

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How can I visit Kedarnath temple?

उतर -केदार नाथ धाम आप हवाई जहाज ,ट्रेन ,बस से जा सकते हैं  परन्तु  याद रहे दिल्ली से ऋषिकेश तक ही आपको ट्रेन की सुविधा मिलता है उसके बाद आपको बस से जाना होता है

केदारनाथ जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

मई से जून के बीच जाना सबसे अच्छा समय माना जाता है क्योकि इसके बाद बरसात होने पर प्राकृतिक आपदा का खतरा बना रहता है |

who built kedarnath temple?

8 वी सतबादी में आदि गुरु संक्राचार्य  से इस मंदिर का निर्माण किया था |

Shrikhand Mahadev श्रीखंड महादेव की यात्रा दर्शन के लिए आपको 18570 फीट चढ़ना होता है

hrikhand Mahadev

Shrikhand Mahadev yatra 2024

धार्मिक दृष्टिकोण से भारत विश्व का धर्मगुरु माना जाता है और इस भारत वर्ष में आने को ऐसे तीर्थ धाम ऐतिहासिक मंदिर मौजूद है जो अपने आप में एक प्रसिद्ध स्थान है उसी में से एक आज इस लेख में हिमाचल प्रदेश की शिवखंड महादेव के विषय में जानने की कोशिश करेंगे शिवखंड महादेव जिसकी ऊंचाई 18570 फीट है जो हिमालय  के पहाड़ से होकर गुजरता है बड़े ही दुर्गम रास्ते होते हुए भी श्रद्धालु एवं पर्यटक लोग इस श्रीखंड महादेव को देखने के लिए एवं दर्शन के लिए जाते हैं

श्रीखंड महादेव क्यों प्रसिद्ध है

Shreekhand Mahadev Yatra 2024- जी हां दोस्तों सावन मास आते ही हर हर महादेव और जय महादेव किनारा चारों तरफ घूमने लगती है आज की इस आर्टिकल्स में आपको हम हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव की यात्रा के बारे में बताने जा रहे हैं श्रीखंड महादेव Shrikhand Mahadev के दर्शन के लिए आपको 18570 फीट की ऊंचाई पर चढ़ना पड़ता है

श्री खंड महादेव

जो की बहुत ही कठिन और दुर्गम है परंतु भक्तजनों इस दुर्गम रास्ते को भी आसान बनाकर भोले बाबा के दर्शन के लिए चले जाते हैं वैसे हम के नगरी में महादेव का निवास होता है और इस स्थान पर भोले बाबा का घर होता है चाहे वह अमरनाथ हो मानसरोवर कैलाश हो या फिर केदारनाथ हो

श्रीखंड महादेव ट्रेक कठिन क्यों है shrikhand Mahadev peak trek

उबड़  खाबर रास्ते और काफी दुर्गम रास्ते के बीच 35 किलोमीटर जोखिम भरा रास्ता को आप चढ़कर 18570 फीट की ऊंचाई पर महादेव की श्रीखंड महादेव की भव्य शिवलिंग आपको देखने को मिलता है लोग अभी से ही तैयारी में जुट गए हैं और भर सावन यहां पर महादेव की जय जयकार सुनाई देती है आपको यह भी बता दे कि यहां पर शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 72 फिट है वैसे देखा जाए तो महादेव का निवास स्थान पहाड़ों पर होता है

इसलिए सभी पवन मंदिर श्री महादेव के श्रीखंड शिवलिंग जैसे मंदिर ऐसी जगह में विराजमान है श्रीखंड महादेव की यात्रा के लिए जब आप निकलते हैं तो आपको रास्ते में कई मंदिर दिखाई देती है जिसमें से दक्षिणेश्वर महादेव मंदिर परशुराम मंदिर माता पार्वती का मंदिर हनुमान मंदिर जोताकली मंदिर जैसे कोई पवित्र स्थान मंदिर आपको देखने को मिलता है

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यात्रा का शुरुआत तिथि यात्रा के पड़ाव

श्रीखंड महादेव जी की यात्रा के लिए आपको एक ट्रस्ट के द्वारा आयोजित किया जाता है जिसमें Shreekhand Yatra Registration करना होता है यह यात्रा जुलाई की माह  से शुरू होता है और इस यात्रा में आपको कई सारे सुविधा देखने को मिलती है जिसमें आपको ट्रस्ट के द्वारा स्वास्थ्य सुविधा सुरक्षा का सुविधा खान-पान की सुविधा उपलब्ध करवाया जाता है साथ ही जगह-जगह कैंप स्थापित किए जाते हैं

जिससे आपातकालीन स्थिति में उसे निपटा जा सके कैसे जगह मेडिकल चेकअप कभी व्यवस्था होती है जिसे श्रद्धालुओं के किसी भी आपातकालीन स्थिति में उनके मेडिकल जांच किया जा सके और यात्रा के दौरान रात शाम होने पर ठहराव के लिए भी उचित व्यवस्था किया जाता है जगह-जगह पुलिस की तैनाती रहती है इस तरह सभी श्रद्धालु गण श्रीखंड महादेव का दर्शन कर पाते हैं

श्रीखंड महादेव की कथा क्या है।

पुरानी कथाओं का माने तो श्रीखंड महादेव जी की कहानी भिस्मासुर ने महादेव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और उनसे वरदान प्राप्त किया वरदान प्राप्त करने के पश्चात शिव जी को ही भस्म करना चाहते थे तभी भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर बिस्मासुर को नृत्य के लिए राजी किया और नृत्य करते-करते भिस्मासुर अपना हाथ अपने ही सिर पर रख देते हैं और भस्म हो गए इसी कारण से आज भी इस जगह का मिट्टी,जल आपको दूर से लाल दिखाई देता है

हिमाचल प्रदेश के पर्यटन की और अधिक  जानकारी के लिए visit कीजिये https://himachaltourism.gov.in/

श्रीखंड महादेव कैसे जाएं

श्रीखंड महादेव के दर्शन के आप सीधे दिल्ली से आ सकते हैं दिल्ली से बस चलती है बस के माध्यम से सीधे आप शिमला आए शिमला से आप रामपुर और रामपुर से निरमंड और निरमंड से  होते हुए आप सीधे श्रीखंड चोटी तक पहुंच सकते हैं

Temple of the Vedic Planetarium (TOVP) – ISKCON Mayapur Chandrodaya Mandir

मायापुर कृष्णा मंदिर

भारतीय  मंदिरों की बात करें तो भारत में अनेकों प्रसिद्ध मंदिर है लेकिन पश्चिम बंगाल में एक प्रसिद्ध मंदिर Mayapur temple जो कि एशिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर के नाम से जाना जाता है जिसे

Temple of the Vedic Planetarium (TOVP) – ISKCON Mayapur Chandrodaya Mandir বৈদিক তারামণ্ডল মন্দির – ইসকন মায়াপুর চন্দ্রোদয় মন্দির मंदिर मायापुर के नाम से जानते हैं

आज इस मंदिर के बारे में आपको हम इस लेख के माध्यम से बताने वाले आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की नदिया जिले में स्थित मायापुर नगर की जो की मायापुरी  नवदीप के में स्थित है  लोगो का सवाल रहता है की मायापुरी क्यों प्रसिद्ध है बता दे की वैष्णो संप्रदाय की देहाती महत्वपूर्ण जगह माना जाता है कहा यह भी जाता है कि भगवान श्री महा चैतन्य प्रभु का जन्म किसी स्थान पर हुआ था और यहां पर राधे कृष्णा का भव्य मूर्ति का निर्माण किया गया है इस मंदिर पर श्रद्धालु देश-विदेश से दर्शन के लिए आते हैं

Mayapur temple

कोलकाता से लगभग 140 किलोमीटर उत्तर पश्चिम स्थित या विशालकाय मंदिर कृष्ण अनुराधा के लिए विख्यात है कृष्णा नगर में स्थित इस मंदिर को एशिया का दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भी कहा जाता है मायापुर नवदीप गंगा नदी के किनारे में स्थित है परंतु यह मुर्शिदाबाद से बहते हुए जलंगी नदी आती है जिसे जलंगी नदी कहते हैं इसलिए इस नदी को जलंगी नदी भी कहा जाता है मांयापुर कृष्ण मंदिर में जाने के लिए आपको जलंगी नदी पार करनी होती है या यदि आप सीधे मंदिर के पास जाना चाहते

तो आपको थोड़ा घूम के जाना पड़ेगा उसके लिए थोड़ी सी आपको डिस्टेंस ज्यादा पड़ेगी यदि आप जालंधर नदी को पार करके जाते हैं तो वहां से आपको नौका पार करनी पड़ेगी इसके लिए किराया आपको देनी होती है ₹10 टिकट के साथ आप जलंगी नदी पार कर मायापुर मंदिर दर्शन के लिए जा सकते हैं

मंदिर प्रांगण में घुसते ही आपको एक बहुत बड़ा सा गेट दिखाई देगा साथ ही नव निर्मित मायापुर श्री कृष्ण टेंपल आपको वहां पर दिखा देता है वैसे मायापुर श्री कृष्ण मंदिर जो है वह आपको जो नवनिर्मित मंदिर है उसके पीछे में मंदिर दिखाई देता है परंतु जो मंदिर बन रहा है वह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा

कृष्णानगर नवदीप मायापुरी  इस्कॉन mayapur iskon temple मंदिर क्यों प्रसिद्ध है पुरानी कथाओं का मानक भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले श्री चैतन्य महाप्रभु का जन्म 1486 हुआ था इसी जगह हुवा था जिसे एक पावन स्थल माना जाता है , श्री कृष्णा और राधा का अवतार भी माना जाता है इसलिए इस जगह पर श्री कृष्णा राधे की भव्य प्रतिमा मनाया गया है ।

Iskon मंदिर में देखने लायक दर्शनीय

मायापुर श्री चैतन्य मठ श्री चैतन्य मठ के नाम से प्रसिद्ध चेतन देव की मौसी और चाची का घर देख सकते हैं 

श्रीवास आंगन मायापुरी

कहा जाता है कि श्री चैतन्य देव की एक वाद्य यंत्र को दो भाई जिनका नाम  जगाई और  मधाए ने तोड़ दिए थे उनका टूटा हुआ खोल का एक हिस्सा अभी भी इस जगह संरक्षित करके रखा गया hai

मायापुर इस्कॉन चंद्रोदय मंदिर

भगवान श्री कृष्ण के जीवन की कहानी को दर्शाया गया जिसमें आपको कृष्ण राधा की मूर्ति स्थापित दिखाई देती है साथ ही इस जगह देश-विदेश से भक्तों का जमवाड़ा लगा रहता उसके साथ साथ इस जगह पर श्री भागवत गीता , लाइब्रेरी, तरह-तरह के धर्म से जुड़े  वैणव संप्रदाय संबंधित पहचान चिह्न आपको यहां पर खरीदने का मौका मिल सकता है

Iskon temple क्या है चलिए जानते हैं  इस्कॉन का अर्थ होता है इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कॉन्शस्नेश यह एक संस्था के रूप में काम करती है जो की दुनिया भर में भगवान कृष्ण की उपासना और भागवत गीता के संदेश को दुनिया में पढ़ने के काम करती है भारत में लगभग 400 से अधिक इसके संस्थान केंद्र हैं

इस्कॉन संस्था के संस्थापक की बात करें तो प्रभुपाद जी महाराज जो आयुर्वेदिक दवाई बनाने का काम किया करते थे इन्हीं के सौजन्य के देखरेख में इस संस्था का निर्माण किया गया और आज देश-विदेश में श्री कृष्णा राधे भगवत गीता का प्रचार प्रसाद हो रहा है और अधिक जानकारी के लिए  https://hi.wikipedia.org/ की वेबसाइट पर जा सकते हैं

कैसे पहुंचे मायापुर मंदिर

जी हां श्री चैतन्य महाप्रभु का जन्म स्थल मंदिर में आने के लिए आपको ट्रेन बस और हवाई जहाज का मदद ले सकते हैं यदि आप वेस्ट बंगाल के बाहर से आ रहे हैं तो आपको ट्रेन से आने पर आपको हावड़ा उतरना होगा उसके बाद वहां से आपको सीधे लोकल ट्रेन पड़कर कृष्णा नगर पहुंचना होगा । अयोध्या बस से आते हैं तो बस से आप सीधे कृष्णा नगर आए और कृष्णा नगर से सीधे आप मायापुर मंदिर टेंपो रिक्शा या छोटी बस करके आ सकते हैं

यदि आप विदेश से आते हैं तो आपको इंटरनेशनल हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा कोलकाता में उतरना होगा वहां  से फिर टैक्सी या टूरिज्म बस के माध्यम से सीधे आप इस मंदिर तक आ सकते हैं